भारत में गाय को एक पूज्य स्थान प्राप्त है। धार्मिक रूप से भी हिंदू धर्म में गाय को माता का दर्जा भी दिया गया है। यही कारण है कि हिंदू आस्था व मान्यताओं में गाय का विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को गोपाष्टमी के रूप में मनाया जाता है। सनातन धर्म में गोपाष्टमी पर्व का बड़ा धार्मिक महत्व है। इस दिन गाय और बछड़ों की पूजा अर्चना की जाती है और अच्छे से सजाया जाता है। मान्यता है कि गोपाष्टमी की शाम को गाय की पूजा करने से सुख समृद्धि के साथ-साथ धन लाभ की भी प्राप्ति होती है।
तो आइए बिना देरी किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं गोपाष्टमी 2024 की तिथि, पूजा मुहूर्त, महत्व, प्रचलित पौराणिक कथा और आसान ज्योतिषीय उपाय के बारे में।
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गोपाष्टमी 2024: तिथि और शुभ मुहूर्त
अष्टमी तिथि प्रारम्भ – नवम्बर 08, 2024 की मध्य रात्रि 11 बजकर 58 मिनट से
अष्टमी तिथि समाप्त – नवम्बर 09, 2024 की रात 10 बजकर 47 मिनट तक।
उदया तिथि के अनुसार गोपाष्टमी का पर्व साल 2024 को 09 नवंबर को मनाया जाएगा।
गोपाष्टमी का धार्मिक महत्व
गोपाष्टमी का हिंदू धर्म में विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। यह त्योहार मुख्य रूप से गौ माता और भगवान श्रीकृष्ण के प्रति श्रद्धा और भक्ति को समर्पित है। गोपाष्टमी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन गौ माता और भगवान कृष्ण की पूजा का विशेष महत्व है क्योंकि यह दिन भगवान कृष्ण द्वारा गौ चराने की शुरुआत से जुड़ा हुआ है।
गोपाष्टमी के दिन गौ माता की पूजा करना अत्यंत शुभ और पुण्यकारी माना जाता है। गाय को हिंदू धर्म में माता का स्थान प्राप्त है और उसे समस्त देवताओं का वास स्थल माना गया है। गाय को धन, समृद्धि, और शुभता का प्रतीक माना जाता है और गोपाष्टमी के दिन उसकी पूजा करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-शांति आती है।
गोपाष्टमी का दिन भगवान श्रीकृष्ण से विशेष रूप से जुड़ा हुआ है। इस दिन भगवान कृष्ण ने पहली बार गो-चारण यानी गायों को चराने का कार्य किया था और वह गोपाल यानी गायों के रक्षक के रूप में पूजे गए। श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं में गायों के प्रति उनका प्रेम और सेवा महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। इसलिए, गोपाष्टमी के दिन भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा की जाती है और गायों की सेवा कर उनके प्रति श्रद्धा प्रकट की जाती है। गोपाष्टमी के दिन गौ सेवा करना और उन्हें भोजन कराना विशेष फलदायी माना गया है। गायों को घास, गुड़, हरा चारा, और पानी देना शुभ माना जाता है।
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गोपाष्टमी पूजा विधि
- गोपाष्टमी के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ, शुद्ध वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल को स्वच्छ करें और वहां गंगाजल या शुद्ध जल छिड़ककर पवित्र बनाएं।
- यदि संभव हो तो गौशाला जाएं और वहां गायों की सेवा और पूजा करें, अन्यथा अपने घर पर ही पूजा का आयोजन करें।
- यदि आप गायों के पास हैं, तो उन्हें शुद्ध जल से स्नान कराएं। उनके शरीर पर हल्दी, चंदन और घी का लेप करें, जिससे वे स्वच्छ और पवित्र हो जाएं।
- गायों के गले में फूलों की माला पहनाएं और उनके सींगों पर सजावट करें। इससे वे सुंदर और भव्य लगेंगी।
- गौ माता और भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या तस्वीर पूजा स्थल पर स्थापित करें। भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का ध्यान करते हुए उनकी मूर्ति को सजाएं।
- गौ माता के चरणों में फूल, चंदन, और हल्दी अर्पित करें। धूप और दीपक दिखाकर उनकी आरती करें।
- गौ माता को गुड़, हरा चारा, और फल अर्पित करें। गायों को ताजे हरे पत्ते, गुड़, और अन्य खाद्य सामग्री खिलाना शुभ माना जाता है।
- गोपाष्टमी के दिन गोपाष्टमी व्रत कथा का जरूर सुनें और दूसरों को भी सुनाएं। कथा सुनने से पूजा का पुण्य कई गुना बढ़ जाता है और भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होती है।
- इस दिन गौ माता की सेवा के साथ-साथ ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्र का दान करना शुभ माना जाता है।
