गणाधिप संकष्‍टी चतुर्थी 2023: इन उपायों से पूरी होगी हर कामना

गणाधिप संकष्‍टी चतुर्थी 2023: इन उपायों से पूरी होगी हर कामना

एक वर्ष में 12 महीने होते हैं और हर महीने में एक बार संकष्‍टी चतुर्थी आती है एवं इस तरह साल में 12 बार संकष्‍टी चतुर्थी पड़ती है। 28 नवंबर से मार्गशीर्ष का महीना शुरू हो गया है और इस महीने में पड़ रही संकष्‍टी चतुर्थी को गणाधिप संकष्‍टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। शास्‍त्रों के अनुसार मार्गशीर्ष मास में कृष्‍ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को ‘गणाधिप संकष्‍टी चतुर्थी’ कहा जाता है।

एस्‍ट्रोसेज के इस ब्‍लॉग में गणाधिप संकष्‍टी चतुर्थी 2023 की तिथि, पूजन विधि एवं कुछ ज्‍योतिषीय उपायों की जानकारी दी गई है।

गणाधिप संकष्‍टी चतुर्थी 2023 कब है

इस साल गणाधिप संकष्‍टी चतुर्थी 30 नवंबर, 2023 को बृहस्‍पतिवार के दिन पड़ रही है। इसके साथ ही इस दिन मार्गशीर्ष महीने का प्रथम बृहस्‍पतिवार भी पड़ रहा है जिससे इस दिन का धार्मिक महत्‍व और भी बढ़ जाता है। मार्गशीर्ष मास में भगवान विष्‍णु और कृष्‍ण जी की उपासना के लिए बृहस्‍पतिवार के दिन को विशेष माना गया है।

30 नवंबर, 2023 को बृहस्‍पतिवार के दिन दोपहर 02 बजकर 27 मिनट से चतुर्थी तिथि आरंभ होगी और इसका समापन 01 दिसंबर, 2023 को दोपहर 03 बजकर 33 मिनट पर होगा।

गणाधिप संकष्‍टी चतुर्थी 2023 पर बन रहा है शुभ योग

29 नवंबर, 2023 को रात्रि 08 बजकर 53 मिनट से शुभ योग शुरू हो जाएगा और यह योग 30 नवंबर, 2023 को 08 बजकर 13 मिनट पर समाप्‍त होगा। इस तरह गणाधिप संकष्‍टी चतुर्थी पर शुभ योग का निर्माण हो रहा है। वैदिक ज्‍योतिष के 27 योगों में शुभ योग 23वें स्‍थान पर आता है।

कोई भी मांगलिक कार्य करने के लिए इस योग को बहुत अनुकूल माना जाता है। ऐसी भी मान्‍यता है कि इस योग में जो भी कार्य शुरू किया जाता है, वह काम निश्चित ही सफल होता है। नया व्‍यापार शुरू करना हो, नई नौकरी हो, गृह प्रवेश जैसा कोई भी मांगलिक कार्य इस योग में संपन्‍न किया जा सकता है।

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गणाधिप संकष्‍टी चतुर्थी 2023 का महत्‍व

हिंदू धर्म में संकष्‍टी चतुर्थी का अत्‍यंत महत्‍व है। चतुर्थी तिथि महीने में दो बार आती है, एक शुक्‍ल पक्ष में और दूसरी कृष्‍ण पक्ष में। यह दिन भगवान गणेश की उपासना के लिए बहुत शुभ माना जाता है।

श्रद्धालु इस दिन व्रत एवं भगवान गणेश का भक्‍ति-भाव से पूजन करते हैं। हर संकष्‍टी चतुर्थी का अपना एक अलग नाम, कथा और पीठ है।

मान्‍यता है कि भगवान गणेश की उपासना करने से जीवन की सभी समस्‍याएं और संकट दूर होते हैं। इस दिन जो भी व्‍यक्‍ति सच्‍चे मन से व्रत रखता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उसके जीवन के सारे कष्‍ट मिट जाते हैं। विवाहित स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र के लिए संकष्‍टी चतुर्थी का व्रत रखती हैं। इसके अलावा अगर किसी व्‍यक्‍ति के जीवन में धन की कमी है या आर्थिक संकट सता रहा है, तो उसे भी गणाधिप संकष्‍टी चतुर्थी का व्रत अवश्‍य रखना चाहिए। संतान प्राप्ति के लिए भी गणेश जी का यह व्रत रखा जाता है।

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गणाधिप संकष्‍टी चतुर्थी 2023 पर इन बातों का रखें ध्‍यान

इस शुभ दिन पर श्रद्धालुओं को कुछ विशेष बातों का ध्‍यान रखना चाहिए:

  • अगर आप चतुर्थी तिथि पर व्रत कर रहे हैं, तो आपको चंद्रमा के दर्शन करने और उसे अर्घ्‍य देने के बाद ही अपने व्रत का पारण करना है। चंद्रमा के दर्शन करने और अर्घ्‍य देने के बाद ही यह व्रत सफल होता है।
  • इसके अलावा इस व्रत में नमक का सेवन करने के लिए मना किया गया है। आप पूरा दिन फल खा सकते हैं।
  • ज्‍योतिषशास्‍त्र के अनुसार भगवान गणेश के पूजन में तुलसी का उपयोग नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से गणेश जी आपसे रुष्‍ट हो सकते हैं।
  • भगवान गणेश ने मूषक को अपना वाहन बनाया है इसलिए गणाधिप संकष्‍टी चतुर्थी पर मूषक को परेशान नहीं करना चाहिए।
  • इस दिन व्रत रखने वाले व्‍यक्‍ति को काले रंग के कपड़े पहनने से बचना चाहिए। शूभ कार्य या पूजन में काले रंग के वस्‍त्रों को निषेध माना गया है।
  • इस व्रत व त्‍योहार पर मांसाहार का सेवन भी नहीं करना चाहिए।

