गोवर्धन पूजा 2023: इस दिन राशि अनुसार श्रीकृष्ण को अर्पित करें इन चीजों का भोग- मिलेगी सुख समृद्धि!

दिवाली के ठीक बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन गोवर्धन पूजा मनाई जाती है। आमतौर पर यह त्योहार पूरे भारतवर्ष में ही मनाया जाता है लेकिन ब्रज में इसका असली रंग देखने को मिलता है। 

अपने इस विशेष ब्लॉग में जानते हैं गोवर्धन पूजा इस वर्ष किस दिन पड़ने वाली है, इसका महत्व क्या होता है, इसके नियम क्या होते हैं, गोवर्धन पूजा पर किए जाने वाले आयोजन क्या होते हैं, और साथ ही इस दिन से जुड़ी कुछ रोचक और बेहद दिलचस्प और जानने वाली जानकारियां।

दुनियाभर के विद्वान ज्योतिषियों से करें कॉल/चैट पर बात और जानें  गोवर्धन पूजा से जुड़ी हर जानकारी

गोवर्धन पूजा 2023 में कब है 

2023 में गोवर्धन पूजा 14 नवंबर 2023 मंगलवार के दिन मनाई जाएगी

गोवर्धन पूजा मुहूर्त (नई दिल्ली के लिए)

गोवर्धन पूजा प्रातःकाल मुहूर्त :06:42:30 से 08:51:38 तक

अवधि :2 घंटे 9 मिनट

अधिक जानकारी: आप अपने शहर के अनुसार इस दिन का शुभ मुहूर्त जानने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें 

गोवर्धन पूजा का यह पावन पर्व भगवान श्री कृष्ण के द्वारा गोकुल के लोगों को गोवर्धन पूजा के लिए प्रेरित करने और देवराज इंद्र के अहंकार का नाश करने के रूप में मनाया जाता है। इस दिन वरुण देवता, इंद्र देवता, अग्नि देवता की पूजा का विधान बताया गया है। गोवर्धन पूजा के दिन गोवर्धन पर्वत,  गाय और भगवान श्री कृष्ण की पूजा का विशेष महत्व होता है।

गोवर्धन पूजा का महत्व 

कहा जाता है कि जब भगवान इंद्र क्रोधित हो गए थे और उनके प्रकोप से बृजवासियों को बचाने के लिए भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत अपनी छोटी उंगली पर उठाया था। भगवान इंद्र क्रोध में इतने अहंकारी हो गए थे कि उन्होंने लगातार कई दिनों तक मूसलाधार वर्षा कर दी जिससे बृजवासियों के जीवन में संकट के बदले घिर गए थे। 

तब लोगों की जान बचाने के लिए भगवान कृष्ण ने 7 दिनों तक पर्वत को अपने हाथों पर उठा रखा था। यही वजह है कि गोवर्धन पूजा के दौरान इस पर्वत को गाय के गोबर से बनाया जाता है, उसकी परिक्रमा की जाती है। कहा जाता है जो कोई भी व्यक्ति सही पूजन विधि से गोवर्धन पूजा करता है उनके जीवन में भगवान कृष्ण का आशीर्वाद हमेशा बना रहता है।  गोवर्धन पर्वत की पूजा के माध्यम से व्यक्ति प्रकृति के प्रति अपना आभार व्यक्त करते हैं।

बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा

गोवर्धन पूजा के नियम और विधि 

बात करें इस दिन के नियम और सही पूजन विधि की तो, 

  • गोवर्धन पूजा के दिन गोबर से गोवर्धन बनाए जाते हैं और इन्हें फूलों से सजाया जाता है। 
  • सुबह या शाम के समय उनकी पूजा की जाती है। 
  • पूजा के दौरान गोवर्धन पर धूप, दीप, नैवैद्य, जल, फल, फूल, आदि चढ़ाए जाते हैं। 
  • मुख्य रूप से इस दिन कृषि के काम में आने वाले पशुओं जैसे गाय, बैल की पूजा की जाती है। 
  • गोवर्धन जी गोबर से लेटे हुए पुरुष के रूप में बनाए जाते हैं। उनकी नाभि की जगह पर एक मिट्टी का दीपक रखा जाता है जिसमें दूध, दही, गंगाजल, शहद, बताशे, डाले जाते हैं और पूजा के बाद इसे प्रसाद के रूप में बांट दिया जाता है। 
  • पूजा के दौरान गोवर्धन जी की सात परिक्रमाएं लगाई जाती हैं। 
  • परिक्रमा के वक्त हाथ में लोटे से जल गिरते हुए और जौ बोते हुए परिक्रमा पूरी की जाती है। 

