बृहस्पति का मेष राशि में उदय: ज्योतिष शास्त्र में हर एक ग्रह के गोचर का अपना एक विशेष महत्व है और इसका प्रभाव हमारे जीवन पर भी बहुत अधिक पड़ता है। बृहस्पति मेष राशि में उदय होने जा रहे हैं और एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में हम इस खगोलीय घटना से जुड़ी सारी महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल करेंगे। हम इसके राशि अनुसार प्रभाव, उपायों, तिथि और समय हर एक पहलू के बारे में विस्तार से जानेंगे।
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हम सभी इस बात से परिचित हैं कि ग्रहों की दशा और दिशा का हमारे जीवन के अलग-अलग क्षेत्रों पर नकारात्मक और सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। बृहस्पति के उदय को अगर आसान भाषा में कहें तो इसका मतलब है बृहस्पति की शक्तियों का वापस आना। सबसे बड़े और ज्योतिष शास्त्र के महत्वपूर्ण ग्रह देव गुरु बृहस्पति मेष राशि में उदय होने जा रहे हैं। गुरु को धर्म, आध्यात्मिकता, प्रगति, भाग्य, नैतिकता, और शिक्षा का दाता माना जाता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बृहस्पति बेहद ही शुभ ग्रह हैं और जातकों को कई अलग-अलग लाभ प्रदान करते हैं। आइए अब आगे चलते हुए बृहस्पति का मेष राशि में उदय से संबंधित दूसरे अहम पहलू जानते हैं।
बृहस्पति का मेष राशि में उदय: तिथि और समय
देव गुरु बृहस्पति 27 अप्रैल, 2023 को 02 बजकर 07 मिनट पर मेष राशि में उदय होंगे। बता दें मेष राशि पर मंगल का शासन है और बृहस्पति से इनके अच्छे संबंध हैं।
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बृहस्पति का मेष राशि में उदय: प्रभाव
मेष राशि के जातकों के लिए बृहस्पति नौवें और बारहवें भाव के स्वामी हैं और अब यह पहले भाव में उदित होंगे। इसके परिणामस्वरूप आपका झुकाव अध्यात्म की ओर बढ़ेगा और आपके विदेश यात्रा के भी प्रबल योग हैं। करियर के लिहाज़ से बृहस्पति का आपकी राशि में उदय होने से आपको प्रमोशन, मान-सम्मान और नए अवसरों की प्राप्त होगी। कुछ जातकों की नौकरी में बदलाव के भी संकेत हैं और यदि आप बिज़नेस करते हैं तो यह अवधि आपके लिए कई सारे लाभ लेकर आएगी। आर्थिक दृष्टिकोण से आपके लिए यह समय उत्तम परिणाम लेकर आएगा। हालांकि, बातचीत की कमी के कारण थोड़ी बहुत परेशानियां पैदा हो सकते हैं लेकिन आप आसानी से इससे बाहर निकल आएंगे। स्वास्थ्य की दृष्टि से आपको पैरों में दर्द, पाचन संबंधी परेशानी और सिरदर्द की शिकायत रहने के आसार हैं। हालांकि कोई भी बड़ी दिक्कत नहीं होगी।
ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह
वैदिक ज्योतिष शास्त्र में देव गुरु बृहस्पति को उच्च स्थान प्राप्त है और इनके आशीर्वाद से जातकों को जीवन में कई लाभ प्राप्त होते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो गुरु के आशीर्वाद से आपको जीवन के हर क्षेत्र में भाग्य का भरपूर साथ प्राप्त होता है। धनु और मीन राशि पर बृहस्पति का शासन है।
