होलिका दहन या होली के त्यौहार का पहला दिन या यूं कहे छोटी होली, इतने सारे नामों से जाने जाने वाला यह दिन होली से 1 दिन पहले मनाया जाता है। ऐसे में इस वर्ष होलिका दहन 17 मार्च, 2022 को मनाई जाएगी।
एस्ट्रोसेज के इस होली विशेष ब्लॉग में जानते हैं होलिका दहन क्यों किया जाता है? इसका महत्व क्या होता है? इस बार होलिका दहन का शुभ मुहूर्त क्या होने वाला है? और साथ ही जानेंगे होलिका दहन के दिन हनुमान पूजा का इतना महत्व क्यों बताया गया है?
भविष्य से जुड़ी किसी भी समस्या का समाधान मिलेगा विद्वान ज्योतिषियों से बात करके
कब है छोटी होली और क्या है होलिका दहन का शुभ मुहूर्त?
होलिका दहन मुहूर्त
होलिका दहन मुहूर्त : 21:20:55 से 22:31:09 तक
अवधि :1 घंटे 10 मिनट
भद्रा पुँछा : 21:20:55 से 22:31:09 तक
भद्रा मुखा : 22:31:09 से 00:28:13 तक
होली 18, मार्च को
अधिक जानकारी: यहां दिया जा रहा होलिका दहन मुहूर्त नई दिल्ली के लिए मान्य है। अपने शहर के अनुसार शुभ मुहूर्त जानने के लिए यहाँ क्लिक करें।
पहली बार इन शुभ योगों में किया जायेगा होलिका दहन
त्योहारों का अपने आप में बेहद महत्व होता है। लेकिन जब इन त्योहारों पर विशेष योगों का संयोग बन जाये तो इसे सोने पर सुहागा कहते हैं। दरअसल ऐसा ही कुछ हो रहा है इस वर्ष होलिका दहन के मौके पर। ज्योतिष के जानकार मानते और बताते हैं कि इस वर्ष होलिका दहन पर ऐसे शुभ राजयोग बन रहे हैं जो अबसे पहले कभी नहीं बने थे।
क्या हैं यह शुभ योग?
- होलिका दहन गुरुवार को पड़ रही है और यह दिन देवगुरु बृहस्पति को समर्पित एक बेहद ही शुभ दिन माना गया है।
- चन्द्रमा पर बृहस्पति की दृष्टि संबंध से इस दिन गजकेसरी योग का निर्माण हो रहा है।
- इस दिन केदार और वरिष्ठ राजयोग का संयोग भी बन रहा है।
- ज्योतिषियों के अनुसार यह पहला मौका है जब होलिका दहन पर इन तीन शुभ राजयोगों का निर्माण होने जा रहा है।
- इतना ही नहीं, होलिका दहन पर मित्र ग्रहों शुक्र और शनि की मकर राशि में युति भी इस दिन के महत्व को कई गुना बढ़ाने का काम कर रही है।
इन शुभ योगों का क्या पड़ेगा देश पर असर?
- होलिका दहन पर बन रहे इन तीन राजयोगों से देश में तेज़ी देखने को अवश्य मिलेगी।
- इस दौरान व्यापारियों को ढ़ेरों लाभ और सु-अवसर प्राप्त होंगे।
- सरकारी कोष भी फायदे की स्थिति में नज़र आयेंगे।
- विदेशी निवेश में वृद्धि के प्रबल योग बनते नज़र आ रहे हैं।
- कोरोना का संकट धीरे-धीरे क्षीण होने लगेगा और हम एक बार फिर सामान्य जीवन जीने की राह पर अग्रसर होंगे।
- महंगाई पर भी लगाम लगने के प्रबल संकेत मिल रहे हैं।
- कुलमिलाकर होलिका दहन पर इन तीन राजयोगों के निर्माण से देश भर में अच्छी और शुभ स्थिति देखने को मिलेगी। यानि कि हर मायने में ही यह होली ‘हैप्पी होली’ रहने वाली है।
आइये अब आगे बढ़ते हैं और जान लेते हैं होलिका दहन से जुड़ी कुछ अन्य महत्वपूर्ण बातों की भी विस्तृत जानकारी।
क्यों मनाते हैं होलिका दहन?
