गुरु मीन राशि में अस्त: बृहस्पति ग्रह को सभी 9 ग्रहों में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है जो कि एक शुभ ग्रह है। हिंदू धर्म में इन्हें देवताओं के गुरु की संज्ञा दी गई है। आपको बता दें कि बाकी ग्रहों की तरह ही गुरु ग्रह भी मनुष्य जीवन को अत्यधिक प्रभावित करते हैं। यह आशावाद, प्रचुरता, भाग्य, सौभाग्य, विस्तार और वृद्धि के कारक हैं। ऐसे में, बृहस्पति ग्रह का गोचर या स्थिति परिवर्तन बेहद मायने रखता है। एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में हम आपको गुरु के मीन राशि में अस्त होने के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे। साथ ही, वैज्ञानिक व ज्योतिष में गुरु के महत्व के बारे में भी चर्चा करेंगे।
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ज्योतिष में गुरु ग्रह का महत्व
जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है कि बृहस्पति ग्रह को ‘गुरु’ कहा जाता है। यह धनु और मीन राशि के स्वामी हैं और कर्क इनकी उच्च राशि है जबकि मकर इनकी नीच राशि मानी जाती है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, बृहस्पति की मित्रता सूर्य, चंद्र व मंगल से है और बुध, शुक्र व राहु के साथ ये शत्रुता का भाव रखते हैं। हालांकि शनि और केतु के साथ बृहस्पति के संबंध तटस्थ माने जाते हैं। बृहस्पति प्रत्येक राशि में एक वर्ष बिताते हैं यानी कि राशि चक्र के चारों ओर घूमने में इन्हें 12 वर्ष लगते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिस व्यक्ति पर बृहस्पति ग्रह की कृपा बरसती है उस व्यक्ति के अंदर सात्विक गुणों का विकास होता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति सत्य के मार्ग पर चलता है।
पुखराज बृहस्पति ग्रह का रत्न है। वहीं अगर नक्षत्रों की बात करें तो 27 नक्षत्रों में पुनर्वसु, विशाखा, और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के स्वामी देव गुरु बृहस्पति ही हैं। जिन जातकों की जन्म कुंडली में बृहस्पति ग्रह मजबूत स्थिति में होते हैं वे उदार प्रवृत्ति के होते हैं तथा अन्य जनों के प्रति उनके मन में प्रेम तथा सहानुभूति का भाव विद्यमान रहता है। साथ ही ये लोग आत्मविश्वास से परिपूर्ण होते हैं। कुंडली में बृहस्पति की कमजोर स्थिति के कारण जातक कई चीजों के प्रति बेहद लापरवाह रवैया अपनाते हैं और झूठी आशाओं के साथ जीते हैं। कहा जाता है कि यदि कुंडली में कोई भाव कमजोर हो और उस पर गुरु की दृष्टि पड़ जाए तो वह भाव मजबूत हो जाता है।
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बृहस्पति का वैज्ञानिक महत्व
बृहस्पति सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह होने के साथ ही ये एक गैसीय ग्रह है जो हाइड्रोजन और हीलियम से मिलकर बना है। बृहस्पति ग्रह पर करीब 300 से अधिक सालों से लगातार एक भयंकर तूफान चल रहा है। बाहर से देखने पर यह तूफान एक लाल धब्बे की तरह नजर आता है, जिसे ‘द ग्रेट रेड स्पॉट’ कहते हैं। बृहस्पति के 80 प्राकृतिक उपग्रह यानी चंद्रमा हैं। बृहस्पति का वातावरण काफी घना है और इसमें छल्ले (वलय) की एक प्रणाली है जो दिखाई नहीं देती है।
गुरु मीन राशि में अस्त: तिथि व समय
