जैसा सभी जानते हैं कि 17 जुलाई से आरंभ हुए सावन माह का अब आखिरी हफ्ता ही बचा है, जिसकी समाप्ति 15 अगस्त, गुरूवार के दिन होगी। ऐसे में यदि आपने अभी तक इस पवित्र माह का शुभाशुभ लाभ नहीं उठाया है तो अब आपको परेशान होने की ज़रूरत नहीं है। अब आप इस माह के आखिरी हफ्ते में भी अपनी कुंडली के सबसे बड़े दोष ‘पितृदोष’ को खत्म कर सकते हैं।
हिन्दू धर्म में पितृदोष के संबंध में आपको कई ज्योतिष और पुराणों की अलग अलग धारणाएँ सुनने को मिल जाएंगी। लेकिन ये सत्य ही है कि पितृदोष हमारे पूर्वजों और परिवार के दूसरे लोगों से जुड़ा एक विशेष दोष होता है, जिसके चलते जातक को अपने जीवन में कई सुखों से वंचित रहना पड़ता है। वो पितृदोष ही होता है जिसके कारण व्यक्ति को सांसारिक जीवन के साथ-साथ अपने आध्यात्मिक साधना में भी अलग-अलग बाधाएं महसूस होती हैं। माना जाता है कि हमारे पूर्वजों का रक्त ही हमारी नसों में दौड़ता है, इसलिए उनके जाने के बाद हमारे पूर्वजों के ऋण का हमारे जीवन से लेना-देना होता है।
पूर्वजों के ऋण से बनता है कुंडली में पितृदोष
पितृदोष के कई कारण और प्रकार निर्धारित किये गए हैं। लेकिन शास्त्रों अनुसार पूर्वजों के कारण वंशजों को किसी प्रकार का कष्ट होना ही पितृदोष माना गया है। बावजूद इसके इस दोष के बनने के पीछे कई अन्य कारण भी बताए गए हैं। पितृ दोष को पितृ ऋण भी कहा जाता है। चलिए अब जानते हैं कि आखिर आप कैसे अपनी कुंडली में मौजूद इस दोष के बारे में जान सकते हैं।
पितृदोष से जातक को होती है अशुभ फलों की प्राप्ति
वैदिक शास्त्रों अनुसार जिस भी जातक की जन्म कुंडली में दूसरे, चौथे, पांचवें, सातवें, नौवें या दसवें भाव में सूर्य-राहु या सूर्य-शनि की युति बन रही हो तो यह युति पितृदोष का निर्माण करती है। जिसके साथ ही ये माना जाता है कि सूर्य यदि तुला राशि में स्थित होकर राहु या शनि के साथ युति करें तो जातक को जीवनभर अशुभ फलों की ही प्राप्ति होती है, जिससे वो जीवनभर सुखों से वंचित रहता है।
इसके चलते उठाना होता है आजीवन कष्ट
बता दें कि ऊपर बताए गए इन ग्रहों की युति कुंडली में जिस भाव में होगी उस भाव से संबंधित व्यक्ति को अपने जीवन में कष्ट और परेशानी अधिक झेलनी होगी तथा उसके जीवन में हमेशा कुछ-न-कुछ परेशानी बनी ही रहेगी। इसके अलावा लग्नेश यदि छठे, आठवें या बारहवें भाव में हो और लग्न में राहु हो तो भी कुंडली में पितृदोष का निर्माण होता है। चलिए अब जानते हैं कि आखिर पितृ दोष के कारण एक जातक को अपने जीवन में क्या-क्या नुकसान उठाने पड़ते हैं:-
- पितृदोष से पीड़ित जातक को हमेशा मानसिक परेशानी लगी रहती हैं। जिससे वो अपना पारिवारिक जीवन में सही संतुलन नहीं बैठ पाता है।
- पितृदोष के चलते व्यक्ति के बहुत ज्यादा पैसा कमाने के बाद भी उसे धन सुख से वंचित रहना पड़ता है।
- पितृदोष के कारण ही व्यक्ति स्वयं को निर्णय ले पाने में पूरी तरह असक्षम महसूस करता है और उसे कोई भी निर्णय लेने में दूसरों की सलाह अधिक लेनी पड़ती है।
- ऐसे लोग अक्सर परीक्षाओं तथा साक्षात्कार में विफल रहते हैं।
- पितृदोष से पीड़ित कोई जातक यदि सरकारी या प्राइवेट नौकरी करता हो तो उसे अक्सर अपने उच्च अधिकारियों की नाराज़गी उठानी पड़ती है।