होलिका दहन के इस त्यौहार को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है और इसी उपलक्ष में मनाया जाता है। कहा जाता है यह वही दिन है जब राक्षस राजा हिरण्यकश्यप की बहन होलिका ने प्रह्लाद को अग्नि में जलाने की कोशिश की थी लेकिन भगवान विष्णु ने प्रहलाद को बचाकर इस अग्नि स्वयं ही होलिका को जलाकर राख कर दिया था। ऐसे में इस दिन अग्नि देव की पूजा की जाती है और उसमें अनाज और जौ, मिष्ठान आदि डाला जाता है।
यही वजह है कि होलिका दहन की राख को बेहद ही पवित्र माना गया है और होलिका दहन के बाद इसकी राख को घर लाने का और इसे अपने मंदिर में या किसी पवित्र स्थान पर रखने का भी विशेष महत्व होता है। फाल्गुन मास की पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर होलिका दहन किया जाता है। होलिका दहन के बाद लोग अगले दिन रंगों वाले होली खेलने के लिए तैयार हो जाते हैं।
होलिका दहन का महत्व
जैसा कि आपने पहले भी बताया कि होलिका दहन का यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक होता है। ऐसे में इस दिन अपने घरऔर जीवन में सुख शांति और समृद्धि के लिए महिलाएं होलिका की पूजा करती हैं। इसके अलावा कहते हैं होलिका दहन करने से घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर में सकारात्मकता का वास होता है। होलिका दहन की तैयारियां कई दिनों पहले से ही प्रारंभ हो जाती है। जहां लोग लकड़ियाँ, कांटे, गोबर के उपले आदि इकठ्ठा करना शुरू कर देते हैं और उसके बाद होलिका वाले दिन इसे जलाकर बुराई का अंत करने की प्रतिज्ञा लेते हैं।
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होलिका दहन पूजन विधि
- होलिका दहन वाले दिन जल्दी उठकर स्नान करें और इस दिन के व्रत का संकल्प लें।
- इसके बाद होलिका दहन करने वाली जगह को साफ करें और यहां पर सूखी लकड़ी, गोबर के उपले, सूखे काटे, यह सारी सामग्री एकत्रित कर लें।
- होलिका और प्रहलाद की प्रतिमा बना लें।
- होलिका दहन के दिन नरसिंह भगवान की पूजा का महत्व बताया गया है। ऐसे में इस दिन भगवान नरसिंह की पूजा अवश्य करें और उन्हें पूजा में ये सभी सामग्री अर्पित कर दें।
- शाम होने पर दोबारा पूजा करें और इस समय होलिका जलाएं।
- अपने पूरे परिवार के साथ होलिका की तीन परिक्रमा करें।
- परिक्रमा के दौरान भगवान नरसिंह का नाम जपे और 5 अनाज अग्नि में डालें।
- इस बात का विशेष ध्यान दें की परिक्रमा करते समय आपको अर्ग्य देनी है और कच्चे सूत को होलिका में लपेटना है।
- इसके बाद गोबर के उपले, चने की बालों, जौ, गेहूं ये सभी चीजें होलिका में डालें।
- अंत में होलिका में गुलाल डालें और जल चढ़ाएं।
- एक बार जब होलिका की अग्नि शांत हो जाए तो इसकी राख अपने घर में या फिर मंदिर या कहीं साफ-सुथरी पवित्र जगह पर रख दें।
होलिका दहन की रात भगवान हनुमान की पूजा का महत्व
होलिका दहन की रात बहुत सी जगहों पर भगवान हनुमान की पूजा का विधान बताया गया है। कहते हैं इस दिन यदि भगवान हनुमान की भक्ति और श्रद्धा पूर्वक पूजा की जाए तो व्यक्ति को हर तरह के कष्ट और पापों से छुटकारा मिलता है।
ज्योतिष के अनुसार इसका महत्व जानने का प्रयास करें तो कहा जाता है नए संवत्सर कि राजा और मंत्री दोनों ही मंगल ग्रह होता है। मंगल ग्रह के कारक स्वामी हनुमान जी होते हैं। ऐसे में अगर होलिका दहन के दिन हनुमान भगवान की पूजा की जाए तो इसे बेहद ही शुभ और फलदाई माना जाता है।
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होलिका दहन के दिन हनुमान भगवान की पूजा की सही विधि
- होलिका दहन के दिन शाम के समय स्नान के बाद हनुमान जी की पूजा करें और उनसे मनोकामना मांगे।
