आपने अपने जीवन में कई अनोखे मंदिर देखे या उनके बारे में सुना होगा। उनकी ख़ास विशेषताओं ने आपको आकर्षित किया होगा। लेकिन आज हम जिस मंदिर का जिक्र करने जा रहे हैं उस मंदिर की विशेषता अपने आप में अलग है। मंदिर की विशेषता ये है कि इस मंदिर में जाने वाले श्रद्धालुओं को पाप मुक्ति का बक़ायदा प्रमाण-पत्र दिया जाता है। हो सकता है कि यह सुनकर आपको हैरानी हो, लेकिन ये बात सोलह आने सच है।
यह अनोखा मंदिर राजस्थान के प्रतापगढ़ ज़िले में स्थित है। इस मंदिर का नाम है गौतमेश्वर शिव मंदिर। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर को गौतमेश्वर महादेव पापमोचन तीर्थ स्थल के नाम से जाना जाता है। इसकी मान्यता और प्रसिद्धि के कारण स्थानीय बोलचाल में इसे ग्रामीण लोगों का हरिद्वार भी कहा जाता है। आइए, जानते हैं इस मंदिर की क्या है विशेषताएँ..
गौतम ऋषि से शुरु हुई थी ये परंपरा
कहते हैं कि मंदिर की यह पंरपरा गौतम ऋषि के समय से हुई थी। कथा के अनुसार कहा जाता है कि एकबार गौतम ऋषि पर गौहत्या का पाप चढ़ गया था। अपने इस पाप को धोने के लिए वे प्रतापगढ़ के इसी मंदिर में आए थे और यहाँ स्थित कुंड में स्नान करने के पश्चात उन्हें इस पाप से मुक्ति मिली थी। इसके बाद से यह मान्यता प्रचलित हो गई कि जो भक्त गौतमेश्वर मंदिर के सरोवर में स्नान करता है उसे पाप से मुक्ति मिल जाती है।
मंदिर की ओर से मिलता है पाप मुक्ति का सर्टिफिकेट
गौतमेश्वर मंदिर के कुंड को मोक्षदायिनी सरोवर कहा जाता है। भक्तों के द्वारा कुंड में स्नान करने के बाद वहाँ के पुजारियों के द्वारा भक्तों को पाप मुक्ति का सर्टिफिकेट दिया जाता है। स्थानीय पुजारियों का ये कहना है कि जो जिस व्यक्ति के ऊपर जीव हत्या का पाप लग जाता है ऐसे लोग यहाँ आकर मोक्षदायिनी कुंड में स्नान कर अपने पापों को धुलते हैं। मान्यता के अनुसार शिव के आशीर्वाद से ऐसे भक्तों के पापों का नाश हो जाता है।
श्रद्धालुओं से सर्टिफिकेट के लिए जाते हैं 11 रूपये
यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं से सर्टिफिकेट के 11 रूपये भी लिए जाते हैं। ग्यारह रूपये में एक रूपये का सर्टिफिकेट होता है और 10 रूपये दोष निवारण के लिए जाते हैं। पुजारियों के मुताबिक इस मंदिर में हज़ारों श्रद्धालु आते हैं और वे अपना पाप मुक्ति का सर्टिफिकेट ले जाते हैं।
यहाँ मई महीने में तकरीबन 8 दिन का गौतमेश्वर मेला लगता है। उस समय यहाँ देशभर से लाखों श्रद्धालु आते हैं। दिलचस्प बात ये है कि देश की आज़ादी के बाद से जो लोग यहां से पाप मुक्ति का प्रमाण-पत्र लेकर गए हैं उनका पूरा रिकॉर्ड मंदिर प्रशासन के पास है।
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