हिन्दू धर्म में शनि को सौरमंडल के सभी ग्रहों में से सबसे ज्यादा प्रभावशाली माना जाता रहा है। जिन्हे मनुष्य को उसके कर्मों के अनुसार फल देने दायित्व प्राप्त हैं। वैदिक ज्योतिष में भी शनि ग्रह का बहुत अधिक महत्व बताया गया है। शनि ग्रह को आयु, दुख, रोग, पीड़ा, विज्ञान, तकनीकी, लोहा, खनिज तेल, कर्मचारी, सेवक, जेल आदि का कारक प्राप्त है। इसके अलावा इन्हे मकर और कुंभ राशि का स्वामी माना गया है। जबकि तुला राशि में शनि को उच्च का तो वहीं मेष में इन्हे नीच का माना जाता है। अगर उनके गोचर की बात करें तो शनि एक राशि से दूसरी राशि में अपना गोचर करीब ढ़ाई वर्ष के बाद ही करता है। जिसे ज्योतिषीय भाषा में शनि ढैय्या कहा जाता है। ढ़ाई वर्ष तक एक राशि में रहने के कारण सभी ग्रहों में से शनि की गति सबसे मंद होती है। वहीं किसी भी जातक की कुंडली में शनि की दशा करीब साढ़े सात वर्ष की होती है जिसे शनि की साढ़े साती कहा जाता है।
शनि की कृपा से रंक राजा बन जाता है
क्रूर होने के कारण समाज में शनि देव को लेकर कई तरह की नकारात्मक धारणा बनी हुई है। जिसके कारण लोग शनि देव के नाम से भी भयभीत हो जाते हैं। परंतु असल में शनि इसके बिलकुल विपरीत होते हैं। जो स्वभाव से भले ही एक क्रूर ग्रह हो लेकिन यह पीड़ित होने पर ही व्यक्ति को नकारात्मक फल प्रदान करते हैं। इसके साथ ही यदि किसी जातक की कुंडली में शनि उच्च स्थिति में हो तो माना जाता है कि उस जातक को रंक से राजा बनते देर नहीं लगती है। इसलिए आजकल लोग उन्हें प्रसन्न करने के लिए शनिदेव की पूजा-आराधना करते हैं, जिसमें वो बहुत सावधानी बरतते हैं। साथ ही उनकी प्रकोप से बचने के लिए भी लोग हर शनिवार के दिन उनकी उपासना करते हैं। शनि देव को देश के हर कोने में पूजा जाता है। ऐसे में चलिए जानते हैं शनि देव के उन विशेष छह मंदिरों के बारे में जो देशभर में बेहद प्रसिद्ध हैं।
शनि देव के प्रसिद्ध मंदिर और उनकी विशेषताएँ
मुरैना का शनिचरा मंदिर
मध्य प्रदेश के ग्वालियर से सटे एक एंती नामक गांव का शनिदेव मंदिर देशभर में ख़ासा प्रसिद्ध है। माना जाता है कि देश के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक इस मंदिर का निर्माण त्रेतायुग में किया था, जिसमें प्रतिष्ठित शनिदेव की प्रतिमा का भी अपना एक विशेष महत्व है। मान्यताओं अनुसार, शनि देव की ये अनोखी प्रतिमा आसमान से टूट कर गिरे एक उल्कापिंड से निर्मित हुई थी। इसके साथ ही कई ज्योतिषी व खगोलविद का भी मानना है कि शनि पर्वत पर निर्जन वन में स्थापित होने के कारण यह स्थान विशेष प्रभावशाली है। याद दिला दें कि महाराष्ट्र के सिगनापुर शनि मंदिर में स्थापित शनि शिला भी इसी शनि पर्वत से ही ले जाई गई थी। कई पुराणिक कथाओं में शनि पर्वत का उल्लेख आपको आज मिल जाएगा, उन्ही में से एक मान्यता के अनुसार हनुमान जी ने शनिदेव को रावण की कैद से मुक्त कराकर उन्हें इसी मुरैना पर्वतों पर विश्राम करने के लिए छोड़ा था। इसी कारण इस मंदिर में आपको हनुमान जी की एक भव्य मूर्ति के भी दर्शन करने को मिलते हैं।
रुद्राक्ष की इन खूबियों से दूर हो सकती हैं जीवन की परेशानियां !
