ईश्वर की बनाई हुई दुनिया कितनी खूबसूरत है। जहां नज़र घुमाओ सुंदरता ही सुंदरता बिखरी पड़ी है। ईश्वर द्वारा दिया हुआ मनुष्य जन्म अनमोल है इसलिए ज़िंदगी को खुशी से जीना चाहिए। धूप है तो क्या हुआ? पेड़ो की शीतल छाव तो है। दुःख कितने भी क्यों न हो? खुश रहने के उपाय भी तो हैं। समस्याओं का समाधान निकालकर, बस आगे बढ़ते ही जाना है। जब समस्या अनेक हैं तो उन्हें सुलझाने हेतु उपाय भी अनेक हैं। उन्हीं उपायों में से एक है फेंगशुई विधा।
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फेंग शुई का महत्व
फेंगशुई चीन का वास्तु शास्त्र है। जहाँ हज़ारों सालों से चीनी इस विद्या को अपने जीवन में प्रयोग में ला रहे हैं। फेंगशुई का शाब्दिक अर्थ होता है हवा और पानी। हवा और पानी का संतुलन ही फेंग शुई विद्या का उद्देश्य है। नकारात्मक उर्जा को सकारात्मक ऊर्जा में परिवर्तित करने के लिए कई उपाय किये जाते हैं, जिनमें क्रिस्टल, बांसुरी, एक्वैरियम, पानी का फाउंटेन, बागुआ, घण्टियाँ आदि वस्तुएँ हैं जो घर-ऑफिस आदि में लगाएं जाते है। फेंगशुई उत्पाद काफी सस्ते व प्रभावशाली होते हैं।
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अनुभव किया गया है कि कुछ स्थान अधिक भाग्यशाली होते है (अन्य स्थानों की तुलना में)। इसका मुख्य कारण है कि उस स्थान में हवा और पानी के बीच संतुलन। जल, हवा, पृथ्वी, काष्ठ और धातु का सकारात्मक सर्कल ही उत्तम फेंगशुई है।
फेंगशुई का मुख्य उद्देश्य वातावरण को सकारात्मक ऊर्जा देना और लोगों के जीवन को खुशहाल, समृद्ध और सुंदर बनाना है। इस विद्या को अपनाकर मनुष्य अपने जीवन में अपार खुशियाँ पा रहे हैं, हालाँकि इसके लिए उन्हें महज़ कुछ बदलाव करने होते हैं। जैसे रंग परिवर्तन, फर्नीचर की दिशा परिवर्तन, कुछ चिन्हों के प्रयोग आदि।
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फेंगशुई के अनुसार भाग्य का वर्गीकरण
फेंगशुई के अनुसार हम भाग्य को तीन काल में बांट सकते हैं – भूत, वर्तमान व भविष्य।
भूत भाग्य स्वर्ग द्वारा प्राप्त हुआ भाग्य है जिसे हम पिछले जन्मो के कर्मों के आधार पर पाते हैं। जिसे बदला नहीं जा सकता। वर्तमान भाग्य जो कि मनुष्य वर्तमान में संघर्ष कर रहा है उसके आधार पर पाता है। अर्थात जैसा कर्म करेगा वैसा ही उसे फल मिलेगा।
भविष्य काल यानि पृथ्वी से प्राप्त भाग्य जिसे मनुष्य अपने आसपास के वातावरण, दिशा, स्थान फैक्ट्री या दुकान इत्यादि से प्राप्त करता है। इसमें संशोधन करना संभव है। जी हाँ, फेंगशुई के द्वारा इसे पूर्ण रूप से अपने पक्ष में मोड़ा जा सकता है।
फेंगशुई का मुख्य उद्देश्य आसपास के वातावरण को अपने पक्ष में मोड़ कर सुख, समृद्धि व सौभाग्य लाना है। फेंगशुई के अनुसार यिन और यांग ब्रह्मांड की दो विरोधी शक्तियां हैं। जैसे स्त्री-पुरुष, सुख-दुख, दिन और रात। इन विरोधी शक्तियों का संतुलन ही उत्तम फेंग शुई है। जैसे- अगर दीवार का रंग हल्का हो तो फर्नीचर का रंग गहरा रखा जा सकता है। यिन और यांग का संतुलन बना रहता है।
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फेंग शुई से जुड़ी अहम बात
फेंग शुई में ‘ची’ का बहुत महत्व है। ‘ची’ अर्थात आत्मा। ‘ची’ वह रुह है जिसे मनुष्य न तो छू सकता है और न देख व सुन सकता है। ‘ची’ एक अदृश्य शक्ति है जो पूरे ब्रह्मांड को श्वास देती है। ‘ची’ को दो प्रकार में बांटा जाता है। जीवित ‘ची’ व मृत ‘ची’।
फेंगशुई के अनुसार जीवित ‘ची’ सौभाग्य लाती है व मृत ‘ची ‘दुर्भाग्य। ‘ची’ घर के दरवाजे से अंदर आती है और खिड़कियों और रोशनदान से बाहर जाती है। इसलिए फेंग शुई में द्वार व खिड़कियों का बहुत महत्व है। इनका भी सही संतुलन घर में दुर्भाग्य व सौभाग्य के आगमन का विषय है, जो कि बहुत विस्तृत है। इसे एक लेख मे बांधना असंभव है। इसलिए पूर्ण ज्ञान व उपचार के लिए विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लेनी चाहिए। क्योंकि आधा अधूरा ज्ञान कई बार घातक सिद्ध हो सकता है।
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