प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को गायत्री जयंती मनाई जाती है। यह ख़ास दिन माता गायत्री को समर्पित होता है और इस दिन मां गायत्री की विधि-विधान से पूजा पाठ करने से साधक को हर समस्या से छुटकारा मिलता है। कुछ लोग इस दिन उपवास भी रखते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माता गायत्री की पूजा-उपासना व व्रत करने से साधक के सभी बिगड़े काम बन जाते हैं। साथ ही साधक की हर मनोकामना की पूर्ति होती है। इस दिन स्नान-ध्यान करने का विशेष महत्व है।
इस दिन वेदों की माता गायत्री प्रकट हुई थी। सनातन धर्म के अनुसार, माता गायत्री को वेदमाता भी कहा जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता गायत्री से ही चार वेद ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद की उत्पत्ति हुई थी। इनसे संबंधित गायत्री मंत्र में सभी 4 वेदों का सार होता है। मां गायत्री सभी तरह के ज्ञान की देवी हैं। उनकी पूजा त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु और शंकर भी करते हैं।
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ख़ास बात यह है कि इस बार गायत्री जयंती पर विशेष योग का निर्माण हो रहा है, जिसके चलते इस पर्व का महत्व और अधिक बढ़ गया है। तो आइए आगे बढ़ते हैं और बिना देरी किए जानते हैं गायत्री जयंती की तिथि, पूजा विधि, उपाय व इस दिन बनने वाले शुभ योग के बारे में।
गायत्री जयंती 2024: तिथि व समय
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 17 जून 2024 को पड़ रही है। इस तिथि की शुरुआत की सुबह 04 बजकर 43 मिनट से हो रही है। यह तिथि 18 जून को सुबह 06 बजकर 24 मिनट पर समाप्त होगी। उदय तिथि के अनुसार, गायत्री जयंती 17 जून दिन सोमवार को मनाई जाएगी।
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इन शुभ योग में मनाई जाएगी गायत्री जयंती
17 जून को गायत्री जयंती रवि योग और शिव योग में मनाया जाएगा। ख़ास बात यह है इस दिन चित्रा नक्षत्र पड़ रहा है। इस दिन रवि योग की शुरुआत सुबह 05 बजकर 23 मिनट से होगी। इसकी समाप्ति दोपहर 01 बजकर 50 मिनट पर होगी। इसके अलावा, परिघ योग प्रात: काल से लेकर रात 09 बजकर 35 मिनट तक है। उसके बाद से शिव योग का प्रारंभ होगा। वहीं गायत्री जयंती वाले दिन चित्रा नक्षत्र प्रात: काल से लेकर दोपहर 01 बजकर 50 मिनट तक है। उसके बाद से स्वाति नक्षत्र है।
गायत्री जयंती 2024 मुहूर्त
गायत्री जयंती के दिन मां गायत्री की पूजा करने के लिए सूर्योदय के समय सूर्य देव को जल अर्पित करने के बाद विधि-विधान से पूजा कर सकते हैं। सूर्य को अर्घ्य देने के बाद गायत्री मंत्र का जाप इस दिन अवश्य करें। उस दिन ब्रह्म मुहूर्त 04 बजकर 03 मिनट से शाम 04 बजकर 43 मिनट तक है। सूर्योदय समय सुबह 05 बजकर 23 मिनट तक है।
गायत्री जयंती के दिन अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त 05 बजकर 23 मिनट से 07 बजकर 08 मिनट तक है। शुभ-उत्तम मुहूर्त 08 बजकर 53 मिनट से 10 बजकर 37 मिनट तक है।
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गायत्री जयंती का महत्व
सनातन धर्म में गायत्री जयंती का बहुत अधिक महत्व है। शास्त्रों के अनुसार, इस पृथ्वी लोक पर हर जीव के अंदर मां गायत्री प्राण-शक्ति के रूप में विद्यमान है, यही कारण है माता गायत्री को सभी शक्तियों का आधार माना गया है। मान्यता है कि गायत्री जयंती के दिन माता गायत्री की विधि-विधान से पूजा करने से वेदों का अध्ययन करने के समान पुण्य फल की प्राप्ति होती है। साधक के ज्ञान में वृद्धि होती है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही, परिवार में शांति का वातावरण स्थापित होगा।