गोवर्धन गिरी भगवान के रूप में माने जाते हैं और इस दिन मान्यता के अनुसार जो कोई भी व्यक्ति उनकी पूजा करता है उसके घर में धन, संतान, और गौ रस की वृद्धि होती है। इसके अलावा बहुत सी जगहों पर इस दिन भगवान विश्वकर्मा की भी पूजा का विधान बताया गया है। ऐसे में इस दिन सभी कारखानों और उद्योगों में मशीन की पूजा की जाती है। गोवर्धन पूजा के दिन भगवान कृष्ण और गोवर्धन महाराज को अन्नकूट और कढ़ी चावल का भोग लगाया जाता है।

पाएं अपनी कुंडली आधारित सटीक शनि रिपोर्ट

गोवर्धन पूजा के भोग के चलन की शुरुआत कैसे हुई? 

मान्यता के अनुसार बताया जाता है कि, एक बार देवराज इंद्र गुस्सा हो गए और उन्होंने भारी बारिश कर दी ताकि ब्रज के लोग उनके सामने आकर मिन्नत करें। तब भगवान श्री कृष्ण ने इंद्र का घमंड तोड़ने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाकर लोगों को इससे बचाया। इस बीच ब्रज के लोग अपने-अपने घरों के समान लेकर गोवर्धन पर्वत के नीचे आ गए और 7 दिन इसी तरह पर्वत के नीचे खड़े रहे। 

इस दौरान बृजवासियों ने सभी की खाद्य सामग्री को मिल बाँट कर खाया ताकि सभी को भोजन मिल सके और गाय के दूध, दही और छाछ का इस्तेमाल करके किसी तरह गुजारा किया। सभी अन्न और साग सब्जियों को मिलाकर जो भोजन तैयार हुआ उसे अन्नकूट कहा जाता है तभी से भगवान कृष्ण को यह भोग बेहद ही प्रिया हो गया है। 

माना जाता है कि तभी से हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है और उस मौसम में सभी सब्जियां आदि जो मिलती है इसे मिलाकर अन्नकूट बनाया जाता है और इसे भगवान कृष्ण और गोवर्धन महाराज को भोग लगाया जाता है। इसके अलावा इस दिन दही या छांछ से कढ़ी बनाकर इसके साथ अन्न के रूप में चावल भी भगवान को समर्पित किए जाते हैं।

करियर की हो रही है टेंशन! अभी ऑर्डर करें कॉग्निएस्ट्रो रिपोर्ट

गोवर्धन पूजा से जुड़ी बेहद दिलचस्प जानकारी: बहुत से लोग गोवर्धन पूजा के दिन अपने घरों में गोबर से गोवर्धन बनाते हैं और गोवर्धन बनाने के बाद उस पर सफेद रंग की सींकें लगा देते हैं। दरअसल इसके पीछे का कारण यह बताया जाता है कि गोवर्धन पूजा का मतलब प्रकृति की पूजा करने से है। जब देवराज इंद्र का घमंड भगवान श्री कृष्ण ने तोड़ा था तो प्रकृति से जुड़ी चीजों के बल पर ही लोगों ने 7 दिनों तक पर्वत के नीचे गुजर किया था। इस दौरान साग, सब्जियां, दूध, दही, और छाछ से ही उनकी भूख मिटी थी। ऐसे में प्रकृति से जुड़ी हर एक चीज बेहद ही कीमती और बहुमूल्य है और हमें इसका आदर करना चाहिए यह सीख हमें मिलती है। 