रोमन पौराणिक कथाओं के अनुसार बृहस्पति को देवों के राजा के रूप में दर्शाया गया है। बृहस्पति शिक्षा और कौशल का प्रतिनिधित्व करते हैं। देव गुरु बृहस्पति किसी एक राशि में करीब एक साल तक रहते हैं और यह वायु तत्व की राशि है। अगर आपकी कुंडली में बृहस्पति मज़बूत स्थिति में होते हैं तो इसके परिणामस्वरूप आपको जीवन के अलग-अलग क्षेत्रों में कामयाबी हासिल होती है। वहीं, अगर आपकी कुंडली में गुरु की स्थिति कमज़ोर है तो, इसके फलस्वरूप आपको ज़िंदगी में कुछ कठिनाइयों का सामना भी करना पड़ सकता है।
बृहस्पति की उच्च राशि कर्क है जबकि मीन इनकी नीच राशि मानी जाती है। ज्योतिष शास्त्र में गुरु 27 नक्षत्रों में पुनर्वसु, विशाखा और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र पर भी शासन करते हैं। देव गुरु के आशीर्वाद से आपके अंदर सात्विक गुणों का विकास होता है, ऐसे जातक कानून और न्याय में भरोसा रखते हैं। ये ज्ञानी व परोपकारी भी होते हैं। गुरुवार का दिन बृहस्पति को समर्पित है और पुखराज रत्न इनका प्रतिनिधित्व करता है।
कुंडली में मज़बूत बृहस्पति के लाभ
जिन जातकों की कुंडली में बृहस्पति मज़बूत स्थिति में होते हैं, उन्हें जीवन में कुछ ख़ास लाभ प्राप्त होते हैं।
हर क्षेत्र में प्रगति
देव गुरु बृहस्पति के आशीर्वाद से जातकों को पर्सनल और प्रोफेशनल दोनों ही क्षेत्रों में भाग्य का भरपूर साथ प्राप्त होता है।
नैतिकता का भाव
बृहस्पति के आशीर्वाद से जातकों के ज्ञान में वृद्धि होती है और बुद्धि प्रखर होती है। इसके परिणामस्वरूप यह जातक अत्यंत सिद्धांतवादी होते हैं और हमेशा न्याय परस्त रहते हैं।
धन प्राप्ति और भाग्य का साथ
गुरु के आशीर्वाद से जातकों को जीवन में कभी भी आर्थिक जीवन में दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ता है और ऐसे जातकों को पैसों की तंगी नहीं होती है।
शारीरिक बनावट
गुरु के आशीर्वाद से जातक शारीरिक रूप से मज़बूत होते हैं क्योंकि इनका अधिक झुकाव खेल-कूद में अधिक होता है।
कमज़ोर बृहस्पति के नकारात्मक प्रभाव
भाग्य का साथ न मिलना
जिन जातकों की कुंडली में बृहस्पति पीड़ित अवस्था में मौजूद होते हैं उन्हें जीवन में आर्थिक तंगी, कर्ज और मान-सम्मान में गिरावट का सामना करना पड़ता है।
अति आत्मविश्वासी
कुंडली में बृहस्पति के कमज़ोर होने से जातक अति आत्मविश्वासी और लापरवाह हो जाता है। कई बार फिजूलखर्ची करने लगता है। ऐसे जातक सही फैसले लेने में गलतियां करते हैं।
रिश्तों में खटास
बृहस्पति के दुष्प्रभाव के कारण जातकों बुरी आदतों की वजह से गलत व्यवहार करने लगता है और इसका प्रभाव पारिवारिक संबंधों पर पड़ता है। इसके अलावा ये जातक जुआ जैसी बुरी आदतों में भी लिप्त हो सकते हैं।
स्वास्थ्य से संबंधित दिक्कत
कुंडली में कमज़ोर बृहस्पति के कारण जातकों को स्वास्थ्य से संबंधित अलग-अलग परेशानियां जैसे पाचन में दिक्कत, मानसिक तनाव, बवासीर, सांस संबंधित बीमारियां होने का खतरा अधिक होता है।
