जन्माष्टमी 2023: दुर्लभ योग में करें पूजा और राशि अनुसार कान्हा को लगाएँ इन चीजों का भोग!

श्री कृष्ण जन्माष्टमी यानी श्री कृष्ण का जन्मोत्सव। श्री कृष्ण जन्माष्टमी का यह पावन त्यौहार भारतवर्ष में धूमधाम के साथ मनाया जाता है। प्रतिवर्ष भाद्रपद के महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को यह त्यौहार मनाया जाता है। कहते हैं यह वही दिन है जब भगवान विष्णु ने द्वापर युग में भगवान कृष्ण के रूप में अपना आठवाँ अवतार लिया था। 

श्री कृष्ण जन्माष्टमी इस वर्ष 7 सितंबर, 2023 को मनाई जाएगी। हमारे आज के इस विशेष ब्लॉग के माध्यम से आज हम जानेंगे श्री कृष्ण जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त क्या रहने वाला है, इस वर्ष श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर कौन से शुभ योग बन रहे हैं, इसके अलावा श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन किस वस्तु की खरीदारी से आपको शुभ फल मिल सकते हैं और राशि अनुसार उपायों की जानकारी भी हम आपको इस ब्लॉग के माध्यम से प्रदान करेंगे।

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श्री कृष्ण जन्माष्टमी 2023 (Krishna Janmashtami 2023)

सबसे पहले बात करें तिथि कि तो श्री कृष्ण जन्माष्टमी इस वर्ष 7 सितंबर 2023 गुरुवार के दिन मनाई जाएगी। ऐसे में भगवान श्री कृष्ण का अपने जीवन में आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आप इस दिन व्रत कर सकते हैं।

कृष्ण जन्माष्टमी पूजा मुहूर्त

निशीथ पूजा मुहूर्त : 23:56:25 से 24:42:09 तक

अवधि : 0 घंटे 45 मिनट

जन्माष्टमी पारणा मुहूर्त : 06:01:46 के बाद 8, सितंबर को

अधिक जानकारी: ऊपर दिया गया मुहूर्त नई दिल्ली के लिए मान्य है। यदि आप अपने शहर के अनुसार इस दिन का शुभ मुहूर्त जानना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें

विशेष जानकारी: कहा जाता है जब भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था तो उस समय चंद्रमा उदय हो रहा था और रोहिणी नक्षत्र था। इस वर्ष भी श्री कृष्ण जन्माष्टमी रोहिणी नक्षत्र में मनाई जाएगी जिसे बेहद ही शुभ और दुर्लभ संयोग माना जा रहा है। ज्योतिष के जानकार मानते हैं कि ऐसा दुर्लभ संयोग वर्षों में आता है। ऐसे में इस साल की शुभ जन्माष्टमी अपने आप में बेहद ही खास रहने वाली है।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व 

श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन बहुत से लोग व्रत पूजन करते हैं। कहा जाता है इस दिन का व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं, घर में सुख समृद्धि आती है, जीवन से रोग, दोष, और दुश्मनों का नाश होता है, साथ ही संतान प्राप्ति के लिए यह दिन बेहद शुभ होता है। ऐसे में आप भी यदि संतान प्राप्ति की चाह रखते हैं तो इस कामना हेतु कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत अवश्य रखें।

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श्री कृष्ण जन्माष्टमी पूजन सामाग्री 

कहा जाता है कुछ ऐसी पूजन सामग्रियाँ होती हैं जिन्हें अगर भगवान श्री कृष्ण की पूजा में शामिल ना किया जाए तो इससे लड्डू गोपाल की पूजा अधूरी रह जाती है। क्या कुछ हैं वो पूजन सामग्री आइए जान लेते हैं: 

बाल गोपाल के लिए झूला, भगवान कृष्ण की मूर्ति, छोटी बांसुरी, एक नया आभूषण, मुकुट, तुलसी के पत्ते, चंदन, अक्षत, मक्खन, केसर, छोटी इलायची, कलश, हल्दी, पान, सुपारी, गंगाजल, सिंहासन, इत्र, सिक्के, सफेद कपड़ा, लाल कपड़ा, कुमकुम, नारियल, मौली, लॉन्ग, इत्र, दिया, सरसों का तेल या फिर घी, रूई की बाती, अगरबत्ती, धूप बत्ती, फल और कपूर, मोरपंख  

तो आप भी इन सभी पूजन सामग्रियों को अपनी पूजा में शामिल अवश्य करें और लड्डू गोपाल की प्रसन्नता हासिल करें।

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श्री कृष्ण जन्माष्टमी पूजन विधि 

