दिवाली का त्यौहार बहुत सी जगहों पर 5 दिनों तक मनाया जाता है। ऐसे में दिवाली का चौथा दिन गोवर्धन पूजा के लिए निर्धारित किया गया है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है। बहुत सी जगहों पर इस दिन अन्नकूट पूजा और बलि पूजा भी की जाती है। दिवाली के अगले दिन मनाया जाने वाला गोवर्धन पूजा का यह पर्व प्रकृति और मानव जीवन के बीच सीधा और स्पष्ट संबंध स्थापित करता है।
गोवर्धन पूजा के दिन गौ माता की पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में गाय को माँ का दर्जा प्राप्त है और गाय के बारे में शास्त्रों में ही यह भी उल्लेखित है कि गौ माता माँ गंगा के निर्मल जल की ही तरह पवित्र और पावन होती हैं। यूं तो गोवर्धन पूजा का पर्व दिवाली के अगले दिन ही मनाया जाता है लेकिन कभी कभार इन दोनों पर्वों के बीच 1 दिन का अंतर भी जाता है।
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गोवर्धन पूजा शुभ मुहूर्त 2021
सबसे पहले जान लेते हैं इस वर्ष गोवर्धन पूजा करने का शुभ मुहूर्त क्या है।
5 नवंबर, 2021 (शुक्रवार)
गोवर्धन पूजा मुहूर्त
गोवर्धन पूजा प्रातःकाल मुहूर्त :06:35:38 से 08:47:12 तक
अवधि :2 घंटे 11 मिनट
गोवर्धन पूजा सायंकाल मुहूर्त :15:21:53 से 17:33:27 तक
अवधि :2 घंटे 11 मिनट
जानकारी: ऊपर दिया गया मुहूर्त दिल्ली के लिए मान्य है। यदि आप अपने शहर के अनुसार गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त जानना चाहते हैं तो यहाँ क्लिक कर सकते हैं।
गोवर्धन पूजा महत्व
गोवर्धन पर्वत बृज क्षेत्र में एक छोटी पहाड़ी के रूप में मौजूद है लेकिन फिर भी इसे पर्वतों का राजा कहा जाता है। इसकी वजह यही है कि यह भगवान कृष्ण के समय का एकमात्र स्थाई और स्थिर अवशेष बचा है। इसके अलावा गोवर्धन को भगवान श्री कृष्ण का स्वरूप भी माना जाता है और इसी स्वरूप में गोवर्धन पूजा के दिन इनकी पूजा की जाती है। गर्ग संहिता में गोवर्धन के महत्व को दर्शाती पंक्ति के अनुसार कहा गया है कि, “गोवर्धन पर्वतों के राजा और भगवान हरि के प्रिय हैं। पृथ्वी और स्वर्ग में इनके समान दूसरा कोई भी तीर्थ नहीं है।”
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गोवर्धन पूजा विधि
आगे बढ़ते हैं और जान लेते हैं गोवर्धन पूजा की सही विधि क्या है जिसे अपनाकर आप भी इस दिन का पूर्ण रूप से लाभ उठा सकते हैं।
- सबसे पहली और महत्वपूर्ण बात तो यह कि गोवर्धन पूजा सुबह या फिर शाम के समय की जाती है।
- इस दिन गोबर से गोवर्धन बनाकर उन्हें फूलों से सजाया जाता है।
- पूजा में गोवर्धन पर धूप, दीप, नैवेद्य, फल, जल, आदि अर्पित करें।
- इसके अलावा इस दिन गाय, बैल और खेती के काम में आने वाले पशुओं की भी पूजा का विधान बताया गया है।
- इस दिन गोवर्धन जी गोबर से लेटे हुए पुरुष के रूप में बनाए जाते हैं। इनकी नाभि की जगह पर एक मिट्टी का दीपक रखा जाता है। पूजा के समय इस दीपक में दही, दूध, गंगा जल, शहद, बताशे, आदि डाले जाते हैं और पूजा के बाद इसे प्रसाद रूप में सभी लोगों के बीच वितरित कर दिया जाता है।
