सुखी वैवाहिक जीवन के लिए रखें हरियाली तीज का व्रत, राशि अनुसार उपायों से टल जाएंगे संकट!

सुखी वैवाहिक जीवन के लिए रखें हरियाली तीज का व्रत, राशि अनुसार उपायों से टल जाएंगे संकट!

सनातन धर्म में तीज त्योहार का बहुत अधिक महत्व है। हरियाली तीज के त्योहार को हर साल बहुत अधिक उत्साह के साथ मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह व्रत सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है और इस व्रत को इसे हरियाली तीज या श्रावणी तीज के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व सुहागिन महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है और यह भगवान शिव और देवी पार्वती के दिव्य मिलन का प्रतीक है इसलिए इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करने का विधान है। 

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मान्यताओं के अनुसार, सुहागिन महिलाएं इस दिन अपने पति की लंबी आयु तथा सलामती के लिए यह व्रत रखती है। यह व्रत करवा चौथ के व्रत के जैसा कठिन होता है। ऐसा कहा जाता है कि इसका पालन करने से जीवन में सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। इस व्रत को कुंवारी कन्या भी मनचाहा वर प्राप्त करने के लिए रखती हैं। यह पर्व नाग पंचमी से दो तिथि पूर्व मनाया जाता है। तो आइए जानते हैं कि साल 2024 में हरियाली तीज कब मनाई जाएगी और इस दिन राशि अनुसार उपायों के बारे में, साथ ही और भी बहुत कुछ।

हरियाली तीज 2024: तिथि व समय

सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज का व्रत रखा जाता है। इस साल हरियाली तीज का व्रत 7 अगस्त 2024 को रखा जाएगा। जानते हैं कब हो रही है इस तिथि की शुरुआत।

शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि प्रारंभ: 6 अगस्त 2024 की शाम 07 बजकर 54 मिनट से

शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि समाप्त: 7 अगस्त 2024 की रात 10 बजकर 08 मिनट तक

सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। अतः 07 अगस्त को हरियाली तीज का पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा।

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हरियाली तीज की पूजा विधि

शिव पुराण के अनुसार, इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था इसलिए इस व्रत की विवाहित महिलाओं के लिए बहुत अधिक महत्व है। इस दिन महिलाएं सुखी वैवाहिक जीवन के लिए और कुंवारी कन्याएं अच्छा वर के लिए भोलेनाथ और मां गौरी की विधि-विधान से पूजा अर्चना करती हैं और व्रत रखती है। आइए जानते हैं हरियाली तीज में पूजा विधि के बारे में…

  • हरियाली तीज के दिन सूर्योदय से पहले उठकर घर की साफ-सफाई कर लें और पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव कर लें।
  • इसके बाद घर के मंदिर में साफ चौकी लगाएं और उसपर पीले रंग का कपड़ा बिछा दें। इस चौकी में भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की मूर्तियां स्थापित करें और भगवान को नए वस्त्र पहनाएं।
  • फिर सुहाग से जुड़े सामान को एक थाली में इकट्ठा कर लें और माता पार्वती को अर्पित कर दें।
  • माता पार्वती के बाद भगवान शंकर को वस्त्र अर्पण करें।
  • इसके बाद देवताओं का ध्यान करें और आरती करें।
  • अंत में हरियाली तीज की कथा जरूर सुननी या पढ़नी चाहिए क्योंकि बिना कथा पढ़ें व सुनें पूजा अधूरी मानी जाती है।
  • हरियाली तीज व्रत की पूजा पूरी रात चलती है। इस दौरान रातभर महिलाएं भजन, कीर्तन और जागरण करती हैं।
  • इस दिन सोया नहीं जाता है।

हरियाली तीज के लिए महत्वपूर्ण पूजन सामग्री

हरियाली तीज का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत अधिक खास होता है। इस दौरान पूजा करते समय सामग्री का बहुत अधिक ध्यान रखना चाहिए। ताकि कुछ भी आपसे छूट न जाए आइए जानते हैं हरियाली तीज की पूजन सामग्री के बारे में।