इस दिन भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप यानी लड्डू गोपाल की पूजा की जाती है। 

  • ऐसे में सुबह उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें। 
  • बाल गोपाल का श्रृंगार करके विधि विधान से उनकी पूजा करें। 
  • बाल गोपाल का पालना सजा दें और उसमें उन्हें झूला झुलाएँ।  
  • उनका दूध और गंगाजल से अभिषेक करें। 
  • इसके बाद उन्हें नए वस्त्र पहनाएँ। 
  • उन्हें मुकुट लगाएँ, बांसुरी दें। 
  • चंदन और वैजयंती माला से लड्डू गोपाल का श्रृंगार करें। 
  • भोग में उन्हें तुलसीदल, फल, मखाने, मक्खन, मिश्री का भोग लगाएँ। साथ में मिठाई, मेवे, और पंजीरी आदि अर्पित करें। 
  • अंत में धूप दीप करें और भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप की आरती उतारें और पूजा में शामिल सभी लोगों को प्रसाद बांटे।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर अवश्य खरीदें इनमें से कोई भी वस्तु 

अगर आप कृष्ण जन्माष्टमी के दिन नीचे दी गयी पवन वस्तुओं में से किसी एक की भी खरीद करते हैं तो आपको भगवान कृष्ण का आशीर्वाद अवश्य प्राप्त होगा। 

  • बाल गोपाल की अष्टधातु से बनी मूर्ति। कहा जाता है अष्टधातु की मूर्ति में स्वयं भगवान श्री कृष्ण वास करते हैं। ऐसे में कृष्ण जन्माष्टमी के दिन इसे खरीदना बेहद ही शुभ माना जाता है। 
  • लड्डू गोपाल के लिए पालना या झूला। इसे भी खरीदना भी बेहद शुभ माना जाता है। आप चाहें तो श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन ही इसे खरीद कर इसकी पूजा कर सकते हैं। 
  • लड्डू गोपाल के लिए खूबसूरत पोशाक। आप चाहें तो वस्त्र के साथ लड्डू गोपाल के लिए मोर पंख, माला, बाजूबंद, और बांसुरी भी खरीद के घर ला सकते हैं। 
  • भगवान श्री कृष्णा और राधा रानी की खूबसूरत पेंटिंग जिसे आप अपने घर में सजावट के लिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं। यह श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन खरीदना बेहद ही शुभ रहता है।

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श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें और नियम 

जन्माष्टमी के दिन अगर आप भी व्रत करने का विचार कर रहे हैं तो उससे पहले कुछ नियम और सावधानियों के बारे में जान लें जिनका पालन करके ही व्रत करने की सलाह दी जाती है। 

  • इस दिन सुबह जल्दी जाकर स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लें। 
  • अपनी यथाशक्ति के अनुसार अन्न और वस्त्र का दान करें। 
  • सात्विक भोजन का सेवन करें। 
  • भूल से भी किसी जानवर या बेजुबान को नुकसान ना पहुंचाएं। 
  • चाय और कॉफी पीने से बचें। 
  • मांसाहारी भोजन का सेवन ना करें। 
  • दूध और दही का सेवन आप कर सकते हैं। 
  • इसके अलावा आप चाहें तो फलाहार भी ले सकते हैं।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर राशि अनुसार भोग और मंत्र  से करें लड्डू गोपाल को प्रसन्न 

राशि भोग मंत्र 
मेष राशि इस दिन लड्डू गोपाल पर घी का भोग लगाएँ।‘ॐ कमलनाथाय नमः’
वृषभ राशि भगवान कृष्ण को माखन का भोग लगाएँ।कृष्ण-अष्टक का पाठ करें 
मिथुन राशि  भगवान कृष्ण को दही का भोग अवश्य लगाएँ।‘ॐ गोविन्दाय नमः’
कर्क राशि कर्क राशि के जातक इस दिन कान्हा को दूध केसर का भोग लगाएँ।राधाष्टक का पाठ करें 
सिंह राशि कृष्ण जन्माष्टमी के दिन बाल गोपाल को माखन मिश्री का भोग लगाएँ।‘ॐ कोटि-सूर्य-समप्रभाय नमः’
कन्या राशि लड्डू गोपाल को माखन का भोग अर्पित करें।‘ॐ देवकी नंदनाय नमः’
तुला राशि भगवान कृष्ण को देसी घी का भोग लगाएँ।‘ॐ लीला-धराय नमः’
वृश्चिक राशि कान्हा को माखन या दही का भोग अर्पित करें।‘ॐ वराह नमः’
धनु राशि आप इस दिन बाल गोपाल को कोई भी पीली वस्तु या पीली मिठाई का भोग लगा सकते हैं।‘ॐ जगद्गुरुवे नमः’
मकर राशि कृष्ण जन्माष्टमी के दिन लड्डू गोपाल को मिश्री का भोग लगाएं।‘ॐ पूतना-जीविता हराय नमः’
कुम्भ राशि भगवान श्री कृष्ण को बालूशाही का भोग लगाएं।‘ॐ दयानिधाय नमः’
मीन राशि भगवान कृष्ण को बर्फी और केसर का भोग लगाएं।‘ॐ यशोदा – वत्सलाय नमः’

