नवरात्रि के दौरान देवी माँ के इन मंदिरों में जरूर जाएँ दर्शन करने!

देवी भक्ति के भव्य त्यौहार शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है। इस दौरान सभी हिन्दू घरों में माँ शक्ति के विभिन्न रूपों की पूजा अर्चना की जाती है। नवरात्रि के समय खासतौर से विभिन्न देवी मंदिरों में भी भक्तों की भीड़ उमड़ी रहती है। आज हम आपको देवी माँ के उन ख़ास मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं जहाँ नवरात्रि के दौरान विशेष रूप से आपको पूजा अर्चना के लिए जाना ही चाहिए। आइये जानते हैं कौन से हैं वो मंदिर जहां देवी माँ की उपासना के लिए नवरात्रि में जाना शुभ फलदायी माना जाता है।

माँ पीतांबरा देवी मंदिर 

माँ पीतांबरा देवी का मंदिर मध्यप्रदेश के दतिया जिले में स्थित है। इस मंदिर की स्थापना साल 1935 में हुई थी। देवी माँ के इस मंदिर में खासतौर से नवरात्रि के दौरान भीषण भीड़ नजर आती है। माँ पीतांबरा के इस मंदिर को ख़ासा चमत्कारी माना जाता है। कहते हैं कि, यहाँ विशेष रूप से माता दिन में तीन बार अपना रूप बदलती हैं। इस मंदिर की एक खासियत ये भी है की यहाँ देवी का दरबार नहीं लगता बल्कि केवल एक खिड़की के माध्यम से लोग देवी माँ का दर्शन करते हैं। 

माँ त्रिपुर सुंदरी 

माँ त्रिपुर सुंदरी का मंदिर झारखंड के बक्सर में स्थित है। बिहार झारखंड के प्रमुख मंदिरों में से इस मंदिर को करीबन पांच सौ साल पुराना माना जाता है। मंदिर को अद्वितीय शक्ति का प्रारूप माना जाता है। कहते हैं कि, रात के समय मंदिर परिसर से अजीब आवाजें आती हैं। मंदिर के पुजारियों की माने तो देवी माँ के इस मंदिर से आने वाली आवाजें उनकी आपस में की जाने वाली बातचीत है। नवरात्रि के समय यहाँ आने वाले भक्तों की संख्या दोगुनी हो जाती है। देवी के उपासकों को नवरात्रि के दौरान विशेष रूप से यहाँ आकर माता की पूजा जरूर करनी चाहिए। 

परमेश्वरि दुर्गा मंदिर

दुर्गा माँ के परमेश्वरि रूप का मंदिर मंगलुरु में स्थित है। यहाँ के स्थानीय निवासी नवरात्रि के दौरान  विशेष रूप से अग्नि केलि परंपरा का पालन करते हैं। इसके तहत मुख्य रूप से लोग एक दूसरे के ऊपर अंगारे फेंकते हैं। नवरात्रि के दौरान माता की पालकी निकाली जाती है। इस दौरान यहाँ भक्तों की भाड़ी भीड़ नजर आती है। ऐसी मान्यता है कि, शारदीय नवरात्रि के दौरान माँ का दर्शन करना विशेष फलदायी माना जाता है। 

माँ दंतेश्वरी मंदिर 

माँ दंतेश्वरी मंदिर छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में स्थित है। माता के इस मंदिर में सीले हुए कपड़े पहन कर जाना निषेध माना जाता है। यहाँ पुरुष धोती और महिलाएं केवल साड़ी पहन कर जा सकती हैं। मंदिर के निर्माण के बारे में कहा जाता है कि, इसका निर्माण अन्नम देव नाम के राजा ने करवाया था। मान्यता है कि, वो देवी माँ के बहुत बड़े भक्त थे एक बार देवी माँ ने उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया की वो जहाँ तक जाएंगे वहां तक उनका राज्य होगा। देवी माँ के इस मंदिर में नवरात्रि के दौरान भक्त उनकी दर्शन के लिए जरूर जाते हैं। 

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