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गोपाष्टमी की व्रत कथा
जब भगवान श्रीकृष्ण ने 7 साल की आयु पूरी की, तब उनके पिता नंद बाबा ने उन्हें गौ-चारण यानी गायों को चराने का कार्य सौंपा। पहले श्रीकृष्ण केवल बछड़ों को चराते थे, लेकिन गोपाष्टमी के दिन से उन्होंने गौ माता को चराने का कार्य शुरू किया। यह दिन इसलिए गोपाष्टमी के रूप में मनाया जाता है क्योंकि इस दिन भगवान कृष्ण ने गौ-पालन का संकल्प लिया था।
कथा के अनुसार, नंद बाबा ने श्रीकृष्ण को बुलाया और कहा, “कन्हैया, अब तुम बड़े हो गए हो। अब तुम्हारे लिए यह समय है कि तुम गायों की देखभाल करो और उन्हें जंगलों में चराने ले जाओ।” कृष्ण ने इस जिम्मेदारी को खुशी-खुशी स्वीकार किया और अपने बड़े भाई बलराम के साथ गायों को चराने के लिए वन में जाने लगे। भगवान श्रीकृष्ण और बलराम जब गायों को चराने जाते, तो उनके साथ अन्य बालक भी होते। श्रीकृष्ण बांसुरी बजाते और गायें उनकी मधुर धुन पर मोहित हो जातीं। श्रीकृष्ण का गौ-पालन का यह कार्य उनके बाल रूप की अद्भुत लीला का हिस्सा था और इसी से उनका नाम “गोपाल” पड़ा, जिसका अर्थ है “गायों के रक्षक”।
गोपाष्टमी का यह दिन भगवान श्रीकृष्ण के इसी गौ-पालन के कार्य का प्रतीक है। इस दिन गोप और गोपियाँ श्रीकृष्ण की इस लीला का स्मरण करते हैं और गायों की पूजा करते हैं। गोपाष्टमी के दिन गोकुल और वृंदावन में विशेष धूमधाम होती है, जहां गोप और गोपियाँ गायों को सजाते हैं, उनकी पूजा करते हैं, और भगवान श्रीकृष्ण की आराधना करते हैं।
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गोपाष्टमी के दिन अपनाएं ये आसान उपाय
भगवान श्रीकृष्ण की विशेष कृपा के लिए
गोपाष्टमी के दिन प्रातःकाल गायों को स्नान कराएं और उन्हें सजाएं। उनके गले में फूलों की माला पहनाएं और सींगों पर हल्दी और चंदन का लेप करें। उनके चरणों में चावल, फूल, और धूप-दीप अर्पित करें। इससे भगवान श्रीकृष्ण की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
गौ माता का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए
गोपाष्टमी के दिन गायों को हरा चारा, गुड़, और अन्य स्वादिष्ट भोजन खिलाना बहुत शुभ माना जाता है। इससे व्यक्ति को गौ माता का आशीर्वाद मिलता है और जीवन में समृद्धि आती है। यदि संभव हो, तो गौशाला जाकर वहां गायों की सेवा करें और उनके लिए भोजन का प्रबंध करें।
सुख-समृद्धि के लिए
गोपाष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या तस्वीर के सामने घी का दीपक जलाएं और उन्हें ताजे फूल, चंदन, और तुलसी के पत्ते अर्पित करें। इस दौरान “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें या भगवान कृष्ण के भजन गाएं।
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अच्छे स्वास्थ्य के लिए
गोपाष्टमी के दिन तुलसी के पौधे की पूजा करें। तुलसी भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण को प्रिय है। तुलसी पर जल अर्पित करें और उसके चारों ओर दीपक जलाएं। तुलसी के पत्तों को भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित करें, इससे विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही, स्वास्थ्य अच्छा होता है।
सकारात्मक ऊर्जा के लिए
इस दिन गोपाष्टमी व्रत कथा का श्रवण करें और दूसरों को भी सुनाएं। कथा सुनने से पुण्य बढ़ता है और भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही, जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।
आर्थिक संकटों से छुटकारा पाने के लिए
गोपाष्टमी के दिन अपने घर और आस-पास की जगह की सफाई करें। गायों के रहने वाले स्थान को स्वच्छ बनाएं। इस दिन पौधारोपण या वृक्षारोपण करना भी शुभ माना जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
गोपाष्टमी के शुभ दिन पर साधक भगवान विष्णु के आठवें अवतार भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं।
ज्योतिषाचार्यों ने बताया कि गोपाष्टमी पर गौ माता को सुबह स्नान कराकर पूजन किया जाता। इस दिन गाय माता के मेंहदी, हल्दी, रोली आदि के थापे भी लगाए जाते हैं और उनको सजाया जाता है।
इस दिन गाय को हरा चारा, हरा मटर एवं गुड़ खिलाया जाता है।
साल 2024 में गोपाष्टमी 09 नवंबर को रखा जाएगा।