- पूजा करने के बाद गोवर्धन जी की सात बार परिक्रमा लगाई जाती है और इस दौरान गोवर्धन जी की जय कहा जाता है।
- परिक्रमा करते वक्त हाथ में एक जल से भरा लोटा लिया जाता है और इससे जल गिराते हुए जो बोने की परिक्रमा पूरी की जाती है।
कहा जाता है गोवर्धन पूजा करने से व्यक्ति के घर में धन की वृद्धि और संतान की प्राप्ति होती है। गोवर्धन पूजा के दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा भी की जाती है। बहुत से लोग इस दिन कारखानों और मशीनों की पूजा भी करते हैं।
इसी दिन संध्या काल के समय दैत्यराज बलि का पूजन भी किया जाता है।
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भगवान कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त करने के राशिनुसार उपाय
मेष राशि: मेष राशि के लोगों को भगवान श्री कृष्ण के गोवर्धन पर्वत उठाते हुए स्वरूप की पूजा करनी चाहिए और उन्हें पीले पुष्प अर्पित करना चाहिए।
वृषभ राशि: वृषभ राशि के लोगों को श्वेत पुष्पों से और चांदी की बांसुरी भगवान श्री कृष्ण को भेंट स्वरूप अर्पित करने चाहिए।
मिथुन राशि: मिथुन राशि के लोगों को भगवान श्री कृष्ण को हरे रंग के वस्त्र पहनाने चाहिए और राधे कृष्ण की उपासना करनी चाहिए।
कर्क राशि: कर्क राशि के जातकों को भगवान श्री कृष्ण को दुग्ध अर्पित करना चाहिए और ओम क्लीं कृष्णाय नमः मंत्र का जाप करना चाहिए।
सिंह राशि: सिंह राशि के लोगों को लाल पुष्पों से भगवान श्री कृष्ण की पूजा करनी चाहिए और कृष्ण जी के योगीराज स्वरूप का ध्यान करना चाहिए।
कन्या राशि: कन्या राशि के लोगों को कृष्ण जी के साथ राधा रानी की भी पूजा करनी चाहिए और गौमाता को भोजन देना चाहिए।
तुला राशि: तुला राशि के लोगों को चांदी के चम्मच और कटोरी से भगवान को खीर का भोग लगाना चाहिए।
वृश्चिक राशि: वृश्चिक राशि के लोगों को भगवान श्री कृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा करनी चाहिए और भगवान को छप्पन भोग अर्पित कर चाहिए।
धनु राशि: धनु राशि के लोगों को पीले पुष्पों से भगवान विष्णु जी की उपासना करनी चाहिए और उनके कृष्ण स्वरुप के गोवर्धन स्वरुप की पूजा करनी चाहिए
मकर राशि: मकर राशि के लोगों को भगवान कृष्ण को नीले रंग के पुष्प और नीले रंग के वस्त्र बनाकर उनकी पूजा करनी चाहिए।
कुम्भ राशि: कुंभ राशि के लोगों को हरे रंग के वस्त्र पहनाकर भगवान को मोर पंख अर्पित करना चाहिए।
मीन राशि: मीन राशि के लोगों को भगवान श्री कृष्ण के मूल मंत्र का जाप करना चाहिए और उनके साथ राधा रानी और बलराम जी की भी पूजा करनी चाहिए।
गोवर्धन पूजा व्रत कथा
विष्णु पुराण में गोवर्धन पूजा का महत्व बताया गया है। कहा जाता है कि, एक समय में देवराज इंद्र को अपनी शक्तियों पर अभिमान हो चला था। तब भगवान श्री कृष्ण ने इंद्र देव के अहंकार को दूर करने के लिए एक लीला रची। एक समय की बात है, गोकुल में लोग तरह-तरह के पकवान बना रहे थे और खुशी मना रहे थे। तब बाल कृष्ण ने मां यशोदा से पूछा कि यह सब क्या हो रहा है? लोग किस उत्सव की तैयारी कर रहे हैं? तब मां यशोदा ने बाल कृष्ण को जवाब दिया कि हम सब इंद्र देव की पूजा करने की तैयारी कर रहे हैं।
