जानिए हरतालिका तीज व्रत के इन अहम् नियमों और पौराणिक महत्व को !

आने वाले 1 सितंबर को हरतालिका तीज का त्यौहार मनाया जाएगा। इस त्यौहार को मुख्य रूप से महिलाओं के लिए प्रमुख माना जाता है। इस दिन शादी शुदा महिलाएं विशेष रूप से अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। धार्मिक आधारों पर महिलाओं के लिए इस व्रत को रखना बेहद कठिन माना जाता है। साथ ही इस व्रत के लिए मुख्य रूप से कुछ ख़ास नियम भी निर्धारित किये गए हैं जिनका पालन करना आवश्यक माना जाता है। आज हम आपको मुख्य रूप से हरतालिका तीज व्रत के दौरान पालन किये जाने वाले प्रमुख नियमों और उसके पौराणिक महत्व के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं।

हरतालिका तीज का महत्व 

पौराणिक धार्मिक मान्यताओं के आधार पर ऐसा माना जाता है कि, महिलाओं के लिए विशेष अहम माने जाने वाले इस त्यौहार को पार्वती माता और शिव जी के मिलन प्रतीक माना जाता है। एक पौराणिक कथा के अनुसार पर्वत राज हिमालय के घर पैदा हुई देवी पार्वती बचपन से ही शिव जी की बहुत बड़ी आराधक थीं। उन्होनें बाल्यावस्था में ही शिव जी को अपना पति मान लिया था। उन्हें पति के रूप में पाने के लिए भूखी प्यासी कई सालों तक उन्होनें तप किया लेकिन इसके वाबजूद भी उन्हें कोई लाभ नहीं हुआ। उनकी ऐसी स्थिति देख पर्वत राज हिमालय काफी उदास रहने लगे और नारद मुनि को उनके लिए अच्छा वर ढूंढ़ने को कहा। पार्वती माता को जब ये बात चली तो काफी पिता से काफी नाराज हुई और तप करने के लिए जंगल में चली गयी। वहां उन्होनें रेत से शिवलिंग बनाया और पूरी श्रद्धा भाव से शिव भक्ति में लीन हो गयी। कहते हैं कि उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भादो मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन शिव जी ने उन्हें दर्शन दिया और पत्नी के रूप में स्वीकार किया। तब से लेकर आज तक इस दिन को हरतालिका तीज के रूप में मनाया जाता है। इस दिन सुहागिन स्त्रियां जहाँ पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं वहीं कुंवाड़ी लड़कियां इस दिन व्रत रखकर अच्छे वर की कामना करती है। 

हरतालिका तीज व्रत के अहम नियम इस प्रकार हैं 

  • इस दिन व्रत रखने वाली सभी महिलाओं के लिए जल ग्रहण करना निरीह माना जाता है। ये व्रत निर्जला व्रत होती है और अगले दिन व्रत खोलने के बाद ही जल ग्रहण किया जाता है। 
  • मान्यता है कि, एक बार जो स्त्री इस व्रत को शुरू करती है फिर उसे हर साल इस व्रत को करना होता है। एक बार इस व्रत को करने के बाद उसे छोड़ना अशुभ माना जाता है। 
  • व्रत के दिन रात में जागकर भजन-कीर्तन और जागरण करना विशेष महत्वपूर्ण माना जाता है। 
  • इस दिन सभी व्रती महिलाओं के लिए विशेष रूप से शिव और पार्वती की पूजा का विधान है। इस दिन पूरे श्रद्धा पूर्वक सभी विधि विधान के साथ इस व्रत को करना प्रमुख माना जाता है। 
  • हरतालिका तीज व्रत के दिन पूजा विशेष रूप से प्रदोष काल में की जाती है। ये समय सूर्यास्त से पहले और दिन खत्म होने के बीच का होता है। 
  • व्रती महिलाओं के लिए पूजन के दौरान शिव जी, माता पार्वती और गणेश जी की रेत से प्रतिमा बनाकर पूजा करना अहम माना जाता है। 
  • इस दिन महिलाओं को एक पिटारे में सुहाग की सभी चीज़ें रखकर उसे माता पार्वती को अर्पित करना बेहद लाभकारी माना जाता है। 

तो ये थी हरतालिका तीज व्रत से जुड़े अहम नियम, यदि आप भी इस व्रत रखते हैं या आपके परिवार में कोई महिला इस दिन व्रत रखती हैं तो उन्हें उपरोक्त नियमों से जरूर अवगत करवाए।