हिंदू धर्म में मां गंगा को अत्यंत पवित्र और मोक्षदायिनी माना गया है। सभी रीति-रिवाज़ों और अनुष्ठानों में गंगाजल का प्रयोग किया जाता है। बच्चे के जन्म से लेकर मृत्यु के अनुष्ठानों तक में गंगाजल का उपयोग करने का विधान है।
गंगा सप्तमी के दिन गंगा के पवित्र जल में स्नान करने से लोगों के सभी पाप धुल जाते हैं और उनके जीवन में सुख-शांति आती हैं एवं उनके मान-सम्मान में वृद्धि होती है। इसके साथ ही गंगा सप्तमी पर गंगा नदी में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति भी होती है।
माना जाता है कि इस दिन मां गंगा की उपासना करने से अशुभ ग्रह के प्रभाव को कम किया जा सकता है। इस ब्लॉग में आगे बताया गया है कि गंगा सप्तमी 2024 की तिथि, पूजन मुहुर्त और महत्व क्या है।
भविष्य से जुड़ी किसी भी समस्या का समाधान मिलेगा विद्वान ज्योतिषियों से बात करके
कब है गंगा सप्तमी
14 मई, 2024 को मंगलवार के दिन गंगा सप्तमी का पर्व पड़ रहा है। गंगा सप्तमी का मध्याह्न मुहूर्त सुबह 10 बजकर 56 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 39 मिनट तक रहेगा। यह समयावधि दो घंटे 43 मिनट की रहेगी।
गंगा सप्तमी पर सप्तमी तिथि की शुरुआत 14 मई की सुबह 02 बजकर 52 मिनट से होगी और यह 15 मई की सुबह 04 बजकर 21 मिनट तक रहेगी।
इस दिन पुष्य नक्षत्र बन रहा है जिसे वैदिक ज्योतिष में बहुत शुभ माना जाता है। 14 मई को सुबह 11 बजकर 24 मिनट पर पुष्य नक्षत्र आरंभ होगा और दोपहर 01 बजकर 05 मिनट तक रहेगा। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार पुष्य नक्षत्र के स्वामी ग्रह शनि देव हैं और इसके हिंदू देवता बृहस्पति हैं। यह नक्षत्र पुरुष तत्व का है।
आपकी कुंडली में भी है राजयोग? जानिए अपनी राजयोग रिपोर्ट
गंगा सप्तमी का महत्व क्या है
स्वर्ग से धरती पर आने से पहले मां गंगा को भगवान शिव ने अपनी जटाओं में धारण किया था। उस दिन शुक्ल पक्ष के वैशाख माह की सप्तम तिथि थी। बस, तभी से इस दिन तिथि पर गंगा सप्तमी मनाई जाती है। सप्तमी तिथि पर धरती पर गंगा के अवतरण की वजह से इस दिन को सप्तमी तिथि के नाम से जाना जाता है।
शास्त्रों में कई अवसरों पर गंगा नदी में स्नान करने के महत्व के बारे में बताया गया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार गंगा सप्तमी के दिन गंगा नदी में स्नान करने से व्यक्ति के सारे पाप धुल सकते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है।
इसके साथ ही इस दिन गंगा मां के पूजन एवं गंगा नदी में स्नान करने से ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव भी कम हो जाते हैं और उनके जीवन में सुख-शांति, प्रसिद्धि और प्रतिष्ठा आती है। इस दिन दान-पुण्य करने का भी बहुत महत्व है।
अब घर बैठे विशेषज्ञ पुरोहित से कराएं इच्छानुसार ऑनलाइन पूजा और पाएं उत्तम परिणाम!
गंगा सप्तमी की पूजन विधि
गंगा सप्तमी के दिन आप निम्न विधि से पूजन कर सकते हैं:
- आप गंगा सप्तमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगा नदी में स्नान करें। यदि आप नदी में स्नान करने नहीं जा सकते हैं, तो अपने घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल डालकर स्नान कर लें।
- अब आप अपने घर के पूजन स्थल में आकर मां गंगा को फूल, सिंदूर, अक्षत, गुलाल, लाल रंग के पुष्प और लाल चंदन के साथ प्रसाद अर्पित करें।
- आप भोग में गुड़ या अन्य कोई सफेद रंग की मिठाई अर्पित करें।
- इसके बाद मां गंगा का आशीर्वाद लेने के लिए गंगा आरती करें।
- इसके पश्चात् धूप और दीपक जलाएं एवं श्री गंगा सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करें। इसके साथ ही आप गंगा मंत्र ‘ॐ नमो भगवती हिलि हिलि मिलि मिलि गंगे मां पावय पावय स्वाहा:’ मंत्र का जाप करें।
बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा
गंगा सप्तमी पर दीप दान
इस दिन दीपक जलाकर उसे बहते हुए जल में प्रवाहित करने का भी रिवाज़ है। यदि आप बहते हुए जल में दीपक जलाकर प्रवाहित नहीं कर सकते हें, तो आप गंगा सप्तमी के दिन अपने घर के अंदर दीपक जला सकते हैं। इसके बाद आप गायत्री मंत्र और सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करें।
गंगा सप्तमी 2024 के दिन क्या करें और क्या न करें
