हरतालिका तीज : पति की लंबी उम्र के लिए किया जाने वाला सबसे कठिन व्रत

अपने पतियों की लंबी उम्र के लिए सुहागिन महिलाओं द्वारा किये जाने वाले कई व्रतों में से एक है तीज का व्रत, जिसे अन्य सभी व्रतों में सबसे श्रेष्ठ और सबसे कठिन व्रत माना गया है। यह व्रत निर्जला किया जाता है। इस व्रत के बारे में यदि आप व्यक्तिगत तौर पर कोई जानकारी जानने के इच्छुक हैं तो देश के जाने-माने ज्योतिषियों से प्रश्न अवश्य पूछें। 

हरतालिका व्रत भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है। दरअसल भाद्रपद की शुक्ल तृतीया को हस्त नक्षत्र का संयोग भगवान शिव और माता पार्वती के पूजन को और विशेष बनाता है। नीचे हम आपको इस दिन के शुभ मुहूर्त की संपूर्ण जानकारी भी प्रदान कर रहे हैं। 

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हरतालिका तीज दिन 

21-अगस्त, 2020 दिन शुक्रवार

हरतालिका तीज मुहूर्त 

प्रातःकाल मुहूर्त :05 बज-कर 53 मिनट 39 सेकंड से 08 बज-कर 29 मिनट 45 सेकंड तक

अवधि : 2 घंटे 36 मिनट

प्रदोष काल मुहूर्त :18 बज-कर 54 मिनट 08 सेकंड से 21 बज-कर 06 मिनट 09 सेकंड तक

जानकारी: यहाँ दिया गया मुहूर्त दिल्ली के अनुसार है। अपने शहर के अनुसार शुभ मुहूर्त जानने के लिए यहाँ क्लिक करें

अब बात करते हैं इस व्रत की पूजन विधि और उन नियमों के बारे में जो इस व्रत को अन्य सभी व्रतों की तुलना में अधिक कठिन और फलदायी बनाते हैं।

हरतालिका व्रत पूजन विधि 

  • पतियों की लंबी उम्र और मनचाहे वर की चाह में किया जाने वाले इस तीज व्रत की पूजा प्रदोष मुहूर्त में की जाती है। प्रदोषकाल अर्थात दिन का वो समय जब दिन और रात मिलते हैं।
  • इस व्रत में माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा का विधान बताया गया है। इस पूजा में महिलाएं रेत, बालू और मिट्टी से माता पार्वती की और भगवान शिव की प्रतिमा बनाती हैं।
  • फिर पूजा वाली जगह पर केले के पत्ते को रखकर उसपर भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की मूर्ति को रखा जाता है। उन्हें फूल और सुगंध आदि अर्पित किया जाता है।
  • इसके बाद षोडशोपचार पूजन विधि से माता पार्वती और भगवान शिव और गणेश जी की पूजा की जाती है।
  • इस पूजा में महिलाएं सुहाग का एक पिटारा (जिसमें समस्त सुहाग की चीज़ें मौजूद हों) माता को चढ़ाती हैं। और भगवान शिव को धोती चढ़ाई जाती है। यह इस पूजा का मुख्य और अभिन्न हिस्सा माना गया है।
  • इसके बाद सुहाग की पिटारी और धोती को किसी ब्राह्मण को दान कर दिया जाता है।
  • इसके बाद हरितालिका तीज की कथा सुनें, रात्रि में जागरण करें और सुबह स्नान आदि करने के बाद पूजा कर के व्रत खोला जाता है।

यहाँ क्लिक करके पढ़ें हरितालिका व्रत की कथा और जानें कैसे पड़ा इस दिन का नाम ‘हरतालिका’।

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हरतालिका व्रत के नियम 

जैसा की हमें पहले भी कहा कि समस्त व्रतों में तीज व्रत को बेहद ही कठिन और पुण्यदायी माना जाता है। ऐसे में आइये जानते हैं इस व्रत से जुड़े कुछ ऐसे नियम जो इस व्रत में अनिवार्य होते हैं और इस व्रत की महिमा कई गुना बढ़ा देते हैं। 

  • हरतालिका व्रत निर्जला और बिना कुछ खाए-पिए रहा जाता है। इस व्रत में पूरे दिन भूखे-प्यासे रहने के बाद अगले दिन पूजा के बाद ही अन्न-जल ग्रहण करना होता है।
  • अगर इसे किसी महिला ने शुरू कर दिया है तो, हरतालिका व्रत को बीच में छोड़ा नहीं जाता है। इसे नियमित तौर पर प्रत्येक वर्ष करना ही होता है।
  • इस दिन रात में सोना वर्जित माना गया है। सुहागिन और व्रत करने वाली महिलाएं इस दिन रात में जागरण करती हैं, भजन-कीर्तन करती हैं और अगले दिन सुबह स्नान के बाद पुनः पूजा करती हैं।
  • हरतालिका व्रत कुंवारी कन्याएं भी रखती हैं और वो औरतें जिनके पति अब इस दुनिया में नहीं हैं वो भी इस व्रत को कर सकती हैं।

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हरतालिका तीज के दिन करें यह बेहद सरल उपाय 

इस व्रत के बारे में कहा जाता है कि भगवान शिव को पति के रूप में हासिल करने के लिए माता पार्वती ने इस कठोर व्रत को किया था। जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनकी मनोकामना को पूरा करते हुए उनसे विवाह करने का फैसला लिया था। इस दिन के बारे में कुछ बेहद ही सरल और सटीक उपाय बताये गए हैं जिन्हें अपनाकर आप अपने विवाहित जीवन को सुखमय और खुशहाल बना सकते हैं।

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तीज के दिन किये जाने वाले उपाय 

  • इस दिन जो महिलाएं या लड़कियां व्रत रखती हैं, उन्हें शाम के समय सोलह श्रृंगार कर के भगवान शिव को जल और माता पार्वती को लाल चुनरी चढ़ाने की सलाह दी जाती है। ऐसा करने से विवाहित जीवन में खुशियाँ आती हैं। मंदिर नहीं जा सकती तो घर पर ही इस उपाय को कर लें।
  • हरतालिका तीज की पूजा में खीर का भोग अवश्य लगायें। इस खीर को भगवान को चढ़ाएं और अपने पति को भी खिलाएं। अगले दिन उपवास खोलने पर आप भी इस खीर को ग्रहण करें। ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में खुशहाली और बरक्कत आती है।
  • पूजा के बाद पांच बुज़ुर्ग सुहागिन महिलाओं को साड़ी और बिछिया दान दें। फिर अपने पति के पाँव छूकर आशीर्वाद लें। इससे जीवन में खुशियाँ आती हैं और कलेश दूर होता है।
  • शुभ मुहूर्त में यदि इस दिन अपने पति से मांग भरवाई जाये तो इससे भी जीवन में खुशहाली आती है।

हम आशा करते हैं कि इन उपायों को अपनाकर आप भी अपने जीवन को सुखमय बनायेंगी। हरितालिका तीज की ढ़ेरों शुभकामनाओं के साथ एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए आपका धन्यवाद।