आने वाले 29 सितंबर से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होने जा रही है। जैसा कि आप सभी जानते हैं की नवरात्रि के आखिरी दिन दशहरा का त्यौहार मनाया जाता है। इस बार ये त्यौहार 8 अक्टूबर को मनाया जाएगा। बता दें कि, हिन्दू धर्म में मुख्य रूप से इस त्यौहार को ख़ास महत्वपूर्ण माना जाता है। बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाये जाने वाले इस त्यौहार को देश के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग अंदाज में मनाया जाता है। इस दौरान बहुत से जगहों पर मेलों का भी आयोजन किया जाता है। आज हम आपको मुख्य रूप से मैसूर में दशहरा के मौके पर आयोजित किये जाने वाले भव्य मेले के बारे में बताने जा रहे हैं।
देश का सांस्कृतिक आकर्षण माना जाता है मैसूर का दशहरा मेला
दक्षिण भारत के विभिन्न शहरों में कर्नाटका के मैसूर को पर्यटकों के लिए तो ख़ासा आकर्षण का केंद्र माना ही जाता है साथ ही साथ ये शहर अपनी सांस्कृतिक पहचान के लिए भी काफी मशहूर है। दक्षिण भारत में दशहरा के दिन रावण जलाने का महत्व है, इस लिहाज से नवरात्रि के नौ दिनों तक मैसूर में भी भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। इस मेले में शरीक होने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों से लोग दुर्गा पूजा के समय मैसूर आते हैं। यहाँ आयोजित किये जाने वाले दशहरा मेला के बारे में कहा जाता है की इसकी तैयारी कभी ख़त्म नहीं होती हर साल इसकी समाप्ति के दिन से ही अगले साल के मेले का आयोजन किया जाने लगता है। यहाँ भारत ही नहीं बल्कि विदेशों से भी विदेश सैलानी इस मेले का हिस्सा बनने भारत आते हैं। आइये जानते हैं मैसूर में आयोजित होने वाले इस मशहूर दशहरा मेले की कुछ विशेषताओं को।
इसलिए आकर्षक का केंद्र माना जाता है मैसूर का दशहरा मेला
- हर साल दुर्गा पूजा के अवसर पर दस दिनों तक मैसूर में भव्य दशहरा मेले का आयोजन किया जाता है। इस दौरान देवी माँ की पूजा अर्चना के साथ ही अनेकों प्रकार के प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाता है।
- इस भव्य मेले में मुख्य रूप से हर साल एक फ़ूड मेले का भी आयोजन होता है जहाँ विभिन्न प्रकार के भोज्य पदार्थों का स्टाल लगाया जाता है।
- मैसूर दशहरा मेले में विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक मेले का भी आयोजन किया जाता है। इस मेले में मुख्य रूप से बच्चे बूढ़े युवा सबके लिए कुछ ना कुछ आकर्षण के केंद्र जरूर रहता हैं।
- दशहरा यानि की विजयादशमी के दिन मुख्य रूप से मैसूर में चामुंडेश्वरी माता की मूर्ति को सजे धजे हाथियों पर रखकर पूरे शहर में भव्य जुलूस निकला जाता है। बता दें कि, इस जुलूस के दौरान स्थापित की जाने वाली माता की मूर्ति विशेष रूप से सोने की बनी होती है। सबसे पहले ये जुलूस मैसूर के पैलेस में रूकती है, वहां राजा-रानी माँ की पूजा करते हैं और उसके बाद ही जुलूस को शहर के हर कोने से लेकर जाया जाता है।
- मैसूर में दुर्गा पूजा के समय मेले के साथ ही साथ इस जुलूस को भी आकर्षण का मुख्य केंद्र माना जाता है। इस शाही जुलूस में सजे-धजे हाथी घोड़ों के साथ ही शाही बैंड और म्यूजिक बैंड को भी शिरकत करते हैं।
ये भी पढ़ें :
नवरात्रि विशेष: नौ दिनों के नौ रंग, हर दिन अलग रंगों से करें माँ की पूजा !
सोलह दिनों के महालक्ष्मी व्रत का समापन आज, जानें पूजा विधि !
अपने भक्तों की रक्षा के लिए माँ दुर्गा ने लिए थे ये विभिन्न अवतार !