सुख, सौभाग्य, यश, वैभव, धन के कारक ग्रह बृहस्पति 28 मार्च 2023 की सुबह 9 बजकर 20 मिनट पर मीन राशि में अस्त हो जाएंगे। मीन राशि के जातक बेहद रचनात्मक और कलात्मक विचारों के होते हैं। साथ ही कल्पनाशील मानसिकता के होते हैं। ऐसे में गुरु ग्रह का मीन राशि में अस्त होना अनेक प्रकार के बड़े बदलाव लेकर आ सकता है। कुछ राशियों के लिए गुरु का अस्त होना सकारात्मक साबित होगा तो कुछ राशियों के लिए यह नकारात्मक परिणाम भी लेकर आ सकता है। तो आइये बिना देरी किये जानते हैं कि देव गुरु बृहस्पति मीन में अस्त होकर आपकी राशि को किस प्रकार प्रभावित करेंगे।
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गुरु मीन राशि में अस्त: सभी राशियों पर प्रभाव
मेष राशि
देव गुरु बृहस्पति आपके नौवें और बारहवें भाव के स्वामी हैं और अब यह मीन राशि के बारहवें भाव में और फिर मेष राशि के लग्न भाव में अस्त होंगे। बृहस्पति के बारहवें भाव अस्त होने के दौरान… (विस्तार से पढ़ें)
वृषभ राशि
वृषभ राशि के लिए देव गुरु बृहस्पति आठवें और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं और अब यह मीन राशि के ग्यारहवें भाव में और फिर मेष राशि के बारहवें भाव में अस्त होंगे…(विस्तार से पढ़ें)
मिथुन राशि
देव गुरु बृहस्पति आपके सातवें और दसवें भाव के स्वामी हैं और इस अवधि में यह मीन राशि के दसवें भाव में और फिर मेष राशि के ग्यारहवें भाव में अस्त होंगे। यह अवधि आपके पेशेवर जीवन के लिए अनुकूल प्रतीत नहीं हो रही है। इस दौरान…(विस्तार से पढ़ें)
कर्क राशि
कर्क राशि के जातकों के लिए बृहस्पति नौवें व छठे भाव के स्वामी हैं। यह मीन राशि के नौवें भाव में और फिर मेष राशि के दसवें भाव में अस्त होंगे…(विस्तार से पढ़ें)
सिंह राशि
देव गुरु बृहस्पति आपके पांचवें और आठवें भाव के स्वामी हैं। आपके लिए यह मीन राशि के आठवें भाव में और फिर मेष राशि के नौवें भाव में अस्त होंगे। गुरु का आठवें भाव में अस्त…(विस्तार से पढ़ें)
कन्या राशि
कन्या राशि के लिए गुरु चौथे और सातवें भाव के स्वामी हैं और आपके लिए यह मीन राशि के सातवें भाव में और फिर मेष राशि के आठवें भाव में अस्त होंगे…(विस्तार से पढ़ें)
तुला राशि
तुला राशि के लिए देव गुरु बृहस्पति तीसरे और छठे भाव के स्वामी हैं और अब यह आपके लिए मीन राशि के छठे भाव में और फिर मेष राशि के सातवें भाव में अस्त होंगे…(विस्तार से पढ़ें)
वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि के लिए बृहस्पति दूसरे और पांचवें भाव के स्वामी हैं और यह आपके लिए मीन राशि के पांचवें भाव और फिर मेष राशि के छठे भाव में अस्त होंगे…(विस्तार से पढ़ें)
धनु राशि
धनु राशि के लिए बृहस्पति लग्न और चौथे भाव के स्वामी हैं और यह आपके लिए मीन राशि के चौथे भाव में और फिर मेष राशि के पांचवें भाव में अस्त होंगे…(विस्तार से पढ़ें)
मकर राशि
मकर राशि के लिए देव गुरु बृहस्पति तीसरे और बारहवें भाव के स्वामी हैं और अब यह आपके लिए मीन राशि के तीसरे भाव में और फिर मेष राशि के चौथे भाव में अस्त होंगे…(विस्तार से पढ़ें)
कुंभ राशि
कुंभ राशि के लिए गुरु दूसरे और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं और अब यह आपके लिए मीन राशि के दूसरे भाव में और फिर मेष राशि के तीसरे भाव में अस्त होंगे…(विस्तार से पढ़ें)
मीन राशि
मीन राशि के लिए बृहस्पति लग्न और दसवें भाव के स्वामी हैं और अब यह आपके लग्न भाव में और फिर मेष राशि के दूसरे भाव में अस्त होंगे। बृहस्पति आपके लग्न के स्वामी हैं इसलिए…(विस्तार से पढ़ें)
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