शनि शिंगणापुर
महाराष्ट्र में स्थित एवं विश्वभर में प्रसिद्ध शनि शिंगणापुर का बहुत महत्व है। क्योंकि कई लोग इस पवित्र स्थान को शनि देव की जन्म भूमि समझते हैं। इस पवित्र स्थान की एक बात सबसे ज्यादा हैरान करती है कि यहाँ आपको शनि देव के दर्शन तो होते हैं, लेकिन यहाँ कोई शनि मंदिर नहीं बना हुआ। अर्थात यहाँ शनि देव का घर तो है लेकिन उसमें दरवाज़ा नहीं है। शिंगणापुर को बेहद चमत्कारी स्थल माना जाता है, यहाँ स्थित शनिदेव की प्रतिमा लगभग पांच फीट नौ इंच ऊंची व लगभग एक फीट छह इंच चौड़ी है। जिसका दिलदार करने देश-विदेश के श्रद्धालुओं का ताता लगा रहता है। लोग हर साल लाखों की तादाद में यहाँ शनिदेव की इस दुर्लभ प्रतिमा के दर्शन से लाभ उठाने आते हैं।
इंदौर का शनि मंदिर
मध्यप्रदेश के इंदौर में शनिदेव का प्राचीन व बेहद चमत्कारिक मंदिर है, जो इंदौर के जूनी में स्थित है। इस मंदिर का नाम केवल देश के सभी प्राचीन मंदिरों में ही नहीं आता बल्कि ये दुनिया का भी सबसे प्राचीन मंदिर है। जिसके बारे में माना जाता है कि पौराणिक काल में यही वो मंदिर है जहाँ शनि देव स्वयं पधारे थे। इस मंदिर की महत्वता को लेकर कई पौराणिक कथाएँ भी प्रचलित हैं, उन्ही में से एक कथा के अनुसार, इस मंदिर के स्थान पर लगभग 300 वर्ष पूर्व एक 20 फुट ऊंचा टीला था, जहां वर्तमान पुजारी के पूर्वज पंडित गोपालदास तिवारी आकर ठहरे थे।
दिल्ली के शनि तीर्थ क्षेत्र, असोला, फतेहपुर बेरी
इस मंदिर में दुनिया की सबसे बड़ी शनि देव की मूर्ति हैं, जो अष्टधातुओं से बनी है। शनि देव का यह भव्य, प्राचीन मंदिर दिल्ली के महरौली में स्थित है, जहाँ दुनियाभर से श्रद्धालु शनि दोष के निवारण हेतु आते हैं।
कुंडली का ये दोष दे सकता है टी.बी का रोग !
शनि मंदिर, तिरुनल्लर
तमिलनाडु के तिरुनल्लर में स्थित नवग्रह मंदिरों में से एक ये विशाल मंदिर शनिदेव को समर्पित है। इस मंदिर को देश का सबसे पवित्र शनि मंदिर माना जाता है। जिसको लेकर ये मान्यता है कि इस मंदिर में शनि देव की पूजा करने से व्यक्ति को शनिदेव के प्रकोप से मिली बदकिस्मती, गरीबी और अन्य बुरे प्रभावों को दूर किया जा सकता है। इस मंदिर में एक सबसे विशेष बात ये भी है कि इसमें भगवान शिव की पूजा का भी अपना एक विशेष महत्व है। क्योंकि माना जाता है कि यहाँ शिव जी की पूजा करने से शनि ग्रह के सभी बुरे प्रभावों से मुक्ति मिल जाती है।
प्रतापगढ़ का शनि मंदिर
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में स्थित शनि देव का मंदिर भारत के प्रमुख शनि मंदिरों में से एक है, जो मुख्य रूप से शनि धाम के रूप में प्रख्यात है। भगवान शनि का ये प्राचीन पौराणिक मन्दिर प्रतापगढ़ जिले के विश्वनाथगंज बाजार से 2 किलोमीटर दूर कुशफरा के जंगल में है, जो दुनियाभर के लोगों के लिए श्रद्धा और आस्था का मुख्य केंद्र हैं। मान्यता है कि यही वो पवित्र स्थान है जहां मात्र आने भर से ही भक्तों को शनि देव की कृपा प्राप्त होती है। इस मंदिर में कई चमत्कार देखने को मिलते है, जिसके कारण भी लोगों में इस मंदिर के प्रति अपार श्रद्धा रखते हैं। ये मंदिर अवध क्षेत्र का एक मात्र पौराणिक शनि धाम होने के कारण यहाँ रोज़ाना हज़ारों की संख्या में लोग आते हैं। यहाँ हर शनिवार शनिदेव को विशेष तौर से उनकी पसंद के 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया जाता है, जिसे प्रसाद के रूप में भी लोगों में बाटाँ जाता है।