- इस दिन की पूजा में भगवान हनुमान को सिंदूर, चमेली के तेल, फूलों की माला, प्रसाद, चोला आदि अर्पित करें।
- भगवान हनुमान के सामने शुद्ध घी का दीपक जलाएं।
- इस दिन की पूजा में हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ करें और अंत में भगवान हनुमान की आरती उतारें।
इसके अलावा ऐसी भी मान्यता है कि यदि इस दिन हनुमान भगवान की पूजा के दौरान हनुमान चालीसा का पाठ किया जाए तो इससे व्यक्ति के कष्टों का निवारण होता है। साथ ही जीवन में नई ऊर्जा का भी संचार होता है। साथ ही इस शुभ दिन यदि भगवान को लाल और पीले रंग के फूल चढ़ाए जाए तो व्यक्ति के जीवन से आर्थिक परेशानियां दूर होती हैं और किसी भी तरह के कष्टों का नाश होता है।
होलिका दहन के बाद अवश्य करें ये काम
- जानकारों के अनुसार होलिका दहन के बाद यदि आप अपने पूरे घर के लोगों के साथ चंद्रमा का दर्शन करें तो इससे अकाल मृत्यु का भय दूर होता है। क्योंकि इस दिन चंद्रमा अपने पिता बुध की राशि में और सूर्य अपने गुरु बृहस्पति की राशि में स्थित होते हैं।
- इसके अलावा होलिका दहन से पहले होलिका की सात परिक्रमा करके उसमें मिठाई, उपले, इलायची, लौंग, अनाज, उपले आदि डाले जाये तो इससे परिवार के सुख में वृद्धि होती है।
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इस वर्ष 18 और 19 को मनाई जाएगी होली? जानें वजह
इस वर्ष 17 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा और 18 को होली खेली जाएगी और कई जगहों पर 19 मार्च को भी होली मनाई जाएगी। ज्योतिष के जानकारों के अनुसार 17 मार्च को रात 12 बजकर 57 मिनट पर होलिका दहन का योग बन रहा है। इसके बाद 18 मार्च को 12 बजकर 53 मिनट पर पूर्णिमा स्नान किया जाएगा और इसके अगले दिन होली 18 मार्च को मनाई जाएगी और बाकी जगहों पर 19 मार्च को भी लोग होली मनाएंगे।
होलिका दहन पर अवश्य करें इनमें से कोई भी एक उपाय, साल भर जीवन में बनी रहेगी सुख समृद्धि
- होली की राख अपने घर लाकर इसे अपने घर के आग्नेय कोण यानि दक्षिण पूर्व दिशा में रखें। इसे वास्तु के हिसाब से बेहद शुभ माना जाता है। ऐसे में इस उपाय को करने से घर में यदि वास्तु दोष है तो वह दूर होता है।
- जीवन में हर मनोकामना पूरी करने के लिए और सफलता प्राप्त करने के लिए होली के दिन भगवान शिव की विधिवत पूजा अवश्य करें।
- आपके जीवन में यदि आर्थिक परेशानियां बनी हुई है तो होलिका के दिन मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा करें और सहस्त्रनाम का जाप करें।
- होलिका की रात सरसों के तेल का चौमुखी दीपक जलाएं और उसे अपने घर के मुख्य द्वार पर रख दें। इस उपाय को करने से हर प्रकार की बाधा दूर होती है।
- इसके अलावा व्यापार में वृद्धि और नौकरी में उन्नति के लिए आप 21 गोमती चक्र लेकर इसे होलिका दहन की रात शिवलिंग पर चढ़ा दें। ऐसा करने से आपको व्यापार में फायदा भी होगा और नौकरी में तरक्की प्राप्त होगी।
- यदि आपके जीवन में शत्रुओं का भय बढ़ गया है तो इसके समाधान के लिए होलिका दहन के समय के सात गोमती चक्र लेकर भगवान से प्रार्थना करें। प्रार्थना के बाद पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ गोमती चक्र होलिका में डालें।
- होलिका दहन के समय होलिका की सात परिक्रमा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
- इसके अलावा स्वास्थ्य लाभ के लिए आप होलिका दहन की अंगार में हरी गेंहू की बालें सेंक कर खाएं। ऐसा करने से आपको ढेरों स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं।
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