गायत्री संहिता में लिखा है ‘भासते सततं लोके गायत्री त्रिगुणात्मिका॥’ अर्थात गायत्री माता सरस्वती, मां लक्ष्मी और मां काली का प्रतिनिधित्व करती हैं। माता गायत्री से आयु, प्राण, प्रजा, पशु, कीर्ति, धन एवं ब्रह्मवर्चस के सात प्रतिफल अथर्ववेद में बताए गए हैं। इनकी पूजा करने पर व्यक्ति को सभी प्रकार के सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। निसंतान को संतान की प्राप्ति होती है।
इस दिन इस मंत्र का जाप जरूर करें- ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्। माना जाता है कि, जो भक्त गायत्री मंत्र का नियमित जाप करता है। उसके अंदर आध्यात्मिक शक्ति जागृत होती हैं। इस मंत्र के जाप से व्यक्ति को धन लाभ और सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है। साथ ही, गायत्री माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यही नहीं छात्र/छात्राओं के लिए यह मंत्र बहुत अधिक फायदेमंद साबित होता है।
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इस तरह मनाए गायत्री जयंती
- गायत्री जयंती के दिन सूर्योदय से पहले उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करें। यदि ऐसा संभव न हो तो घर में ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
- स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लें।
- इसके बाद माता गायत्री की प्रतिमा या चित्र स्थापित करने के बाद विधि-विधान से पूजा करें।
- इस दिन गायत्री चालीसा, गायत्री आरती और गायत्री मंत्र का जाप अवश्य करें। माना जाता है कि सूर्योदय से पहले गायत्री मंत्र का जाप करना बहुत अधिक शुभ होता है। सुख-समृद्धि के लिए गायत्री मंत्र को रुद्राक्ष की माला और पीले वस्त्र के साथ जपना चाहिए।
- इस दिन गायत्री मंत्र पढ़कर हवन करें।
- इस दिन उपवास भी रखा जाता है। व्रत करने वाले फलाहार का ही सेवन करें।
- गायत्री जयंती के दिन अपने माता-पिता, आध्यात्मिक गुरुओं और बड़ों का आशीर्वाद जरूर लें।
- इस दिन अपनी वाणी और क्रोध पर नियंत्रण जरूर रखें।
- गायत्री जयंती के दिन जल दान करें। गौ माता को खिलाएं और पक्षी के जल के पात्र को पानी से भर कर रखें।
- इसके अलावा, यदि आप पवित्र पुस्तकों का दान करते हैं, तो आपके लिए अत्यधिक सौभाग्यशाली होगा।
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गायत्री जयंती की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक ब्राह्मण वैदिक यज्ञ करना चाहते थे, लेकिन अविवाहित होने के कारण ऐसा करने में असमर्थ थे क्योंकि यज्ञ केवल पत्नी के उपस्थित होने पर ही किया जा सकता था। ब्रह्मा देवी सरस्वती के पास गए और अनुरोध किया कि वह यज्ञ के लिए उनकी पत्नी के रूप में उनके साथ जाएं। देवी सरस्वती ने देवी सावित्री की पहचान ग्रहण करने और ब्रह्मा के दिव्य जीवनसाथी के रूप में सेवा करने के लिए सहमति व्यक्त की और उनके साथ चली गईं। ब्रह्मा ने यज्ञ की तैयारी शुरू की। लेकिन तैयारी पूरी होने के बाद देवी सरस्वती काफी समय तक अनुपस्थित रहीं। यज्ञ का मुहूर्त निकला जा रहा था। जैसे ही ब्रह्मा का धैर्य समाप्त हो गया, उन्होंने दूसरी स्त्री की तलाश शुरू कर दी। इसके बाद ब्रह्मा जी ने वहां मौजूद देवी गायत्री से विवाह कर लिया और उन्हें अपनी पत्नी का स्थान देकर यज्ञ प्रारम्भ कर दिया। देवी गायत्री भगवान ब्रह्मा की पत्नी और देवी सरस्वती का अवतार हैं। वेदों की माता, या वेद माता के रूप में, देवी गायत्री पूजनीय हैं। देवी गायत्री को एक देवत्व के रूप में पूजा जाता है क्योंकि वह ज्ञान का प्रतिनिधित्व करती हैं।
