हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भादो माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को उत्तर भारत में पिठोरी और दक्षिण भारत में पोलाला अमावस्या के नाम से मनाया जाता है। इस दिन खासतौर से गंगा स्नान और पित्तरों की पूजा अर्चना को विशेष महत्व दिया जाता है। आज हम आपको पिठोरी आमवस्या का महत्व और इस दिन से जुड़ी महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं। आइये जानते हैं हिन्दू धर्म में पिठोरी अमावस्या को क्यों खास माना जाता है।
पिठोरी अमावस्या का महत्व
पिठोरी आमवस्या के दिन विशेष रूप से सुहागिन स्त्रियाँ अपने पति और बच्चों के लिए व्रत रखती हैं। दक्षिण भारत में इस दिन को खासतौर से पोलाला आमवस्या के नाम से मनाया जाता है और इसे सावन महीने का शुरुआत भी माना जाता है। इस दिन विशेष रूप से दुर्गा माँ की पूजा की जाती है। साथ ही इस दिन विशेष रूप से गंगा स्नान करना भी ख़ासा मायने रखता है। एक पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन व्रत रखने से खासतौर से बच्चों की उम्र बढ़ती है और उन्हें जीवन में सफलता मिलती है।
पिठोरी आमवस्या के दिन इस प्रकार से करें पूजा
- पिठोरी आमवस्या का व्रत रखना खासतौर से शादी-शुदा महिलाओं के लिए जिनके बच्चे हों ख़ासा महत्वपूर्ण माना जाता है।
- इस दिन व्रती महिलाएं सुबह उठकर स्नान करने के बाद सूर्य को अर्घ देती हैं। इसके बाद पितरों की पूजा की जाती है।
- हिन्दू धर्म में अमावस्या को मुख्य रूप से पितरों का दिन माना जाता है इसलिए इस दिन खासतौर से पिंड दान और तर्पण को विशेष महत्व दिया जाता है।
- इस दिन गरीबों को भोजन और कपड़े दान करने से विशेष लाभ मिलता है।
- आज के दिन विशेष रूप से ज्यादा से ज्यादा देवी देवताओं की पूजा अर्चना कर उनसे अपने परिवार और बच्चों की सुरक्षा का कामना करें।
- पिठोरी अमावस्या के दिन खासतौर से कुछ विशेष क्षेत्रों में दुर्गा माता के योगिनी रूप की पूजा अर्चना की जाती है।
- इस दिन दुर्गा माता को सोने के आभूषण चढ़ाना ख़ासा महत्वपूर्ण माना जाता है।
- इस दिन पूजा के दौरान विशेष रूप से पूजा स्थल को फूलों से सजायें और दुर्गा माता सहित अन्य देवी देवताओं की विधि पूर्वक पूजा अर्चना करें।
- इस दिन शाम के वक़्त विशेष रूप से देवी माँ को व्रती महिलाएं सुहाग का सामान चढ़ायें।
- पिठोरी अमावस्या के दिन पंडितों को भोजन करवाने से भी विशेष लाभ की प्राप्ति होती है।
बता दें कि दक्षिण भारत के कुछ राज्यों, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, ओड़िसा आदि में इस दिन को पोलाला आमवस्या के रूप में मनाया जाता है। दक्षिण में लोग इस दिन सावन आमवस्या के रूप में मनाते हैं। उत्तर भारत में जहाँ एक तरफ महिलाएं अपने सुखी परिवार के लिए इस दिन व्रत रखती हैं वहीं दूसरी तरफ इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए भी पूजा पाठ किया जाता है। बहरहाल अब आप जाना चुके होंगें की पिठोरी अमावस्या को हिन्दू धर्म में क्यों इतनी महत्ता दी जाती है।