हरतालिका तीज पर बन रहा है दो दिनों के व्रत का मुहूर्त, जानें किस दिन रखें व्रत !

हिन्दू धर्म में विशेष रूप से हरतालिका तीज व्रत को महिलाओं के लिए ख़ास माना जाता है। इस व्रत को ना केवल सुहागिन स्त्रियाँ बल्कि कुंवाड़ी लड़कियां भी पूरी श्रद्धा भाव से रख सकती है। जहाँ एक तरफ सुहागिन महिलाएं इस व्रत को अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं वहीं कुंवाड़ी लड़कियां इस व्रत को अच्छे वर की प्राप्ति के लिए रखती हैं। वैसे तो ये व्रत अमूमन एक दिन का ही होता है लेकिन इस बार कुछ ऐसा संयोग बन रहा हैं जिस वजह से इस व्रत को लेकर ये कहा जा रहा है की इस बार ये व्रत दो दिनों तक रखा जाएगा। आइये आपको बताते हैं कि इस बार हरतालिका तीज व्रत रखने का सही दिन और मुहूर्त क्या है।

व्रत रखने के लिए क्यों बन रही है असमंजस की स्थिति 

बता दें कि हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हरतालिका तीज व्रत विशेष तौर पर भादो माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनायी जाती है। लेकिन इस बार इस व्रत को लेकर उहापोह की स्थिति बनी हुई है क्योंकि कुछ लोगों का कहना है कि ये व्रत 1 सितंबर को ही रखा जाएगा जबकि कुछ लोग इसे 2 सितंबर को रखने की सलाह दे रहे हैं। बता दें कि ये असमंजस की स्थिति इसलिए उत्पन्न हुई है क्योंकि चित्रा पक्ष के केतकी गणना से तैयार पंचांग के अनुसार ये व्रत 1 सितम्बर को रखा जाएगा जबकि ग्रहलाघवी पद्धति से तैयार पंचांग के अनुसार ये व्रत 2 सितंबर को रखा जाएगा। हालाँकि हिन्दू पंचांग और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को 1 सितंबर को रखना ज्यादा फलदायी माना जा रहा है। बहरहाल ये व्रत सभी विवाहित और अविवाहित महिलाओं को 1 सितंबर को ही रखना चाहिए।

1 सितंबर के दिन व्रत रखना रहेगा लाभदायक

आपको बता दें कि हमारी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हरतालिका तीज का त्यौहार विशेष रूप से हस्त नक्षत्र और तृतीया तिथि में रखा जाता है। इस हिसाब से हरतालिका तीज 1 सितंबर को ही रखा जाना चाहिए और अगले दिन 2 तारीख को उसका उद्यापन कर व्रत खोलना चाहिए। 2 तारीख को  व्रत को इसलिए नहीं रखा जाना चाहिए क्योंकि 2 तारीख को सूर्योदय के बाद तृतीया तिथि ख़त्म हो जायेगी और चतुर्थी तिथि शुरू होगी। चतुर्थी तिथि में हरतालिका व्रत रखना मान्य नहीं माना जाता है।

क्यों रखती हैं महिलाएं हरतालिका तीज व्रत 

हरतालिका तीज व्रत का संबंध सीधे तौर पर भगवान् शिव और माता पार्वती से है। मान्यता है कि पार्वती माता का विवाह उनके पिता हिमालय ने किसी और से तय कर दिया था ,जबकि वो बचपन से ही शिव जी को अपना पति मान बैठी थीं और नित रोज उनकी आराधना करती थीं। माता पार्वती को जब ये बात पता चली तो वो काफी उदास हुई उनकी इस उदासी को देखकर उनकी सहेलियां उनका हरण कर जंगल में ले गयी और शिव जी के लिए कठोर तप करने को कहा। माना जाता है कि माता पार्वती ने वहां बालू से शिवलिंग का निर्माण किया और शिव भक्ति में लीन हो गयी। उनकी कठोर तप से प्रसन्न होकर शिव जी ने उन्हें साक्षात् दर्शन दिए और उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया। उस दिन भादो माह की तृतीया तिथि थी इसलिए इस दिन को बाद में हरतालिका तीज के रूप में मनाया जाने लगा। महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अच्छा वर पाने के लिए इस दिन निर्जला व्रत रखती हैं।