दक्षिण भारत के तमाम प्रमुख त्योहारों में से ओणम को बेहद ख़ास माना जाता है। वैसे आमतौर पर ओणम का त्यौहार मुख्य रूप से केरल में मनाया जाता है लेकिन इसकी धूम पूरे दक्षिण भारत में रहती है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार ये विशेष त्यौहार हस्त नक्षत्र से शुरू होकर श्रवण नक्षत्र तक चलता है। दस दिनों तक चलने वाले इस त्यौहार के हर एक दिन का विशेष महत्व है। आज हम आपको विशेष रूप से इस त्यौहार से जुड़े कुछ महत्पूर्ण तथ्यों के बारे में बताने जा रहे हैं। तो देर की बात की आइये जान लेते हैं इस विशेष त्यौहार से जुड़े कुछ बेहद महत्वूर्ण तथ्यों के बारे में।
क्यों मनाया जाता है ओणम का त्यौहार ?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ओणम पर्व को मानाने के पीछे बहुत सी मान्यताएं जुड़ी हुई है। इसमें से एक मान्यता के अनुसार ये पर्व विशेष रूप से दानवीर असुर राजा बलि के मान सम्मान में मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि विष्णु जी के वामन अवतार द्वारा उनके घमंड को तोड़ने के बाद बलि को उन्होनें पातळ लोक का राजा बना दिया था। दक्षिण भारत के लोगों की ऐसी मान्यता है कि ओणम के पहले दिन राजा बलि पातळ लोक से धरती पर आकर अपने प्रजा की हाल चाल लेते हैं। इस त्यौहार को दक्षिण भारत में नयी फसल की उपज और कटाई के लिए भी प्रमुख रूप से लोग मनाते हैं।
किस प्रकार से मनाया जाता है ये त्यौहार
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जिस प्रकार से उत्तर भारत में दस दिनों तक नवरात्रि का त्यौहार मनाया जाता है और उस दौरान घर की साफ़ सफाई का काम किया जाता है, ठीक उसी प्रकार ओणम का त्यौहार भी भी दस दिनों तक मनाया जाता है और इस दौरान विशेष रूप से लोग अपने -अपने घरों की साफ़ सफाई करते हैं और घरों को फूलों से सजाते हैं। सभी लोग अपने घर के दरवाजे पर फूलों से रंगोली बनाते हैं और राजा बलि के आने का स्वागत करते हैं। इसके साथ ही साथ विशेष रूप से राजा बलि की मिट्टी से मूर्ति बनाते हैं और उसे विभिन्न प्रकार के फूलों से सजाया जाता है। ये प्रक्रिया विशेष रूप से अगले दस दिनों तक निरंतर चलती है। हालाँकि ओणम के नौवें दिन केरल के हर घर में विशेष रूप से विष्णु जी की मूर्ति स्थापित कर महिलाएं उसके चारों तरफ ताली बजाकर नृत्य करती है। ये क्रिया खासतौर से विष्णु जी के वामन अवतार के लिए की जाती है। कथीकली नृत्य और नौका रेस इस त्यौहार के मुख्य सांस्कृतिक आकर्षण माने जाते हैं। रात के वक्त अन्य हिन्दू देवताओं की मूर्तियां स्थापित कर उनके आसपास दीपों की माला बनाकर उनकी पूजा अर्चना की जाती है।
इसके आलावा आपको बता दें कि दस दिनों तक इस त्यौहार के दौरान लोग अपने-अपने घरों पर विभिन्न प्रकार के भोज्य पदार्थ बनाते हैं। ओणम के दस दिन लोगों में विशेष उत्साह नजर आता है। इस दौरान विभिन्न प्रकार की मिठाईयां और अमूमन सभी दक्षिण भारतीय पकवान लोग अपने घरों में बनाते हैं।