इसके बाद बाल कृष्ण ने मां यशोदा से पूछा कि आखिर हम इंद्र देव की पूजा क्यों करते हैं? जिस पर मां यशोदा ने उन्हें बताया कि इंद्र देव की कृपा से अच्छी बारिश होती है जिससे फसल अच्छी होती है और हमारी गायों को चारा अर्थात भोजन मिलता है। मां यशोदा की यह बात सुनकर भगवान कृष्ण ने तुरंत ही कहा कि, अगर ऐसी बात है तो हमें पूजा गोवर्धन पर्वत की करनी चाहिए क्योंकि, हमारी गाय तो गोवर्धन पर्वत से चारा चरती हैं जिससे उनका पेट भरता है और गोवर्धन पर्वत पर लगे हुए पेड़ पौधों की वजह से ही बारिश होती है।
बस फिर क्या था भगवान कृष्ण की यह बात सुनकर सभी लोगों ने गोवर्धन पर्वत की पूजा शुरु कर दी। जिसे देखकर भगवान इंद्र को बड़ा गुस्सा आया और उन्होंने इस बात का बदला लेने के लिए गोकुल में मूसलाधार बारिश शुरु कर दी। बारिश इतनी तेज थी कि गोकुल का हर एक निवासी, जीव, और जंतु घबरा गया। भगवान कृष्ण ने गोकुल वासियों को और उनके पशुओं को पक्षियों को मूसलाधार बारिश के प्रकोप से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी सी उंगली पर उठा लिया और सभी गांव वालों से पर्वत के नीचे जाने को कहा।
यह देखकर भगवान इंद्र को और गुस्सा आया और उन्होंने बारिश और तेज कर दी। यह बारिश 7 दिनों तक चली लेकिन इसमें एक भी गोकुल वासी को परेशानी या नुकसान नहीं पहुंचा। तब भगवान इंद्र को एहसास हुआ कि उनका मुकाबला करने वाला यह बालक कोई साधारण व्यक्ति तो नहीं हो सकता है। इसके बाद जब भगवान इंद्र को यह पता चला कि उनका मुकाबला कर रहा यह बालक कोई और नहीं बल्कि भगवान कृष्ण हैं तो उन्होंने उनसे क्षमा याचना की और उनकी पूजा करके उन्हें भोग भी लगाया। बताया जाता है कि इस घटना के बाद से गोवर्धन पर्वत की पूजा की परंपरा की शुरुआत हुई।
- गोवर्धन पर्वत उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में स्थित है। गोवर्धन पूजा के दिन यहां पर देश दुनिया से लाखों श्रद्धालु उमड़ते हैं और गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते हैं। गोवर्धन पूजा के दिन गोवर्धन परिक्रमा का विशेष महत्व बताया गया है।
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गुजरती नववर्ष तिथि और इस दिन का महत्व
गुजराती समुदाय के लोग भी अपना अलग नववर्ष मनाते हैं। गुजराती लोगों का यह नया साल या नववर्ष कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से प्रारंभ होता है। गुजराती लोगों का यह नया साल अन्नकूट पूजा के दिन ही प्रारंभ होता है। ऐसे में इस वर्ष भी गुजराती नव वर्ष 5 नवंबर 2021 शुक्रवार के दिन से प्रारंभ हो रहा है। इस दिन गुजराती समुदाय के लोग मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना करते हैं जिसे बहुत सी जगहों पर चोपड़ा पूजन के नाम से जाना जाता है।
गुजराती नव वर्ष 5 नवम्बर 2021, दिन- शुक्रवार
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ 4 नवम्बर 2021 को रात 02 बजकर 48 मिनट से
प्रतिपदा तिथि समाप्त 5 नवम्बर 2021 को रात 11 बजकर 17 मिनट तक
गुजराती नव वर्ष महत्व और इस दिन को कैसे मनाया जाता है?