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कृष्ण जन्माष्टमी पर राशि अनुसार उपाय से करें बाल-गोपाल को प्रसन्न 

अब आगे बढ़ते हैं और जान लेते हैं कृष्ण जन्माष्टमी के दिन राशि अनुसार क्या कुछ उपाय करने से आपके जीवन में सुख समृद्धि का आशीर्वाद बना रहेगा। 

मेष राशि: मेष राशि के जातक इस दिन अपनी यथाशक्ति के अनुसार गेहूं का दान करें और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। 

वृषभ राशि: वृषभ राशि के जातक गोपी चन्दन का दान करें। आपके जीवन में सुख समृद्धि बनी रहेगी। 

मिथुन राशि: मिथुन राशि के जातक छोटी कन्याओं को नए वस्त्रों का दान करें। 

कर्क राशि: कर्क राशि के जातक इस दिन चावल और उससे बनी खीर गरीबों को दान करें। 

सिंह राशि: सिंह राशि के जातक इस दिन गुड़ का दान करें और आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करें 

कन्या राशि: कन्या राशि के जातक कृष्ण जन्माष्टमी के दिन जरूरतमंदों को अनाज का दान करें। 

तुला राशि: तुला राशि के जातक जरूरतमंदों को वस्त्रों और फल का दान करें। 

वृश्चिक राशि: वृश्चिक राशि के जातक जरूरतमंदों को गेहूं का दान करें और मुमकिन हो तो लोगों में पंजीरी बांटें। 

धनु राशि: धनु राशि के जातक श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन कृष्ण मंदिर जाकर बांसुरी और मोर पंख अर्पित करें और गरीब बच्चों को फल का दान करें। 

मकर राशि: मकर राशि के जातक जरूरतमंदों को अन्न और तिल का दान करें और गीता का पाठ करें। 

कुंभ राशि: कुंभ राशि के जातक भगवान कृष्ण को  वैजयंती फूल या पीले रंग के फूल अर्पित करें। 

मीन राशि: मीन राशि के जातक इस दिन मंदिर जाकर धार्मिक पुस्तकों का दान करें।

कृष्ण जन्माष्टमी के अगले ही दिन क्यों मानते हैं दही-हांडी महोत्सव 

कृष्ण जन्माष्टमी के अगले दिन दही हांडी का आयोजन किया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष के नवमी तिथि के दिन दही हांडी मनाई जाती है। इस दिन के बारे में ऐसी मान्यता है कि इस दिन को द्वापर युग से मनाया जा रहा है। मुख्य तौर पर दही हांडी का यह पर्व महाराष्ट्र और गुजरात में बेहद ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। 

इस दिन के बारे में ऐसी मान्यता है कि बाल लीला के समय भगवान श्री कृष्ण ने गोपियों की हांडियों से मक्खन और दही खाया था इसलिए इस दिन को उत्सव के रूप में मनाया जाता है जिसे दही हांडी कहते हैं। इस पर्व को कई जगह ‘गोपाल कला’ के नाम से भी जानते हैं। बात करें वर्ष 2023 की तो दही हांडी का पर्व 7 सितंबर 2023 गुरुवार के दिन मनाया जाएगा।

दही हांडी के बारे में प्रचलित कथा के अनुसार कहा जाता है की बचपन में भगवान श्री कृष्णा गोपियों की मटकी और हांडी से माखन चुरा कर खाते थे। ऐसे में चोरी होने के डर से गोपियों ने दही और माखन की हांडी को घरों की छत पर लटकाना शुरू कर दिया। लेकिन भगवान श्री कृष्णा अपने दोस्तों के साथ मिलकर मानव श्रृंखला बनाकर हांडी तक पहुंच जाते थे और माखन चोरी करते खा लेते थे। कहा जाता है तभी से भगवान कृष्ण की इस लीला को दही हांडी उत्सव के रूप में मनाए जाने की परंपरा की शुरुआत हुई।

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