भारत को मंदिरों का देश कहा जाता है। हर मंदिर के पीछे का इतिहास या उससे जुड़ी कोई रोचक बात उसे लोगों की आस्था का केंद्र बना देती है। हर साल देश-विदेश से लाखों लोग इन मंदिरों की सुंदरता और उस स्थल पर भगवान द्वारा हुए चमत्कार को महसूस करने आते हैं। आज इस लेख के द्वारा हम आपको भारत के सबसे बड़े मंदिर के बारे में बताने जा रहे है। यह मंदिर भारत के देव भूमि कहे जाने वाले राज्य हिमाचल प्रदेश में बना हुआ है, जिसे देखने के लिए पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है। इस मंदिर का नाम “जटोली शिव मंदिर” है। हिमाचल प्रदेश के सोलन में बना यह मंदिर अपनी खूबसूरती और ऊंचाई के लिए जाना जाता है। इस मंदिर के चारों तरफ कुदरत के नज़ारे भी इन्सान का मन मोह लेते हैं। तो चलिए विस्तार से जानते हैं “जटोली शिव मंदिर” के विषय में –
एशिया का सबसे ऊंचा मंदिर
जटोली शिव मंदिर को पुरे भारत देश का सबसे ऊंचा मंदिर माना जाता है, जिसकी ऊंचाई लगभग 122 फीट है। यह मंदिर सोलन से करीब 7 कि.मी दूर है, जहाँ हर साल लाखों की मात्रा में टूरिस्ट आते है। इस मंदिर के ऊपर बना गुंबद इस मंदिर की खूबसूरती में चार चाँद लगा देता है। यहाँ भगवान शिव के दर्शन करने के लिए भक्तों को 100 सीढ़ियां चढ़कर जाना पड़ता है। इस मंदिर के विषय में यह बताया जाता की पौराणिक काल में भोलेनाथ यहाँ पर आकर ठहरे थे। उसके बाद इस मंदिर की स्थापना की गयी थी।
स्वामी कृष्णानंद परमहंस ने की थी स्थापना
यह भव्य शिव मंदिर जटोली की हसीन वादियों में स्थित है। जटोली शिव मंदिर की स्थापना श्री श्री 1008 स्वामी कृष्णानंद परमहंस महाराज ने की थी। माना जाता है कि स्वामी कृष्णानंद परमहंस 1950 में जटोली आए थे, और उन्होंने इस मंदिर की स्थापना 1973 में की थी। 1974 से इस मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हो गया था। स्वामी कृष्णानंद 1983 में ब्रह्मलीन हो गए। उनके समाधि लेने के बाद मंदिर प्रबंधक कमेटी ने मंदिर का निर्माण जारी रखा।
मंदिर को बनने में लगे 39 साल
सोलन शहर से करीब 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित भवन जटोली मंदिर निर्माण कला का बेजोड़ नमूना है। यह शिव मंदिर दक्षिण-द्रविड शैली से बना हुआ है, जिसके निर्माण में लगभग 39 साल का समय लगा है। इस मंदिर में शिवरात्रि को भारी संख्या में शिव भक्त आते हैं। मंदिर में 11 फुट लंबा एक स्वर्ण कलश भी चढ़ाया गया है। जटोली स्थित शिव मंदिर में लाखों रुपए की लागत का स्फटिक शिवलिंग की स्थापना की गयी है। इस मंदिर की सबसे खास बात यह है, कि इसका निर्माण भक्तों द्वारा दिए गए दान से ही किया गया है।
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