- गंगा सप्तमी के दिन आप स्नान करने के बाद मां गंगा का पूजन करें। एक कटोरी में गंगा जल भरें और उस कटोरी के आगे गाय के घी का दीपक जलाएं। अब आप मां गंगा का स्मरण करें। इसके बाद गंगा आरती करें।
- इस दिन दान-पुण्य का भी बहुत महत्व है। आप जरूरतमंद, गरीब लोगों और बच्चों को भोजन करवाएं एवं अपने सामर्थ्यानुसार उन्हें दान भी दें। इसके अलावा ब्राह्मणों को भी अन्न, धन और वस्त्रों का दान करें। इस उपाय को करने से मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग खुल जाता है और कई जन्मों के पाप भी धुल जाते हैं।
- आप गंगा सप्तमी के दिन शिव मंदिर जाकर शिवलिंग का अभिषेक करें। भोलेनाथ की जटाओं से ही मां गंगा धरती पर आईं थीं इसलिए इस शुभ दिन पर भोलेनाथ की उपासना करने का भी बहुत महत्व है। इस दिन महादेव को बेलपत्र भी अर्पित कर सकते हैं।
करियर की हो रही है टेंशन! अभी ऑर्डर करें कॉग्निएस्ट्रो रिपोर्ट
गंगा सप्तमी के ज्योतिषीय उपाय
गंगा सप्तमी के दिन कुछ ज्योतिषीय उपायों की मदद से आप अपने मोक्ष का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं एवं इस दिन कुछ विशेष उपायों की सहायता से आप अपनी मनोकामना को पूर्ण करने का आशीर्वाद भी ले सकते हैं।
- अगर आपके लिए गंगा सप्तमी के दिन पवित्र नदी में जाकर स्नान करना संभव नहीं है, तो आप अपने घर के नज़दीक किसी नदी में जाएं और वहां पर स्नान करें। स्नान करते समय मां गंगा का ध्यान करें। यदि यह भी संभव नहीं है, तो इस दिन गंगा जल का स्पर्श और सेवन जरूर करें।
- विष्णु पुराण में उल्लिखित है कि मां गंगा का केवल नाम लेने से, गंगा को देखने, गंगा का जल पीने से, उसे स्पर्श करने से, गंगा में स्नान करने से और सौ कोस दूर से भी गंगा का नाम लेने से मनुष्य के तीन जन्मों के पाप धुल सकते हैं।
- यदि आप आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं और बहुत प्रयास करने के बाद भी आपकी तंगी दूर नहीं हो रही है, तो गंगा सप्तमी के दिन एक चांदी का पात्र लें और उसमें गंगाजल भरें। इस जल को अपने घर की उत्तर पूर्व दिशों में रख दें। इस उपाय को करने से आपके घर में धन का आगमन होगा।
- आप अपने घर के पूजन स्थल में और रसोई की उत्तर-पूर्व दिशा में गंगाजल जरूर रखें। इस उपाय को करने से आपको आर्थिक लाभ होगा। आपकी आमदनी के स्रोत बढ़ेंगे और आपकी सफलता के मार्ग प्रशस्त होंगे। घर में गंगाजल रखने से सकारात्मक ऊर्जा रहती है और वहां पर मां लक्ष्मी का वास होता है।
- अगर आपके घर या दुकान में वास्तुदोष है और उसके कारण आपको आर्थिक, मानसिक या शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, तो आप गंगा सप्तमी के दिन एक उपाय कर के देखें। आप गंगा सप्तमी से पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करें। रोज़ ऐसा करने से वास्तुदोष दूर हो जाता है। इस उपाय को करने से आपके सारे कष्ट दूर हो जाएंगे और आपके घर-परिवार की मानसिक एवं शारीरिक परेशानियां मिट जाएंगी।
- आपको अपने जीवन में किसी ग्रह का अशुभ प्रभाव मिल रहा है, तो आप गंगा सप्तमी के दिन शिवलिंग पर गंगा जल से अभिषेक करें। आपको ऐसा रोज़ करना है। इससे भोले बाबा जल्दी प्रसन्न हो जाएंगे और आपकी कुंडली के सभी दोष दूर होंगे।
- इसके अलावा शनिवार के दिन एक लोटे में गंगा जल डालकर पीपल के पेड़ पर चढ़ाएं। इस उपाय की सहायता से शनि देव के अशुभ प्रभाव दूर हो जाते हैं।
पाएं अपनी कुंडली आधारित सटीक शनि रिपोर्ट
पितृ दोष से मिलती है मुक्ति
गंगा सप्तमी 2024 के दिन मां गंगा की पूजा करने और पितरों के नाम से पिंडदान, तर्पण और दान करने से पितर प्रसन्न होते हैं और आपको पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। इस उपाय से अश्वमेघ यज्ञ जितना फल प्राप्त होता है।
सभी ज्योतिषीय समाधानों के लिए क्लिक करें: ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर
हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह ब्लॉग ज़रूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ ज़रूर साझा करें। धन्यवाद!
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
उत्तर 1. 14 मई 2024 को।
उत्तर 2. 14 मई, 2024 को मंगलवार के दिन गंगा सप्तमी का पर्व पड़ रहा है।
उत्तर 3. गंगा स्नान कार्तिक पूर्णिमा के दिन किया जाता है और यह तिथि 15 नवंबर 2024 शुक्रवार के दिन पड़ रही है।
उत्तर 4. ॐ नमो गंगायै विश्वरुपिणी नारायणी नमो नम:।