- पितृ दोष के नकारात्मक प्रभावों के चलते ही वंश वृद्धि में समस्या आती है तथा जातक को संतान प्राप्ति में भी अधिक बाधाओं का सामना करना पड़ता है।
जन्म कुंडली के बिना ऐसे करें पितृदोष की पहचान
असर कई ऐसे लोग भी होते हैं जिन्हे अपने जन्म से जुड़ी सही जानकारी नहीं प्राप्त होती हैं या उनके पास अपनी सही जन्म कुंडली नहीं होती है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ये लोग अपनी कुंडली में मौजूद कोई भी पितृदोष के बारे में कैसे पता लगा सकते हैं। तो चलिए इस सवाल का हल भी आज हम आपको बताते हुए समझते हैं कि आखिर जन्म कुंडली के बिना कैसे आप अपने पितृदोष के लक्षणों की पहचान कर सकते हैं:-
- यदि सुबह के समय उठने के तुरंत बाद ही आपके घर-परिवार में अचानक से कोई कलह क्लेश होता है तो इसका कारण पितृदोष को माना जा सकता है।
- यदि किसी के विवाह की बात अक्सर बनते-बनते बिगड़ जाती है, तो पितृदोष इसका कारण हो सकता है।
- पितृदोष ही कारण होता है जब आपको न चाहते हुए भी बार-बार चोट लगती है या आप दुर्घटनाओं के शिकार होते रहते हैं।
- पितृदोष के नकारात्मक प्रभावों के चलते ही घर मे मांगलिक कामों में विघ्न पड़ता है।
- यदि आपके घर की दीवारों में अक्सर दरारें आ जाती हैं तो इसके पीछे पितृदोष को देखा जा सकता है।
- इस दोष के चलते परिवार में या घर में मेहमानों का आना बंद हो जाता है। अगर आपके साथ भी ऐसा हो रहा है तो समझ जाएं कि आपकी कुंडली में भी पितृदोष है।
- यदि किसी को अपने दाम्पत्य जीवन में क्लेश की वजह से कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, तो इसके पीछे भी इस दोष को देखा जा सकता है।
महा उपायों से इस सावन पाएँ अपने पितृदोषों से मुक्ति
सभी देवों के देव महादेव को बताया गया है और महादेव को सावन का महीना सबसे प्रिय होता है, जिसके कारण वो इस महीने में अपने सभी भक्तों से जल्द ही प्रसन्न होकर उनके दुखों को खुद हर लेते हैं। ऐसे में माना जाता है कि यदि इस माह भी व्यक्ति अपने किसी भी प्रकार के पितृदोष से संबंधित कोई भी समस्या का निवारण करना चाहता है तो उसके लिए सावन का माह सबसे ज्यादा शुभ होता है। तो चलिए अब जानते हैं कि आखिर आप किन महा उपायों की मदद से कैसे इस सावन अपने पितृदोष से निजात पा सकते हैं:-
- यदि आप अपनी कुंडली में मौजूद किसी भी पितृदोष को खत्म करना चाहते हैं तो हर अमावस्या व सावन के प्रत्येक सोमवार को अपने पूर्वजों और पितरों के नाम से जितना संभव हो लोगों को दवा,वस्त्र, भोजन का दान करें।
- हर बृहस्पतिवार और शनिवार खासतौर से सावन में इन दोनों ही दिनों में शाम के वक़्त पीपल की जड़ में जल अर्पण करें और भगवान शिव जी का ध्यान करते हुए उसकी 7 बार परिक्रमा करें।
- सावन माह में शुक्ल पक्ष के हर रविवार (जो 2 अगस्त से आरंभ हो चूका है, और अब ये सावन माह की समाप्ति के साथ ही समाप्त होगा) को सुबह के वक़्त सूर्य देव को तांबे के लोटे में जल, गुड़, लाल फूल, रोली आदि डालकर उन्हें अर्पण करना शुरू कर दें।
- इस सावन माह अपने माता पिता और उनके समान बुजुर्ग लोगों को चरण स्पर्श करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।