हिंदू धर्म में भगवान कृष्ण को कई व्रत एवं त्योहार समर्पित हैं जिनमें से एक गोपाष्टमी भी है। यह त्योहार गायों के प्रति भगवान कृष्ण के प्रेम और स्नेह को दर्शाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार कार्तिक पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर सप्तमी तिथि तक भगवान कृष्ण ने गायों और गोप-गोपियों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत का भार अपनी उंगली पर उठाकर रखा था और इसके आठ दिन बाद भगवान इंद्र का अहंकार टूटा था। भगवान कृष्ण के इस चमत्कार के बाद कामधेनु गाय ने उनका अभिषेक किया था और तभी से श्रीकृष्ण को गोविंद के नाम से जाना जाने लगा। यहीं से गापोष्टमी का त्योहार मनाने की शुरुआत हुई।
कार्तिक शुक्ल अष्टमी को गोपाष्टमी का पर्व मनाया जाता है और यह त्योहार भगवान कृष्ण एवं गौ माता को समर्पित होता है। मथुरा और वृंदावन में इस पर्व काे बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है और इस दिन गायों को उनके बछड़ों के साथ पूजा जाता है। इस पर्व को लेकर यह भी मान्यता है कि गोपाष्टमी वाले दिन नंद महाराज ने भगवान कृष्ण को गायों की देखभाल करने और गायों को चराने के लिए वन में ले जाने की जिम्मेदारी सौंपी थी।
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ब्रज के लोगों के बीच गोपाष्टमी का अत्यंत महत्व है। इस दिन श्रीकृष्ण और भगवान विष्णु की उपासना करने से भक्तों को मानसिक शांति और समृद्धि प्राप्त होती है जिस तरह महाराष्ट्र में गोवत्स द्वादशी के दिन गाय और बछड़े की पूजा की जाती है, ठीक उसी तरह गोपाष्टमी पर भी मथुरा और वृंदावन में गाय के साथ उसके बछड़े का पूजन करने का विधान है।
गोपाष्टमी 2023 तिथि एवं समय
गोपाष्टमी का पर्व 20 नवंबर, 2023 को देश के कई राज्यों में बड़ी धूमधमान से मनाया जाएगा। अष्टमी तिथि की शुरुआत 20 नवंबर, 2023 को प्रात: काल 05 बजकर 23 मिनट पर होगी जो कि 20 नवंबर को अर्ध रात्रि को 03 बजकर 18 मिनट तक रहेगी। इस दिन शुक्ल योग भी बन रहा है।
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गोपाष्टमी पर बन रहा है शुभ योग
20 नवंबर, 2023 को गोपाष्टमी के दिन शुक्ल योग बन रहा है जो कि 27 योगों में से 24वां योग है। ज्योतिषशास्त्र में शुक्ल योग को अत्यंत ही शुभ माना गया है और इस योग पर मां पार्वती का आधिपत्य है।
शुभ कार्यों की शुरुआत के लिए शुक्ल योग उत्तम रहता है। इस समय पूजा और अनुष्ठान संपन्न किए जा सकते हैं। शुक्ल योग के दौरान किए गए कार्यों में निश्चित ही सफलता मिलती है और व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति और संपन्नता आती है। इस योग में दान-पुण्य करने का भी बहुत महत्व है।
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गोपाष्टमी की पूजन विधि
गोपाष्टमी पर नीचे दी गई विधि द्वारा पूजन करने से भगवान कृष्ण प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की मनोकामना को पूर्ण करते हैं।
- गोपाष्टमी के दिन ब्रह्म मूहूर्त में गाय और उसके बछड़े को स्नान करवाने के बाद उन्हें तैयार करें।
- इसके बाद गौ माता के चारों ओर चक्कर लगाएं और उन्हें कुछ देर तक घुमाकर लाएं।
- इस दिन ग्वालों को दान आदि करना बहुत ही शुभ माना जाता है। अब आप गाय को घर वापिस लाकर शाम के समय उसकी पूजा करें।
- गाय और उसके बछड़े को हरा चारा, हरी मटर और गुड़ आदि खिलाएं। अगर आपके पास गाय नहीं है, तो आप गौशाला जाकर भी उन्हें चारा खिला सकते हैं।
- अब गाय को गंगाजल और पुष्प अर्पित करें तथा दीपक जलाकर उनकी पूजा करें, फिर गौशाला में गाय के लिए खाने की कुछ वस्तुओं का दान करें।
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गोपाष्टमी पर किए जाने वाले कुछ ज्योतिषीय उपाय
- अपनी संतान की दीर्घायु के लिए महिलाएं गोपाष्टमी के दिन गौ माता की पूजा करें। इस दिन महिलाएं गाय की परिक्रमा करती हैं जिससे उनकी सभी इच्छाओं की पूर्ति होती हैं।
- भगवान कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए उन्हें खीर का भोग लगाएं और इसमें तुलसी का पत्ता जरूर डालें। इस उपाय को करने से व्यक्ति को असीम धन की प्राप्ति होती है।
- इस दिन केसर वाले दूध से भगवान कृष्ण का अभिषेक करें।
- 27 दिनों तक कृष्ण मंदिर में नारियल या बादाम अर्पित करने से भक्तों की सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती हैं।
- अगर आपकी संतान को कोई समस्या आ रही है, तो आप संतान गोपाल स्तोत्र का पाठ करें।
इन राशियों पर रहती है भगवान कृष्ण की कृपा
राशिचक्र की 12 राशियों में से कुछ राशियां भगवान कृष्ण की अत्यंत प्रिय मानी जाती हैं और कहा जाता है कि इन राशि वाले जातकों पर कृष्ण जी की असीम कृपा बरसती है।
वृषभ राशि: वैदिक ज्योतिष के अनुसार स्वयं भगवान कृष्ण की वृषभ राशि थी। इस राशि वाले जातकों को भगवान कृष्ण के हृदय में विशेष स्थान प्राप्त है। यह गोपाष्टमी वृषभ राशि के लोगों के पेशेवर जीवन में विकास लेकर आएगी।
कर्क राशि: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कर्क राशि के लोग बहुत भाग्यशाली होते हैं एवं भगवान कृष्ण को कर्क राशि वाले जातक अत्यंत प्रिय होते हैं। माना जाता है कि कर्क राशि के लोगों को श्रीकृष्ण की कृपा से सौभाग्य और संपत्ति की प्राप्ति होती है। इतना ही नहीं, कृष्ण जी अपने भक्तों की समस्याओं को दूर कर उन्हें मानसिक शांति प्रदान करते हैं।
सिंह राशि : इस राशि के लोग बहुत मेहनती और प्रतिबद्ध होते हैं और यही वजह है कि श्रीकृष्ण को सिंह राशि के जातक अत्यंत प्रिय होते हैं। भगवान कृष्ण इन्हें अपने जीवन में सुख और सफलता प्रदान करते हैं। इसके साथ ही इन्हें अपनी मेहनत से ज्यादा अच्छे परिणाम मिलते हैं जो कि स्वयं भगवान कृष्ण की कृपा का ही फल होता है। इन्हें अपने जीवन के हर पहलू में सम्मान और प्रतिष्ठा मिलती है।
तुला राशि: हिंदू पौराणिक मान्यताओं के अनुसार तुला राशि भी भगवान कृष्ण को बहुत पसंद है। वह तुला राशि के लोगों को जीवन में संतुलन और शांति प्रदान करते हैं और उनके भाग्य के बंद दरवाजे खोल देते हैं। भगवान कृष्ण की कृपा से तुला राशि वालों को असीम संपन्नता प्राप्त होती है।
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