  • पीला वस्त्र 
  • कच्चा सूत
  • हरे रंग के नए वस्त्र
  • केला के पत्ते
  • बेलपत्र
  • भांग
  • धतूरा
  • शमी के पत्ते
  • जनेऊ
  • जटा नारियल
  • चावल
  • दूर्वा घास
  • घी
  • कपूर
  • अबीर-गुलाल
  • श्रीफल
  • चंदन
  • गाय का दूध
  • गंगाजल
  • दही
  • मिश्री
  • शहद और पंचामृत 
  • इसके अलावा, सुहाग का पूरा सामान (जैसे- सिंदूर, बिंदी, चूड़ियां, माहौर, खोल, कुमकुम, कंघी, बिछुआ, मेहंदी, दर्पण और इत्र आदि)।

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हरियाली तीज के व्रत का महत्व

सनातन धर्म के पड़ने वाले सभी व्रत व तीज में हरियाली तीज के व्रत का महत्व बहुत अधिक है। यह व्रत मुख्य रूप से सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं। ऐसी मान्यता है कि हरियाली तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है और वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इसके अलावा, हरियाली तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती के पूजन से सुहागिन महिलाओं को अपने पति की दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। 

हरियाली तीज पर सोलह श्रृंगार का बहुत अधिक महत्व है। इस दिन सुहागिन महिलाओं के मायके से सोलह श्रृंगार का पूरा सामान आता है और महिलाओं को वहीं कपड़े पहनने चाहिए। साथ ही, मायके से आई हुई श्रृंगार की वस्तुओं का ही प्रयोग करना चाहिए। तीज के त्योहार को साल में तीन बार मनाया जाता है जो इस प्रकार है: हरियाली तीज, कजरी तीज और हरतालिका तीज और तीनों की विशेषताएं अलग-अलग हैं।

हरियाली तीज के व्रत का धार्मिक महत्व

जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है कि हरियाली तीज के पर्व को भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के प्रतीक के रूप में माना गया है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शंकर को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए बहुत अधिक कठोर तपस्या की थी, तब भगवान शिव उन्हें पति के रूप में प्राप्त हुए थे। हरियाली तीज का त्योहार सावन माह में पड़ता है क्योंकि सावन का महीना भगवान शिव को अत्यधिक प्रिय है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती व्रत रखने वाली सुहागिन महिलाओं को अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं। यही वजह है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती के पूजन से सुहागिन महिलाओं को सौभाग्यपूर्ण जीवन और पतियों को लंबी आयु की प्राप्ति होती है।

हरियाली तीज के दिन महिलाएं क्यों करती है हरे रंग का श्रृंगार

हरियाली का अर्थ जैसा कि नाम से ही प्रतीत होता है कि इसका संबंध प्रकृति, पेड़-पौधों से हैं इसलिए इस दिन हरे रंग का विशेष महत्व होता है। हरा रंग प्रकृति का रंग होता है और यह रंग मन को भी शांति प्रदान करता है। हिंदू धर्म के अनुसार, हरा रंग भक्ति, प्रचुरता, सकारात्मक ऊर्जा, खुशी, प्रगति, दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य का प्रतिनिधित्व करता है और यह बुध ग्रह का रंग भी है। सनातन धर्म में हरे रंग को अखंड सौभाग्य का प्रतीक माना गया है। यही कारण है कि हरियाली तीज में इस रंग का श्रृंगार करने का बहुत अधिक महत्व है।

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हरियाली तीज के मंत्र

  • ऊँ उमामहेश्वराभ्यां नमः
  • ऊँ गौरये नमः
  • ऊँ पार्वत्यै नमः

पति की लंबी उम्र के लिए मंत्र

हे गौरी शंकरार्धांगी। यथा त्वं शंकर प्रिया। तथा मां कुरु कल्याणी, कान्त कान्तां सुदुर्लभाम्।।

