गोवर्धन पूजा दीपावली के अगले दिन मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध त्योहार है, जो भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं को समर्पित है। इस बार गोवर्धन पूजा का त्यौहार सोमवार, 28 अक्टूबर 2019 को धूमधाम से मनाया जाएगा। इस दिन गिरिराज गोवर्धन जी महाराज की परिक्रमा करने का भी विधान है। यह परिक्रमा 7 कोस की होती है, जो लगभग 21 किलोमीटर मानी जाती है। इस परिक्रमा से आपकी किस्मत के दरवाजे खुल जाते हैं और भगवान श्री कृष्ण की कृपा आप पर बरसने लगती है। इस खबर के माध्यम से हम आपको बताएँगे कि गिरिराज गोवर्धन जी महाराज की परिक्रमा से कैसे बदल सकते हैं, आप अपना भाग्य।
गिरिराज गोवर्धन जी महाराज की 7 कोस की परिक्रमा
दुनिया भर में भगवान श्री कृष्ण का नाम प्रसिद्ध है, क्योंकि उन्होंने आम जनमानस को अनेक ऐसे शिक्षाऐं दी हैं, जो उनके आम जीवन में बहुत काम आती हैं। ऐसे ही गोवर्धन गिरिराज जी महाराज हैं, जिन्हें गोवर्धन पर्वत के नाम से भी जाना जाता है। भगवान श्री कृष्ण ने बैकुंठ जाने के समय हनुमान जी से कहा कि कलयुग में साक्षात गोवर्धन पर्वत को ही तुम मेरे समान मानना और जो भी व्यक्ति इस पर्वत की परिक्रमा करेगा, तुम उसके साक्षी बनना। इस परिक्रमा के द्वारा उस प्राणी के जीवन में सभी समस्याओं का अंत हो जाएगा।
द्वापर युग से है गिरिराज जी की महत्ता
भगवान श्री कृष्ण ने अपने बालपन में ही देवराज इंद्र के अहंकार को दूर करने के लिए 7 दिन तक घनघोर वर्षा से गांव वासियों को सुरक्षित रखने के लिए अपनी कनिष्ठिका उंगली पर गोवर्धन पर्वत को धारण किया था और समस्त गांव वासियों की रक्षा की थी और इससे देवराज इंद्र का गर्व चूर हुआ। उन्होंने भगवान श्री कृष्ण से अपनी गलती हेतु क्षमा मांगी और स्वयं गोवर्धन पर्वत की पूजा की। तभी से गिरिराज गोवर्धन जी महाराज की परिक्रमा का चलन शुरू हुआ।
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गोवर्धन पूजा और गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा
गोवर्धन पूजा के दिन लोग गोबर से गोवर्धन पर्वत की मनुष्य रूपी मूर्ति बनाते हैं और उसकी पूजा करते हैं, जिससे प्रसन्न होकर गिरिराज गोवर्धन जी मनोवांछित फल प्रदान करते हैं। वास्तव में गोवर्धन की परिक्रमा से सृष्टि के प्रकृति स्वरूप की पूजा भी होती है और वही सब कुछ प्रदान करने वाली हैं, इसलिए हमें गोवर्धन पर्वत की पूजा अवश्य करनी चाहिए। इस दिन विशेष रूप से गायों और पालतू पशुओं की पूजा की जाती है और उनकी समृद्धि की कामना की जाती है।
गिरिराज गोवर्धन की परिक्रमा संबंधी मुख्य बातें
गिरिराज गोवर्धन उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले से लगभग 22 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। यह लगभग 7 कोस अर्थात 21 किलोमीटर के क्षेत्र में फैले हुए हैं और सभी प्राणी ब्रजमंडल में स्थित इस महान पर्वत की परिक्रमा करके अपने सभी दुखों को दूर करने का प्रयास करते हैं। मानसी गंगा, जतीपुरा और गोवर्धन दानघाटी इन तीनों में से किसी भी स्थान से इस परिक्रमा को शुरू किया जा सकता है और वापस इसी स्थान पर आकर परिक्रमा पूर्ण मानी जाती है। कुछ लोग दंडवत परिक्रमा भी करते हैं और भगवान हनुमान को साक्षी मानकर यह परिक्रमा की जाती है, जिससे सभी को जीवन में समस्याओं से मुक्ति मिलती है और जीवन में तरक्की प्राप्त होती है। ऐसा माना जाता है कि गोवर्धन की परिक्रमा जो एक बार कर लेता है ,उसके जीवन की सभी समस्याएं दूर होकर उसकी किस्मत के दरवाज़े हमेशा के लिए खुल जाते हैं। इस परिक्रमा के महत्व को ध्यान में रखते हुए वर्तमान में उत्तर प्रदेश सरकार ने हेलीकॉप्टर द्वारा भी इस परिक्रमा को शुरू करने का प्रयास किया है, ताकि जो लोग पैदल परिक्रमा ना लगा पाएं, वे इस सेवा का लाभ उठाकर पुण्य फल प्राप्त कर सकें।