ज्ञान पंचमी दिवाली के पाँचवें दिन मनाई जाती है। यह पर्व विशेष रूप से जैन संप्रदाय में प्रचलित है। इस दिन जैन शास्त्र लिख कर उसकी पूजा की गई थी। इससे पहले जैन ज्ञान मौखिक रूप में आचार्य परंपरा से चल रहा था। इस दिन सभी शास्त्र भंडारों की सफाई और पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है, कि इस दिन विधिवत आराधना और ज्ञान की भक्ति करने से कोढ़ जैसे भयंकर रोग भी नष्ट हो जाते हैं।
ज्ञान पंचमी का महत्व
कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ज्ञान पंचमी मनाते हैं। दिवाली के दिन जो लोग माँ शारदा की पूजा नहीं कर पाते है, वे इस दिन लक्ष्मी-गणेश पूजन और माँ सरस्वती की पूजा करके सुख-समृधि और ऐश्वर्य की प्रार्थना करते हैं। ज्ञान पंचमी पर्व से यह संदेश मिलता है, कि ज्ञान के प्रति दुर्भाव रखने से व्यक्ति के ज्ञानावर्णीय कर्म का बंध होता है, इसीलिए हमें ज्ञान की महिमा को/ दिल से स्वीकार करके उसकी आराधना करनी चाहिए। व्यक्ति को हमेशा यथाशक्ति ज्ञान प्राप्त करने की कोशिश करनी चाहिए और दूसरों के भी पठन-पाठन में भी योगदान देना चाहिए। ज्ञान एक ऐसी चीज़ है, जिसे जितना बांटें उतना अच्छा होता है।
ज़रूर करें आज यह काम
- आज के दिन गरीब विद्यार्थियों को श्रुत ग्रन्थ दान में देना चाहिए।
- आज ज्ञान पंचमी के दिन श्रुत की पूजा करनी चाहिए।
- अपने सामर्थ्य अनुसार किसी गरीब बच्चे को आर्थिक सहयोग दे।
- लोगों के बीच धार्मिक ग्रंथों का वितरण करें।
- यदि आप सक्षम हैं तो पाठशालाएं चलाएँ, या फिर पाठशाला चलाने वालों को सहयोग दे।
- आपके पास जो भी ज्ञान है, उसका दूसरों को लाभ दे।
- आज के दिन श्रुत के अभ्यास, प्रचार और प्रसार का संकल्प करना चाहिए।
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