गुरु गोबिंद सिंह जयंती विशेष: जानें उनके जीवन से जुड़ी कुछ बातें

गुरु गोबिंद सिंह जयंती इस वर्ष 20 जनवरी बुधवार को मनाई जाएगी। सिख धर्म के साथ-साथ हिंदू धर्म को मानने वाले लोग भी इस दिन को बेहद महत्वपूर्ण मानते हैं। जानकारी के लिए बता दें कि, गुरु गोविंद सिंह सिख धर्म के दसवें और आखिरी गुरु थे। प्रत्येक वर्ष में गुरु गोविंद सिंह जी का जन्मोत्सव दिसंबर या जनवरी के महीने में मनाया जाता है। तो आइये गुरु गोबिंद सिंह की जयंती के मौके पर जानते हैं उनके जीवन से जुड़े कुछ बेहद रोचक किस्से और जानकारियाँ।

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गुरु गोबिंद सिंह का जन्म

गुरु तेग बहादुर जी के घर जन्मे गुरु गोबिंद सिंह की माता का नाम गुजरी देवी था। बता दें कि,  गुरु तेग बहादुर जी सिख धर्म के नौवें गुरु थे। गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म पटना में हुआ था, और यहीं पर उन्होंने अपनी जिंदगी के लगभग साल व्यतीत किये थे। पटना में जिस घर में गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म हुआ था ‘तख्त श्री पटना साहिब’ आज उसी जगह पर स्थित है। 

गुरु गोबिंद सिंह जी के जीवन की कुछ महत्वपूर्ण और रोचक बातें 

  • गुरु गोविंद सिंह के पिता गुरु तेग बहादुर जी ने इस्लाम धर्म स्वीकार करने से मना कर दिया था, और इसलिए उनकी हत्या कर दी गई थी। 
  • ऐसे में सिख धर्म में आस्था रखने वाले लोग आज भी गुरु तेग बहादुर जी को एक योद्धा के रूप में मानते और सम्मानित करते हैं। सिख धर्म मानने वाले लोग गुरु गोविंद सिंह के पिता जी को एक आदर्श मानते हैं जिन्होंने धार्मिक आस्था के लिये खुशी-खुशी अपनी जान तक दे दी लेकिन अपना धर्म नहीं बदला। 
  • बताया जाता है कि अपने पिता के हत्यारों को सबक सिखाने के उद्देश्य से ही गोबिंद सिंह जी ने अपने दम पर योद्धाओं की सेना तैयार की थी। 
  • यही वजह है कि गुरु गोबिंद सिंह ने अपने सैनिकों को हमेशा धार्मिक जीवन जीने का संदेश दिया था और कहा था कि, “अपने धर्म के प्रति सदैव समर्पित रहे।’ 
  • अपनी सेना को उन्होंने नाम दिया खालसा सेना और उन्हें धार्मिक और राजनीतिक आजादी पाने के लिये संदेश दिया। 
  • गुरु गोबिंद सिंह जी का उद्देश्य था कि उनके योद्धा मुगल शासकों के खिलाफ खड़े हों और उनके अत्याचारों के खिलाफ लड़ें।

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गुरु गोबिंद सिंह जयंती महत्व 

आज के समय में सिख धर्म में आस्था रखने वाले भारत के लोगों के साथ साथ पूरी दुनिया के सिख समुदाय के लोग गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती मनाते हैं और इस दिन उनके द्वारा अपने धर्म और एनी सभी शिक्षाओं को याद करते हैं। अपने जीवन काल में गुरु गोबिंद सिंह जी ने लोगों को कई शिक्षाएं दी थी जिनमें से एक प्रसिद्ध सीख यही थी कि, “हमें दूसरों की उन्नति की कामना करनी चाहिए और हमें हर हाल में सदैव अपने धर्म का पालन करना चाहिए।” गुरु गोबिंद सिंह की जयंती के दिन देश भर के गुरुद्वारों में गोबिंद सिंह जी की कविताओं को सुना और अन्य लोगों को सुनाया जाता है। गोबिंद सिंह जी ने अपने जीवन में जो उपलब्धियां प्राप्त की थी उससे इस दिन हर व्यक्ति तक पहुंचाने कोशिश की जाती है। इस दिन लोगों लंगरों को आयोजन करते हैं और निस्वार्थ भाव से सभी और किसी भी धर्म के लोगों को भोजन कराते हैं।

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क्या  है खालसा पंथ? और क्या है इसका उद्देश्य? 

सिख धर्म के आखिरी धर्म गुरु श्री गोबिंद सिंह जी ने सिख धर्म में कई सकारात्मक परिवर्तन करने के लिए जाने जाते हैं। गुरु गोबिंद सिंह जी द्वारा खालसा पंथ की स्थापना की गई थी। खालसा पंथ सिख धर्म के उन अनुयायियों के समूह को कहा गया जिन्होंने सिख धर्म की विधिवत शिक्षा प्राप्त की थी। गोबिंद सिंह जी ने जब सिख समुदाय की एक सभा में खालसा पंथ की स्थापना की थी तब उन्होंने सिख धर्म को पांच ककारों के महत्व को समझाया था। यह पांच ककार थे- केश, कड़ा, कंघा, किरपान/कृपाण, कच्चेरा। ये पांच ककार सिख समुदाय के लोगों के लिए बेहद ही महत्वपूर्ण बताये गए हैं। सिख धर्म को मानने वाले लोग आज भी गुरु गोबिंद सिंह जी की शिक्षाओं पर अमल करते हैं और उनकी शिक्षाओं के द्वारा अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करते हैं।

गुरु गोविंद सिंह की रचनाएँ

गुरु गोबिंद सिंह जी को सिख धर्म का आखिरी गुरु कहा जाता है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर उनके बाद सिख धर्म का नेतृत्व किसने किया? तो इस सवाल के जवाब में बताया जाता है कि, ‘गुरु गोविंद सिंह जी ने सिखों के पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब को पूर्ण कर उसे अपने बाद सिक्खों के गुरु के रूप में स्थापित किया था। अर्थात उनके बाद सिखों का नेतृत्व का जिम्मा गुरु ग्रन्थ साहिब का था। साथ ही कई विशेष लिखित रचनाएं जैसे कि दसम ग्रंथ, जाप साहिब, अकाल उस्तत, चण्डी चरित्र, जफरनामा, शास्त्र नाम माला, अथ पख्याँ चरित्र लिख्यते, खालसा महिमा आदि गुरु गोविंद सिंह द्वारा ही रचित है।

गुरु गोविंद सिंह जी के शब्द/कहावतें 

  • असहाय लोगों पर अपनी तलवार या शक्ति का प्रदर्शन कभी नहीं करना चाहिए। वरना विधाता तुम्हारा खून स्वयं बहाएगा।
  • अच्छे कर्मों के द्वारा तुम्हें सच्चे गुरु की प्राप्ति होती है, साथ ही ईश्वर की दया से आपको उनका आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।
  • मनुष्य से प्रेम करना ही ईश्वर के प्रति सच्ची भक्ति है।
  • ईश्वर ने मनुष्य को जन्म ही इसलिए दिया है, ताकि वह अच्छे और बुरे कर्मों की पहचान कर सके।
  • मनुष्य को अपनी कमाई का दसवां हिस्सा हमेशा दान करना चाहिए।

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