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कुंडली में बृहस्पति को मज़बूत करने के आसान उपाय
कुछ आसान और सरल उपायों की मदद से आप अपनी कुंडली में बृहस्पति को मज़बूत कर सकते हैं।
- सप्ताह में गुरुवार का दिन बृहस्पति को समर्पित है इसलिए इस दिन जातकों को व्रत रखना चाहिए और पीले रंग के वस्त्र, मिठाई, शहद और चना दाल जैसी चीजों का दान करना चाहिए।
- बृहस्पति को मज़बूत करने के लिए पुखराज पहन सकते हैं हालांकि, इसे पहनने से पहले किसी विद्वान ज्योतिषी की सलाह अवश्य लें।
- आपको हमेशा अपने शिक्षकों, आध्यात्मिक गुरुओं और बड़ों को सम्मान करना चाहिए।
- गुरु का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए बृहस्पति के बीज मंत्र “ॐ बृं बृहस्पतये नमः” का जाप करना चाहिए।
- अपनी कुंडली में बृहस्पति को मज़बूत करने के लिए आप पंचमुखी रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं।
- बृहस्पतिवार को पीले रंग के वस्त्र धारण करें और विष्णु सहस्त्रनाम और हरिवंश पुराण का पाठ करना चाहिए।
बृहस्पति का मेष राशि में उदय: राशि अनुसार भविष्यफल
मेष
आपकी कुंडली के नौवें और बारहवें भाव के स्वामी बृहस्पति हैं और अब वह पहले भाव में मौजूद हैं। पहला भाव…(विस्तार से पढ़ें)
वृषभ
आपकी कुंडली के आठवें और ग्यारहवें भाव पर बृहस्पति का शासन हैं और अब वह बारहवें भाव में मौजूद हैं। यह भाव…(विस्तार से पढ़ें)
मिथुन
आपकी कुंडली के सातवें और दसवें भाव पर बृहस्पति का शासन है और अब वह ग्यारहवें भाव में उदय होने जा रहे…(विस्तार से पढ़ें)
कर्क
कर्क राशि के जातकों के लिए बृहस्पति छठे और नौवें भाव के स्वामी हैं और अब वह दसवें भाव में उदय होने जा रहे…(विस्तार से पढ़ें)
सिंह
बृहस्पति आपकी कुंडली के पांचवें और आठवें भाव के स्वामी हैं और अब वह नौवें भाव में मौजूद हैं। नौवां भाव लंबी…(विस्तार से पढ़ें)
कन्या
बृहस्पति आपकी कुंडली के चौथे और सातवें भाव के स्वामी हैं और अब वह आठवें भाव में मौजूद हैं। आठवां भाव…(विस्तार से पढ़ें)
तुला
तुला राशि के जातकों के लिए बृहस्पति तीसरे और छठे भाव के स्वामी हैं और अब वह सातवें भाव में मौजूद है। सातवां भाव…(विस्तार से पढ़ें)
वृश्चिक
आपकी कुंडली के दूसरे और पांचवें भाव पर बृहस्पति का शासन हैं और अब वह छठे भाव में मौजूद हैं। छठा भाव चिंता…(विस्तार से पढ़ें)
धनु
आपकी कुंडली के पहले और चौथे भाव पर बृहस्पति का शासन है और अब वह पांचवें भाव में मौजूद हैं। पांचवां आध्यात्मिकता…(विस्तार से पढ़ें)
मकर
बृहस्पति आपकी कुंडली के तीसरे और बारहवें भाव के स्वामी हैं और अभी वह चौथे भाव में मौजूद हैं। चौथा भाव प्रॉपर्टी…(विस्तार से पढ़ें)
कुंभ
आपकी कुंडली के दूसरे और ग्यारहवें भाव पर बृहस्पति का शासन है और अब वह तीसरे भाव में उदय होने जा रहे हैं…(विस्तार से पढ़ें)
मीन
मीन राशि के जातकों के लिए बृहस्पति पहले और दसवें भाव के स्वामी हैं और अब वह आपकी कुंडली के दूसरे भाव…(विस्तार से पढ़ें)
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