जैसा की आप सभी जानते हैं कि आने वाले 2 सितंबर को गणेश चतुर्थी का त्यौहार मनाया जाएगा और गणपति के विसर्जन वाले दिन अनंत चतुर्दशी का त्यौहार मनाया जाएगा। गणेश चतुर्थी की तरह ही अनंत चतुर्दशी को भी काफी महत्वपूर्ण त्यौहार माना जाता है। इस दिन विशेष रूप से अनंत भगवान् की पूजा अर्चना की जाती है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर हर साल अनंत चतुर्दशी के दिन ही गणपति की मूर्ति क्यों विसर्जित की जाती है। आईये जानते हैं इन दोनों त्योहारों से जुड़े अहम पहलु को।
अनंत चतुर्दशी का महत्व
अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति विसर्जन क्यों किया जाता है, ये जानने से पहले ये जान लेना काफी आवश्यक है कि आखिर अनंत चतुर्दशी क्यों मनाई जाती है। बता दें कि हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हर साल भादो माह की शुक्ल पक्ष चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी का त्यौहार मनाया जाता है। अनंत भगवान् को विष्णु जी का अवतार माना जाता है, अनंत का अर्थ है जिसका ना कोई आदि हो और ना ही कोई अंत।अनंत चतुर्दशी के दिन विशेष रूप से अनंत भगवान् की पूजा की जाती है और हाथों पर एक रक्षा सूत्र बाँधा जाता है जिसे कई जगहों पर अनंत भी कहते हैं। जीवन में सुख समृद्धि और सौभाग्य के लिए इस दिन पूजा अर्चना की जाती है। इस दिन का विशेष महत्व इसलिए भी है क्योंकि इस दिन ही दस दिनों तक चलने वाले गणेश चतुर्थी त्यौहार का अंत होता है और गणपति की मूर्ति विसर्जित की जाती है।
अनंत चतुर्दशी पर बांधें जाने वाले रक्षा सूत्र का महत्व
बता दें कि अनंत चतुर्दशी के दिन विशेष रूप से एक चौदह गाँठ वाले रक्षा सूत्र को बाजू पर बाँधा जाता है। इस रक्षा सूत्र को कई जगहों पर अनंत भी कहा जाता है। इस ख़ास त्यौहार का संबंध महाभारत काल से भी है। मान्यता है कि जब पांडवों ने जुएं में अपना राज पाठ हारकर जंगल में बनवास काट रहे थे, उस समय स्वयं कृष्ण जी ने उन्हें अनंत चतुर्दशी के दिन व्रत रखकर पूजा पाठ करने को कहा था। कृष्ण जी ने पांडवों से कहा था की माता लक्ष्मी उनसे नाराज हैं इसलिए उन्हें अनंत चतुर्दशी के दिन चौदह गांठ वाले अनंत को कच्चे दूध में डुबोकर बाजू पर बांधना चाहिए और अनंत भगवान् की पूजा करनी चाहिए।
इसलिए किया जाता है अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन
चूँकि गणेश चतुर्थी, चतुर्थी तिथि पर प्रारंभ होती है इसलिए इसका समापन भी चतुर्थी तिथि पर ही किया जाता है। अनंत चतुर्थी का त्यौहार चतुर्दशी तिथि पर मनाये जाने की वजह से इस दिन ही गणेश जी का विसर्जन भी किया जाता है। इस दिन विशेष रूप से विष्णु जी के अनंत रूप की पूजा की जाती है और लोग अपने घरों में सत्यनारायण भगवान् की पूजा भी रखवाते हैं। इसके साथ ही साथ इस दिन दस दिनों तक धूम धाम और हर्षोउल्लास के साथ मनाये जाने वाले गणेश चतुर्थी का अंत भी होता है।