गायत्री जयंती के दिन करें इन उपायों को
गायत्री जयंती के दिन किए जाने वाले कुछ ख़ास उपाय बताए जा रहे हैं, जिन्हें अपनाने से व्यक्ति कई समस्याओं से छुटकारा पा सकता है। आइए जानते हैं इन उपायों के बारे में।
दुख दरिद्रता दूर करने के लिए
यदि किसी व्यक्ति को अपने व्यापार या नौकरी में नुकसान उठाना पड़ रहा है या मेहनत करने के बाद भी कार्य में सफलता प्राप्त नहीं हो रही है तो ऐसे लोगों को पीले वस्त्र पहनकर गायत्री मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करना चाहिए। इसके अलावा, गायत्री माता का ध्यान कर गायत्री मंत्र के आगे और पीछे श्रीं सम्पुट लगाकर जप करने से दरिद्रता का नाश होता है। इसके साथ ही रविवार को व्रत किया जाए तो बहुत अधिक लाभकारी होता है।
संतान संबंधी परेशानियां से छुटकारा पाने के लिए
यदि किसी दंपत्ति को संतान प्राप्त करने में कठिनाई आ रही हो या किसी अन्य प्रकार से संतान से वंचित है तो या उसकी संतान किसी बड़ी बीमारी से ग्रस्त है तो गायत्री जयंती के दिन सुबह पति-पत्नी मिलकर एक साथ सफेद वस्त्र धारण कर यौं बीज मंत्र का सम्पुट लगाकर गायत्री मंत्र का विधि-विधान से जाप करें। ऐसा करने से संतान संबंधी हर समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।
विरोधियों व शत्रुओं पर विजय प्राप्ति के लिए
यदि कोई व्यक्ति अपने शत्रुओं से परेशान हैं या आपके शत्रु षड्यंत्र रचकर आपको नुकसान पहुंचा रहे हैं तो गायत्री जयंती के दिन लाल वस्त्र धारण कर मां दुर्गा का ध्यान करें और गायत्री मंत्र के आगे एवं पीछे क्लीं बीज मंत्र का तीन बार सम्पुट लगाकार 108 बार जाप अवश्य करें। ऐसा करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त की जा सकती है। इसके अलावा, यदि आपका कोई काम रुका है तो उस पर भी कार्य होने लगेगा।
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विवाह में देरी के लिए
यदि किसी भी व्यक्ति के शादी-विवाह में किसी कारण वश देरी हो रही है या किसी वजह से शादी का मुहूर्त टल जा रहा है तो इस ख़ास दिन पीले वस्त्र धारण कर माता पार्वती का ध्यान करते हुए ह्रीं बीज मंत्र का सम्पुट लगाकर 108 बार जाप करने से विवाह कार्य में आने वाली समस्त बाधाएं दूर होती हैं और जल्द ही विवाह के योग बनते हैं।
बड़ी बीमारे से छुटकारा पाने के लिए
यदि आप किसी बड़ी बीमारी से ग्रस्त है और लाख इलाज करने के बाद भी रोग से छुटकारा नहीं मिल रहा हैं तो इस दिन एक कांसे के पात्र में स्वच्छ जल भरकर रख लें एवं उसके सामने लाल आसन पर बैठकर गायत्री मंत्र के साथ ऐं ह्रीं क्लीं का संपुट लगाकर गायत्री मंत्र का जाप करें। जप के बाद जल से भरे पात्र का सेवन करने से बड़ी से बड़ी बीमारी से भी छुटकारा मिल सकता है। और आप रोग मुक्त हो सकते हैं।
अन्य रोगों से मुक्ति के लिए
यदि आप छोटी-मोटी स्वास्थ्य समस्याओं से लड़ रहे हैं तो इस विशेष दिन दूध, दही, घी एवं शहद को मिलाकर एक हजार गायत्री मंत्रों के साथ हवन करने से चेचक, आंखों के रोग और पाचन संबंधी रोग समाप्त हो जाते हैं और छोटी-मोटी समस्याएं भी आपको परेशान नहीं कर सकती हैं।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
उत्तर 1. गायत्री जयंती 17 जून 2024 को पड़ रही है। इस तिथि की शुरुआत की सुबह 04 बजकर 43 मिनट से हो रही है। यह तिथि 18 जून को सुबह 06 बजकर 24 मिनट पर समाप्त होगी।
उत्तर 2. गायत्री माता को त्रिदेवी लक्ष्मी, पार्वती और सरस्वती का अवतार माना जाता है।
उत्तर 3. गायत्री माता ब्रह्मा की पुत्री हैं।
उत्तर 4. ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्