घर में गोवर्धन पर्वत को प्रतीक के तौर पर गाय के गोबर से बनाया जाता है क्योंकि गाय का गोबर सनातन धर्म में बेहद ही शुद्ध और पवित्र माना जाता है। पर्वत पर बड़े-बड़े पेड़ लगे हुए होते हैं जिसके प्रतीक के रूप में गोवर्धन पर सींकें लगाई जाती हैं और इन पर रूई के गुच्छे लगा दिए जाते हैं।

गोवर्धन पूजा की तैयारी करने जा रहे हैं तो इन सामग्रियों को रखें विशेष ख्याल 

अगर आप भी गोवर्धन पूजा करना चाहते हैं तो इसके लिए रोली, चावल, जल, दूध, पान, केसर, खील, बताशे, फूल, दीपक, पूजा में अवश्य शामिल करें। इसके अलावा मिठाई, अगरबत्ती, ताजे फूलों की माला, गाय का गोबर भी इस पूजा का प्रमुख हिस्सा होता है। 

इसके साथ ही भगवान को भोग लगाने के लिए अन्नकूट और 56 तरह के व्यंजन तैयार किए जाते हैं। इसके अलावा शहद, दही और चीनी का प्रयोग करके पंचामृत तैयार करना बिल्कुल भी ना भूलें। गोवर्धन पूजा पर भगवान श्री कृष्ण को गेहूं, चावल, बेसन से तैयार सब्जी, और पत्तेदार सब्जियां भी अर्पित की जाती हैं। इसके अलावा अन्नकूट भी इस दिन की पूजा में प्रमुख भोग माना गया है।

अब घर बैठे विशेषज्ञ पुरोहित  से कराएं इच्छानुसार ऑनलाइन पूजा और पाएं उत्तम परिणाम!

गोवर्धन पूजा पर राशि अनुसार भगवान कृष्ण को अर्पित करें ये भोग 

अब जानते हैं कि इस दिन आपको अपनी राशि के अनुसार किस चीज़ का भोग अर्पित करना फलदायी साबित हो सकता है। 

मेष राशि: आप भगवान कृष्ण को फल, मौसमी सब्जियां और लाल रंग की मिठाई अर्पित करें।

वृषभ राशि: वृषभ राशि के जातक भगवान कृष्ण को फल, भोजनऔर सफेद रंग की मिठाई अर्पित करें।

मिथुन राशि: मिथुन राशि के जातक भगवान श्री कृष्ण को हरी सब्जियों और हरी मिठाई का भोग अर्पित करें।

कर्क राशि: कर्क राशि के जातक भगवान श्री कृष्ण को सफेद रंग की मिठाई अर्पित करें।

सिंह राशि: आप भगवान श्री कृष्ण को अन्नकूट, मौसमी सब्जियां और लाल रंग की मिठाई अर्पित करें।

कन्या राशि: कन्या राशि के जातक भगवान श्री कृष्ण को हरी सब्जियाँ और हरी मिठाई अर्पित करें।

तुला राशि: तुला राशि के जातक अन्नकूट, सफेद रंग की मिठाई भगवान श्री कृष्ण को अर्पित करें।

वृश्चिक राशि: गोवर्धन पूजा के दिन वृश्चिक राशि के जातक भगवान कृष्ण को फल, मौसमी सब्जी और लाल रंग की मिठाई अर्पित करें।

धनु राशि: धनु राशि के जातक भगवान श्री कृष्ण को कम से कम पांच फल और बेसन की मिठाई का भोग अर्पित करें।

मकर राशि: मकर राशि के जातक पांच तरह के मिठाई, काले तिल पूजा में अवश्य शामिल करें और इसे अगले दिन बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें।

कुम्भ राशि: कुंभ राशि के जातक पांच तरह की मिठाई, काले तिल इस दिन की पूजा में अवश्य शामिल करें। आप भी तिल को अगले दिन बहते जल में प्रवाहित कर दें।

मीन राशि: गोवर्धन पूजा के दिन मीन राशि के जातक फल और बेसन से बनी मिठाई का भोग श्री कृष्ण को अर्पित करें।

सभी ज्योतिषीय समाधानों के लिए क्लिक करें: ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर

हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह ब्लॉग ज़रूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ ज़रूर साझा करें। धन्यवाद!