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गणाधिप संकष्‍टी चतुर्थी 2023 पर पूजन मुहूर्त

गणाधिप संकष्‍टी चतुर्थी 2023 का पूजन मुहूर्त: प्रात: काल 06 बजकर 55 मिनट से लेकर 08 बजकर 13 मिनट तक है।

सांय काल पूजन मुहूर्त: शाम के समय 04 बजकर 05 मिनट से लेकर 07 बजकर 05 मिनट तक पूजन का शुभ समय है।

गणाधिप संकष्‍टी चतुर्थी 2023 चंद्रोदय का समय

गणाधिप संकष्‍टी चतुर्थी पर चंद्रमा की पूजा का भी बहुत महत्‍व है और इस दिन चंद्रमा को अर्घ्‍य देने के बाद ही व्रत संपन्‍न माना जाता है। 30 नवंबर, 2023 को रात्रि को 07 बजकर 53 मिनट और 59 सेकंड पर चंद्रोदय होगा।

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गणाधिप संकष्‍टी चतुर्थी 2023 की पूजन विधि

मार्गशीर्ष मास में पड़ने वाली गणाधिप संकष्‍टी चतुर्थी की पूजन विधि इस प्रकार है:

चतुर्थी के दिन प्रात: काल उठने के बाद स्‍नान करें और लाल रंग के नए या धलु हुए वस्‍त्र पहनें। अब आप अपने घर के पूजन स्‍थल में पूर्व की ओर मुख कर के बैठ जाएं। आपको पूजन के दौरान साफ आसन पर ही बैठना है। इसके बाद एक स्‍वच्‍छ आसन या चौकी पर भगवान गणेश की मूर्ति को स्‍थापित करें।

मूर्ति के आगे धूप-दीप और घी का दीपक जलाएं। अब आप 108 बार ‘ॐ गणेशाय नम:’ मंत्र का जाप करें और पूजन के अंत में भगवान गणेश की आरती गाएं। इसके पश्‍चात् भगवान गणेश को उनके प्रिय लड्डुओं का भोग लगाएं। आप उन्‍हें तिल के लड्डू भी खिला सकते हैं। शाम को व्रत कथा पढ़ने के बाद चंद्रमा के दर्शन करें और उन्‍हें अर्घ्‍य देकर अपने व्रत का पारण करें।

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गणाधिप संकष्‍टी चतुर्थी 2023 पर व्रत रखने के नियम

  • अगर आप गणाधिप संकष्‍टी चतुर्थी 2023 का व्रत कर रहे हैं, तो आप ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्‍नान कर लें। यह व्रत का एक नियम है।
  • स्‍नान के बाद व्रती को साफ और धुले हुए वस्‍त्र ही पहनने चाहिए।
  • व्रत के दिन आपको ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
  • इस दिन तामसिक भोजन से दूर रहें। घर में भी इस तरह का भोजन नहीं पकाना चाहिए।
  • व्रती को क्रोध करने से बचना चाहिए।
  • पूरा दिन भगवान गणेश के मंत्रों का जाप करें और श्री गणेश स्‍तोत्र का पाठ भी करें।
  • यह व्रत तभी संपन्‍न होता है, जब व्रती पूरा दिन व्रत रखने के बाद चंद्रमा को अर्घ्‍य देकर अपने व्रत का पारण करता है।

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गणाधिप संकष्‍टी चतुर्थी पर करें ज्‍योतिषीय उपाय

अगर आपके जीवन में कोई समस्‍या चल रही है या आप अपनी किसी मनोकामना की पूर्ति चाहते हैं, तो गणाधिप संकष्‍टी चतुर्थी 2023 के दिन निम्‍न उपाय कर सकते हैं।

  • गणाधिप संकष्‍टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की विधि विधान से पूजा करने के बाद आप उन्‍हें 11 जोड़े दूर्वा जरूर अर्पित करें। आपको दूर्वा चढ़ाते समय ‘इदं दूर्वादलं ॐ गं गणपतये नम:’ मंत्र का जाप करते रहना है। इस उपाय से भगवान गणेश शीघ्र ही प्रसन्‍न होंगे और आपकी मनोकामना को पूर्ण करेंगे।
  • गणाधिप संकष्‍टी चतुर्थी पर पूजन करते समय भगवान गणेश को सिंदूर का तिलक लगाना भी बहुत शुभ माना जाता है। इस दौरान ‘ॐ गं गणपतये नम:’ का जाप करें। यह उपाय करने से आपके आर्थिक कष्‍ट दूर होंगे और आपको धन लाभ होगा।
  • अगर आप भगवान गणेश को प्रसन्‍न करना चाहते हैं, तो गणाधिप संकष्‍टी चतुर्थी के दिन उनके पूजन में शमी की पत्तियां भी अर्पित करें। इसके अलावा इस दिन शमी के पेड़ की पूजा करने से भी लाभ मिलता है।

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