हरियाली तीज से जुड़ी परंपरा

  • सावन के माह में आने वाला त्योहार हरियाली तीज को नवविवाहितों बहुत अधिक विशेष माना गया है। इस त्योहार के दिन यदि महिलाएं मायके में होती हैं तो उन्हें ससुराल बुलाया जाता है।
  • हरियाली तीज से एक दिन पहले सिंजारा मनाने की परंपरा है। इसे सिंजारा या सिंधारा तीज भी कहा जाता है। बता दें कि सिंजारा में लड़की के मायके से ससुराल वालों को सिंजारा (सिंधारा) यानी नवविवाहित के लिए नए कपड़े, आभूषण, श्रृंगार का पूरा सामान, मेहंदी और मिठाई आदि भेजा जाता है।
  • इस दिन मेहंदी लगाना बहुत अधिक शुभ माना जाता है। इस दिन महिलाएं और कुंवारी कन्याएं अपने हाथों पर मेहंदी लगाती हैं, साथ ही, पैरों में लाल रंग आलता भी लगाया जाता है। यह सुहागिन महिलाओं की सुहाग का प्रतीक माना जाता है।
  • हरियाली तीज के दिन सुहागिन महिलाएं अपनी सास के पैर छूकर उन्हें सुहागी देती हैं। यदि सास नहीं हो तो सुहागन जेठानी या किसी अन्य सुहागन वृद्धा को दिया जा सकता है।
  • इस अवसर पर महिलाएं श्रृंगार और नए वस्त्र पहनकर पूरी श्रद्धा से मां पार्वती की पूजा करती हैं।
  • हरियाली तीज के दिन झूला झूलने की भी परंपरा है और साथ ही, लोग गीत भी गाया जाता है।

हरियाली तीज की व्रत कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, माता सती ने हिमालय राज के घर पर माता पार्वती के रूप में पुनर्जन्म लिया। माता पार्वती ने अपने बचपन से ही भगवान शिव को पति रूप में पाने की पूरी कामना कर ली थी। धीरे-धीरे समय बीतता गया और जब माता पार्वती शादी के योग्य हो गई तो उनके पिता हिमालय राज उनकी शादी के लिए योग्य वर की तलाश करने लगे। तभी एक दिन नारद मुनि पर्वत राज हिमालय के पास गए और अपनी बेटी पार्वती के प्रति उनकी चिंता को सुनी। नारद मुनि ने उनकी बात सुनकर उन्हें योग्य वर के रूप में भगवान विष्णु का नाम सुझाया। हिमालय राज को भी भगवान विष्णु दामाद के रूप में पसंद आए और उन्होंने बेटी की शादी के लिए अपनी रजामंदी दे दी।

पिता हिमालय के रजामंदी को जानकर माता पार्वती अत्यधिक चिंतित हो गईं क्योंकि उन्होंने बचपन से ही भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने की कामना की थी और उन्हें पाने के लिए उन्हें पार्वती का रूप लिया। अपने पिता की बात सुनकर माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए वो एकांत जंगल में जाकर कठोर तपस्या की। वहां पर उन्होंने रेत से एक शिवलिंग बनाया और अपनी तपस्या करने लगीं। 

कई समय तक एकांत जंगल में माता पार्वती ने कठोर तपस्या की। इसके बाद माता की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव उनके सामने प्रकट हुए और उन्हें इच्छा पूर्ति का आशीर्वाद दिया। जब पर्वतराज हिमालय को अपनी बेटी पार्वती के मन की बात पता चली तो वे भी भगवान शिव से माता पार्वती की शादी के लिए तैयार हो गए। इसके परिणाम स्वरूप माता पार्वती और भगवान शिव की धूमधाम से शादी संपन्न हुई। तभी से इस दिन को हरियाली तीज के रूप में हर साल मनाया जाता है। 

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हरियाली तीज पर राशि अनुसार करें ये आसान उपाय होगी हर मनोकामना पूरी

हरियाली तीज के दिन यदि आप अपनी राशियों से संबंधित कुछ ख़ास उपायों को अपनाएंगे, तो वह आपके लिए जरूर फलदायी साबित होंगी। तो आइए बिना देरी किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं हरियाली तीज के दिन किए जाने वाले राशि अनुसार उपायों के बारे में।

मेष राशि

मेष राशि की महिलाओं को हरियाली तीज के दिन मंदिर जाकर महादेव को सफेद और माता पार्वती को लाल फूल अर्पित करना चाहिए और इस दौरान ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करते रहना चाहिए। साथ ही, पंचामृत का भोग लगाकर लोगों में प्रसाद के रूप में बांटना चाहिए।

वृषभ राशि

वृषभ राशि की महिलाओं को इस विशेष दिन माता पार्वती को सोलह श्रृंगार की सामग्री अर्पित करनी चाहिए। इसके बाद गाय के दूध से बनी खीर का भोग लगाना चाहिए। ऐसा करने से वैवाहिक जीवन सुख-समृद्धि आएगी और किसी प्रकार की समस्या परेशान नहीं करेगी।