गुजराती समुदाय के लोगों के लिए गुजराती नव वर्ष सबसे बड़े त्योहारों में से एक माना गया है। इस दिन गुजराती लोग नए कपड़े पहनते हैं, मंदिरों में पूजा-पाठ करते हैं, और अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ मिलकर इस दिन की खुशियां मनाते हैं। दिवाली की ही तरह इस दिन भी घरों को सजाया जाता है और आतिशबाजी की जाती है। इसके अलावा इस दिन घर में स्वादिष्ट मिठाइयां बनाई जाती है जिसे लोग अपने घर परिवार के लोगों के साथ मिलकर खाते हैं और इस दिन को पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।
गुजराती समुदाय के लोगों के लिए दीपावली का दिन साल का आखिरी दिन होता है और उसके अगले दिन से ही नव वर्ष प्रारंभ हो जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि गुजराती नव वर्ष का प्रतीक होती है। इसके अलावा गुजरात में कार्तिक महीना साल का पहला महीना होता है और इसी दिन गुजराती नव वर्ष का भी पहला दिन होता है। यही वजह है कि इस दिन को वित्तीय नववर्ष की शुरुआत के रूप में भी माना जाता है।
गोवर्धन पूजा पर आयोजन
गोवर्धन पूजा के मौके पर देशभर के मंदिरों में धार्मिक आयोजन और अन्नकूट यानि भंडारों का आयोजन किया जाता है। इस दिन की पूजा के बाद लोगों में भोजन को प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।
गोवर्धन पूजा के दिन अन्नकूट उत्सव
अन्नकूट का सरल शब्दों में अर्थ होता है तरह-तरह के अन्न, जो इस दिन भगवान कृष्ण को भोग के रूप में अर्पित किये जाते हैं। बहुत सी जगहों पर इस दिन पूड़ी और बाजरे की खिचड़ी भी बनाई जाती है। अन्नकूट के अलावा दूध से बनी मिठाईयां और मिष्ठान आदि भी भगवान कृष्ण को अर्पित किये जाते हैं और पूजा के बाद इन्हें प्रसाद के तौर पर लोगों में वितरित कर दिया जाता है।
संतान प्राप्ति के लिए गोवर्धन पूजा
गोवर्धन पूजा का महत्व संतान प्राप्ति के लिए बहुत ज्यादा बताया गया है। ऐसे में यदि आपको संतान प्राप्ति के लिए गोवर्धन पूजा करनी है तो, इस दिन सबसे पहले दूध, दही, शक्कर, शहद, इन सबको मिलाकर पंचामृत तैयार कर लें। इसके बाद इसमें गंगाजल और तुलसी अवश्य मिलाएं। भगवान कृष्ण को शंख में भरकर यह तैयार किया हुआ पंचामृत अर्पित करें। पूजा के बाद यह पंचामृत खुद भी प्रसाद रूप में ग्रहण करें। कहा जाता है ऐसा करने से व्यक्ति की संतान प्राप्ति की मनोकामना अवश्य पूरी होती है।
आर्थिक संपन्नता के लिए कैसे करें गोवर्धन पूजा?
इसके अलावा जिन लोगों को आर्थिक संपन्नता और अपने जीवन में सुख समृद्धि के लिए गोवर्धन पूजा करनी होती है उन्हें इस दिन सबसे पहले उठकर गाय को स्नान कराकर उसका तिलक करने की विधि बताई जाती है। इसके बाद गाय को चारा और गाय की सात बार परिक्रमा करें। गाय के खुर के पास की मिट्टी को एक कांच की शीशी में भरकर अपने पास रखें।
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