हिन्दू धर्म में किसी भी पावन पर्व या त्यौहार के लिए शुभ तिथि, वार और दिन का होना ख़ासा महत्वपूर्ण माना जाता है। लेकिन चतुर्दशी तिथि को किसी भी शुभ कार्य के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। शुक्ल पक्ष और कृष्ण की चतुर्दशी तिथि में शुभ कार्यों को करना वर्जित माना जाता है। आज हम आपको विशेष रूप से कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के महत्व और इससे जुड़ी अन्य पहलुओं के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं। साथ ही साथ आपको बताएंगे अन्य प्रमुख चतुर्दशी तिथि के बारे में।
चतुर्दशी तिथि का महत्व
चतुर्दशी तिथि के बारे में जानने से पहले ये जान लेना बेहद आवश्यक है कि इस तिथि की गणना कैसे करें। बता दें कि चतुर्दशी तिथि शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष दोनों पक्षों में आती है। हर माह में पंद्रह दिन शुक्ल पक्ष और पंद्रह दिन कृष्ण पक्ष का होता है और इन दोनों ही पक्षों में चतुर्दशी तिथि आती है। चतुर्दशी तिथि में किसी भी शुभ कार्य का किया जाना वर्जित माना जाता है। माना जाता है कि इस दिन ही चन्द्रमा ग्रह का जन्म हुआ था। चतुर्दशी तिथि के दिन ही शिव जी शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए थे इसलिए चतुर्दशी तिथि के दिन विशेष रूप से शिव जी की पूजा अर्चना को विशेष महत्वपूर्ण माना जाता है। माना जाता है कि आज के दिन शिव जी की पूजा अर्चना करने से विशेष लाभ मिलता है और व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है। हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस तिथि को भगवान् शिव का व्रत रखना भी विशेष लाभदायी माना जाता है।
कृष्ण चतुर्दशी पर क्या करें और क्या ना करें
इस तिथि को विशेष रूप से मेहनत और उत्साह वाले कामों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इस तिथि को विशेष रूप से हथियार का निर्माण और परिक्षण के कार्य सफलता पूर्वक किये जा सकते हैं। इसके आलावा चतुर्दशी तिथि पर यात्रा करना वर्जित माना जाता है। कृष्ण चतुर्दशी पर विशेष रूप से भगवान् शिव की पूजा आराधना करना शुभ माना जाता है। जीवन में आने वाले कष्टों से मुक्ति पाने के लिए विशेष रूप से इस दिन महामृत्युंजय मंत्र का जाप जरूर करें। इन नियमों का पालन करने से आपको कृष्ण चतुर्दशी पर ख़ासा लाभ मिल सकता है।
हिन्दू धर्म के प्रमुख चतुर्दशी व्रत
मासिक शिवरात्रि
बता दें कि हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से शिव जी की पूजा पाठ को ख़ासा महत्व दिया जाता है। इस दिन विधि विधान के साथ भोलेनाथ की पूजा करने से जीवन में आने वाले तमाम मुसीबतों से निजात मिलता है।
अनंत चतुर्दशी
सितंबर माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान् अनंत की पूजा पाठ की जाती है। हिन्दू धर्म के अनुसार भगवान अनंत को विष्णु जी का एक रूप माना जाता है और इस दिन रक्षा सूत्र या अनंत बांधकर जीवन में आने वाली मुसीबतों से मुक्ति पाने के लिए अनंत भगवान् से प्रार्थना की जाती है।
नरक चतुर्दशी
कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी या नर्क चौदस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन यम देवता की पूजा की जाती है और शाम के समय घर के बाहर यम देव के नाम से एक दीया जलाया जाता है।
बैकुंठ चतुर्दशी
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को बैकुंठ चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से महादेव और भगवान् विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन पूजा अर्चना करने वाले जातकों को मृत्यु के बाद बैकुंठ धाम में स्थान मिलता है।