मिथुन राशि

इस राशि की महिलाओं को हरियाली तीज के पावन अवसर पर माता पार्वती को हल्दी और शिवजी को सफेद चंदन अर्पित करना चाहिए। साथ ही उन्हें केले के फल का भोग लगाना चाहिए और बाद में वह केला प्रसाद के रूप में बांटना चाहिए।

कर्क राशि

कर्क राशि की महिलाओं को माता पार्वती को हरसिंगार (हरसिंगार एक लोकप्रिय फूल) का इत्र और महादेव को बिल्वपत्र चढ़ाना चाहिए। भोग के रूप में उन्हें मावे से बनी खीर अर्पित करनी चाहिए। ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में प्रेम बढ़ता है।

सिंह राशि

सिंह राशि की महिलाओं को हरियाली तीज के दिन माता पार्वती को लाल फूल और दूध से बनी मिठाई अर्पित करनी चाहिए। साथ ही, शिव-पार्वती को मोतीचूर के लड्डू का भोग लगाना चाहिए। ऐसा करने से आप बुरी नज़र से बच सकते हैं।

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कन्या राशि

कन्या राशि की महिलाओं को हरियाली तीज के पावन अवसर पर अपने पति के साथ मिलकर रुद्राभिषेक करना चाहिए और माता पार्वती को श्रृंगार की सामग्री अर्पित करनी चाहिए। ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में किसी प्रकार की समस्या नहीं आती और पति की आयु बढ़ती है।

तुला राशि

हरियाली तीज के दिन तुला राशि की सुहागन महिलाओं को भगवान शिव को पंचामृत व माता पार्वती को श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करें करनी चाहिए। यदि संभव हो तो गरीब सुहागन महिलाओं को सुहाग का सामान जरूर दान करें। ऐसा करने से आपका जीवनसाथी सभी समस्याओं से मुक्ति पा लेगा और आप पर भोलेनाथ की विशेष कृपा भी होगी।

वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशि की महिलाओं को हरियाली तीज के दिन भगवान शंकर और माता पार्वती को चमेली के फूल उनके चरणों में अर्पित करने चाहिए। साथ ही माता पार्वती को हरे रंग की चूड़ियां जरूर चढ़ाएं। ऐसा करने से आपका सुहाग बना रहेगा।

धनु राशि

धनु राशि की महिलाओं को गंगाजल में लाल चंदन मिलाकर भगवान शिव और माता पार्वती के चरणों को धोना चाहिए। इसके अलावा, किसी मंदिर में चावल का दान करना भी आपके लिए फलदायी साबित होगा।

मकर राशि

मकर राशि की महिलाओं को हरियाली तीज के दिन माता पार्वती को तुलसी के पत्ते चढ़ाना चाहिए। साथ ही शिव-पार्वती के सामने घी का दीपक जलाना चाहिए। ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में खुशियां आती हैं और सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

कुंभ राशि

कुंभ राशि के जातकों को हरियाली तीज के दिन नारियल चढ़ाना चाहिए, ऐसा करने से उन्हें भगवान शिव व माता पार्वती के साथ-साथ भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी की भी कृपा प्राप्त होती है।

मीन राशि

मीन राशि की विवाहित महिलाओं को हरियाली तीज के दिन सफेद मिठाई और दूध का भोग लगाना चाहिए। साथ ही शिव चालीसा का विधि-विधान से पाठ करना चाहिए। इस उपाय को करने से पति-पत्नी के बीच तनाव कम होता है और रिश्ते में मधुरता देखने को मिलती है।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न 1. साल 2024 में हरियाली तीज कब मनाई जाएगी?

उत्तर 1. सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली या हरतालिका तीज मनाई जाती है। इस साल 07 अगस्त को मनाई जाएगी।

प्रश्न 2. हरियाली तीज क्यों मनाई जाती है?

उत्तर 2. हरियाली तीज का व्रत पति की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है। ऐसी मान्‍यता है कि कठोर तपस्‍या के बाद इसी दिन मां पार्वती का विवाह भगवान शंकर से हुआ था।

प्रश्न 3. हरियाली तीज पर किसकी पूजा होती है?

उत्तर 3. हरियाली तीज पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने का विधान है।

प्रश्न 4. हरियाली तीज में क्या खाएं?

उत्तर 4. तीज के व्रत में आप नारियल पानी, नींबू पानी, मौसंबी का जूस, अनार का जूस और व्रत में पिए जाने वाले अन्य तरल पदार्थों का भी सेवन कर सकते हैं।