सनातन धर्म में नवरात्रि का बहुत महत्व है। हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक साल 04 नवरात्रि पड़ती है जिसमें से दो नवरात्रि प्रत्यक्ष और दो नवरात्रि गुप्त हैं। ये चार नवरात्रि हिन्दू पंचांग के चार महीने अश्विन, चैत्र, माघ और आषाढ़ महीने में मनाए जाते हैं। इनमें से माघ और आषाढ़ महीने में पड़ने वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि माना गया है। चूंकि आषाढ़ महीना अपने मध्य में प्रवेश कर चुका है, ऐसे में आज हम इस लेख में आपको आषाढ़ महीने में पड़ने वाली गुप्त नवरात्रि से जुड़ी कुछ जरूरी जानकारी देने वाले हैं।
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कब है आषाढ़ नवरात्रि?
हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक साल आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गुप्त नवरात्रि की शुरुआत होती है। ऐसे में साल 2021 में आषाढ़ महीने में पड़ने वाली गुप्त नवरात्रि 11 जुलाई को मनाई जाने वाली है। इस साल षष्ठी और सप्तमी तिथि एक ही दिन पड़ रही है जिसकी वजह से इस साल आषाढ़ नवरात्रि आठ दिनों तक ही मनाई जाएगी और इसका समापन 18 जुलाई 2021 को हो जाएगा।
कलश स्थापन का शुभ मुहूर्त
11 जुलाई को सुबह 05 बजकर 31 मिनट से लेकर 07 बजकर 47 मिनट तक कलश स्थापन किया जा सकता है। इसके अलावा आप अभिजीत मुहूर्त यानी कि दोपहर के 11 बजकर 59 मिनट से 12 बजकर 54 मिनट के बीच भी कलश स्थापन कर सकते हैं।
क्या है गुप्त नवरात्रि का महत्व?
सनातन धर्म में गुप्त नवरात्रि को विशेष माना गया है। गुप्त नवरात्रि के दौरान साधुओं और तांत्रिकों द्वारा तंत्र मंत्र और सिद्धि साधना पाने के लिए दस महाविद्या की पूजा की जाती है। गुप्त नवरात्रि के दौरान दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से सारी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। हालांकि गुप्त नवरात्रि के व्रत और नियम काफी कठिन माने जाते हैं। तांत्रिक व साधक इस नवरात्रि में दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति के लिए माँ दुर्गा और दस महाविद्या की पूजा आराधना करते हैं।
कौन हैं दस महाविद्या?
माँ काली, माँ तारा, माँ त्रिपुर सुंदरी, माता भुवनेश्वरी, माँ छिन्नमस्ता, माता त्रिपुर भैरवी, माँ धूमावती, माता बगुलामुखी, माँ मातंगी और माता कमला देवी को दस महाविद्या के रूप में जाना जाता है। सिद्धि साधना हेतु दस महाविद्या को प्रसन्न व पूजा जाता है।
गुप्त नवरात्रि की पूजा सामाग्री
गुप्त नवरात्रि में जातकों को सात तरह के अनाज, घी, गंगाजल, पवित्र नदी की रेट, पान, हल्दी, लौंग, इलायची, सिक्के, सुपारी, चन्दन, कलश, जौ, मौली, रोली चन्दन, अक्षत, पुष्प आदि की जरूरत होती है।
क्या है गुप्त नवरात्रि की पूजा विधि?
गुप्त नवरात्रि में अघोरी व तांत्रि आधी रात को माँ दुर्गा की पूजा करते हैं। इस दौरान मटा की प्रतिमा को स्थापित कर उनपे लाल रंग का सिंदूर चढ़ाया जाता है और साथ ही सुनहरे गोते वाली चुनरी अर्पित की जाती है। इसके बाद माता के चरणों में पूजा सामाग्री अर्पित की जाती है। सरसों के तेल का दीपक जलाकर ‘ॐ दुं दुर्गायै नमः” मंत्र का जाप किया जाता है। गुप्त नवरात्रि के दौरान माता की पूजा भी गुप्त तरीके से की जाती है।
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