आज 1 सितंबर को देशभर में हरतालिका तीज का त्यौहार मनाया जा रहा है। महिलाओं के लिए इस त्यौहार को ख़ासा महत्वपूर्ण माना जाता है। हमारे देश में ये त्यौहार विशेष रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है। आज महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं, इस व्रत को सुहागिन महिलाओं के साथ ही कुंवाड़ी लड़कियां भी रख सकती हैं। आज हम आपको विशेष रूप से आज के दिन का महत्व, पूजा विधि और विशेषता के बारे में बताने जा रहे हैं। तो देर किस बात की आइये जानते हैं आज रखें जाने वाले व्रत से जुड़े हर एक पहलू को।
हरतालिका तीज का महत्व
हरतालिका तीज को हिन्दू धर्म में आने वाले सभी चार तीजों में से विशेष महत्वपूर्ण माना जाता है। हरतालिका दो शब्दों के मेल से बना है, हरित और तालिका। बता दें कि हरित मतलब हरण और तालिका मतलब सहेली। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार जब माता पार्वती का विवाह उनके पिता हिमालय ने किसी अन्य जगह पर तय कर कर दी तो वो काफी दुखी हुई क्योंकि उन्होनें बचपन से ही शिव जी को अपना पति मान लिया था। पार्वती माता को दुखी देखकर उनकी सहेलियों ने उनका हरण कर उन्हें जंगल में लेकर गयी और उनसे शिव जी के लिए कठोर तप करने को कहा। माना जाता है कि हरतालिका तीज के दिन ही भगवान् शिव ने माता पार्वती को दर्शन दिए और उनके तप से प्रसन्न होकर उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया। इसलिए इस तीज का नाम हरतालिका तीज पड़ा। इस दिन के बाद से ही आज के दिन व्रत रखने का चलन हो चला और सुहागिन स्त्रियों के साथ ही कुंवाड़ी महिलाएं भी इस दिन निर्जला व्रत रखने लगी। आज के दिन माता पार्वती और भगवान् शिव की पूजा आराधना कर उनसे अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद लिया जाता है। महिलाओं के लिए विशेष रूप से ये एक आस्था और विश्वास का पर्व है।
हरतालिका तीज पूजा विधि
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हरतालिका तीज की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। हिन्दू धर्म के अनुसार प्रदोष काल दिन और रात के बीच का समय माना जाता है। आज के दिन निम्नलिखित विधि से करें माता पार्वती और शिव जी की पूजा अर्चना।
- सूर्योदय से पूर्व उठकर महिलाएं स्नान करें और नए वस्त्र धारण करें।
- आज सुहागिन स्त्रियों को सोलह श्रृंगार करना चाहिए और लाल रंग के वस्त्र धारण करना चाहिए।
- पूजा की शुरआत करने से पहले शिव जी और माता पार्वती की मिट्टी से मूर्ति बनाएं।
- एक छोटे से बर्तन में दूध, चीनी, शहद, दही और घी के मिश्रण का पंचामृत तैयार करें।
- एक पिटारे में सुहाग की सभी चीजों को रखें और पार्वती माता को चढ़ाएं।
- आज पूजा के दौरान शिव जी को भी नए वस्त्र अर्पित करें।
- पूजन विधि समाप्त होने के बाद हरतालिका तीज की कथा सुनें।
- आज रात के वक़्त जागरण करें और भजन करते करते हुए पूरी रात बिताएं।
- अगले दिन सुबह पूजन के बाद अपना व्रत खोलें।