हिन्दू धर्म के अंतर्गत आने वाले सभी व्रत और त्यौहार को बेहद ख़ास माना जाता है। जैसा कि आप सभी जानते हैं कि हिन्दू धर्म में लक्ष्मी माता को धन की देवी माना जाता है इसलिए उनके लिए व्रत रखकर उनका आशीर्वाद पाना ख़ासा महत्वपूर्ण माना जाता है। हर साल पितृपक्ष की अष्टमी तिथि को विशेष रूप से गजलक्ष्मी व्रत रखा जाता है। आज हम आपको मुख्य रूप से गजलक्ष्मी व्रत के रखने के महत्व और पूजा विधि के बारे में बताने जा रहे हैं। तो देर किस बात की आइये जानते हैं गजलक्ष्मी व्रत से जुड़ी सभी आधार पूर्ण तथ्यों के बारे में।
गजलक्ष्मी व्रत का महत्व
हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पितृपक्ष की अष्टमी तिथि को गजलक्ष्मी व्रत रखा जाता है। बता दें कि श्राद्धपक्ष की शुरुआत बीते 13 सितंबर से हो चुका है और समाप्ति 28 सितंबर को होगा। वैसे तो इस दौरान कोई भी शुभ काम करना या नए वस्त्र आदि धारण करना वर्जित होता है लेकिन एकमात्र अष्टमी तिथि एक ऐसा दिन है जिसे बेहद ख़ास माना जाता है। इस दिन लक्ष्मी माता के गजलक्ष्मी स्वरुप का विशेष रूप से पूजा अर्चना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि, यदि इस दिन आप सोने का आभूषण खरीदकर लक्ष्मी माता को चढ़ाकर रखते हैं आपके परिवार के धन धान्य में काफी वृद्धि होगी। इसके साथ ही साथ गजलक्ष्मी माता का व्रत रखकर और विधि पूर्वक पूजा अर्चना करने से उनका आशीर्वाद जीवन पर सदा बना रहता है। बता दें कि जिस प्रकार से लक्ष्मी माता कमल के फूल पर विराजित होती हैं उसी प्रकार से गजलक्ष्मी माता हाथी पर विराजित रहती हैं।
गजलक्ष्मी व्रत के दिन अपनाएं इस पूजा विधि को
- सबसे पहले सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान आदि से निवृत होकर गजलक्ष्मी व्रत का संकल्प लें।
- इस दिन लक्ष्मी माता की पूजा विशेष रूप से शाम के वक़्त की जाती है।
- दिन भर श्रद्धापूर्वक व्रत रखने के बाद शाम को पुनः स्नान करने के बाद नए वस्त्र धारण करें।
- इसके बाद घर में पूजा स्थल पर एक चौकी स्थापित कर उसके ऊपर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं।
- अब केसर और चंदन मिलाकर उससे अष्टदल बनाएं और चावल के ऊपर जल से भरे कलश स्थापित करें।
- कलश के साथ ही साथ कमल का फूल बनाकर उसपर लक्ष्मी माता की मूर्ति या प्रतिमा स्थापित करें।
- इसके बाद मिट्टी से गज का निर्माण करें और उसे भली भाँती सोने के आभूषणों से सजाकर लक्ष्मी माता के साथ स्थापित करें।
- आप अपनी श्रद्धानुसार सोने या चांदी के गज को भी स्थापित कर सकते हैं।
- लक्ष्मी माता को धुप, दिखाएं और कमल के फूल अर्पित करे श्री यंत्र भी साथ में रखें।
- इस दिन नए ख़रीदे सोने के आभूषण चढ़ाना काफी महत्वपूर्ण माना जाता है।
- पूजा के दौरान लक्ष्मी माता को फल और मिठाई अर्पित करें, साथ ही चांदी के सिक्के भी रखें।
- ध्यान रखें की पूजा के दौरान केवल सफ़ेद या गुलाबी रंग के वस्त्र ही धारण करें।
पूजा के दौरान इन मंत्रों का जाप करना भी आवश्यक माना जाता है
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गजलक्ष्मी पूजा के दौरान खासतौर से स्फटिक की माला से लक्ष्मी माता के कुछ विशेष मंत्रो का जाप करना भी लाभदायक माना जाता है। निम्नलिखित मंत्रों का बारी-बारी से जाप जरूर करें।
“ऐं ह्रीं श्री क्लीं “
”ॐ कमलवासिन्यै स्वाहा ”
“श्रीं क्लीं श्रीं “
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