आपने अक्सर सुना होगा कि एक दिन में आठ पहर होते हैं लेकिन इन आठ पहरों का मतलब क्या होता है और यह पहर कब से कब तक होते हैं? साथ ही जन्म के पहर से व्यक्ति के व्यक्तित्व के बारे में कैसे जाना जा सकता है? अपने इस विशेष आर्टिकल में हम आज इन्हीं विषयों पर बात करेंगे। सबसे पहले जानते हैं दिन के आठ पहर कौन-कौन से होते हैं और उनका क्या महत्व होता है।
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दिन के आठ पहर और इनका महत्व
- पहला पहर शाम 6 बजे से रात 9 बजे तक रहता है। इसे दिन का पहला पहर कहा जाता है और इस पहर में देवी देवताओं की पूजा उपासना करना बेहद ही फलदाई होता है। इस दौरान सोना वर्जित माना गया है।
प्रथम पहर में जन्म लेने वाले लोगों का व्यक्तित्व: मुख्य तौर पर देखा गया है कि जिन व्यक्तियों का जन्म प्रथम पहर में होता है उन्हें अपने जीवन में आंख और हड्डियों से संबंधित परेशानियां होती हैं।
- दूसरा पहर रात 9 बजे से 12 बजे तक चलता है। इस पहर में खरीददारी करना वर्जित माना गया है और साथ ही इस दौरान फूल पत्ती भी नहीं तोड़ना चाहिए।
दूसरे पहर में जन्म लेने वाले लोगों का व्यक्तित्व: दूसरे पहर में जन्म लेने वाले लोगों के अंदर कलात्मक क्षमता कूट-कूट कर भरी होती है। हालांकि उन्हें अपने शिक्षा के मार्ग में तमाम तरह की बाधाओं का सामना करना पड़ता है।
- तीसरा पहर रात 12 से 3 बजे तक का होता है। इस पहर का कुछ विशेष लाभ माना गया है। हालांकि इस पहर में स्नान करने और भोजन करने से जितना हो सके बचना चाहिए।
तीसरे पहर में जन्म लेने वाले लोगों का व्यक्तित्व: अक्सर देखा है गया है कि तीसरे पहर में जन्म लेने वाले लोग अपने घर से दूर जाकर सफलता हासिल करते हैं। साथ ही ऐसे लोगों से अपने घर के लोगों के साथ संबंध कुछ खास अच्छे नहीं होते हैं।
- चौथा पहर भोर के 3 से सुबह के 6 बजे तक के समय को चौथा पहर कहते हैं। यह रात का अंतिम पहर कहलाता है और आध्यात्मिक काम को करने के लिए यह पहल सबसे उपयुक्त माना गया है। हालांकि इस दौरान खाने-पीने से बचना चाहिए।
चौथे पहर में जन्म लेने वाले लोगों का व्यक्तित्व: इस पहर में जन्म लेने वाले लोग तेजस्वी और आध्यात्मिक स्वभाव के होते हैं।
- पांचवा पहर सुबह के 6 बजे से 9 बजे तक के समय को पांचवा पर कहा जाता है। यह दिन का पहला पहर होता है और इस दौरान नकारात्मकता बिल्कुल भी नहीं होती है। हालांकि इस पहर में सोना वर्जित माना गया है।
पांचवें पहर में जन्म लेने वाले लोगों का व्यक्तित्व: दिन की इस पहर में जन्म लेने वाले लोग अपने जीवन में ढेरों उन्नति प्राप्त करते हैं। हालांकि इन्हें अपने जीवन में स्वास्थ्य संबंधित तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
- छठा पहर सुबह के 9 बजे से दोपहर के 12 बजे तक के समय को दिन का छठा पहर माना जाता है। इस दौरान व्यक्ति के काम करने की शक्ति बढ़ जाती है। हालांकि इस दौरान मांगलिक कार्य नहीं किए जाने चाहिए। साथ ही इस दौरान यदि मुमकिन हो तो पेड़ पौधे भी ना लगाएं।
छठे पहर में जन्म लेने वाले लोगों का व्यक्तित्व: अक्सर देखा गया है कि दिन के छठे पहर में जन्मे लोग प्रशासनिक सेवा और राजनीति में खूब तरक्की और नाम कमाते हैं।
- सातवां पहर दोपहर के 12 बजे से शाम के 3 बजे तक के समय को सप्तम पहर या सातवां पहर भी कहा जाता है। इस दौरान लोगों की काम करने की क्षमता थोड़ी कम हो जाती है। हालांकि भोजन करने के लिए यह समय उत्तम माना गया है लेकिन सोने से इस दौरान बचना चाहिए।
सातवें पहर में जन्म लेने वाले लोगों का व्यक्तित्व: दिन के इस पहर में जन्मे लोगों का स्वभाव काफी ज्यादा जिद्दी होता है और शिक्षा के क्षेत्र में उन्हें शुरुआती समय में काफी बाधाओं का सामना करना पड़ता है।
- आठवां पहर शाम के 3 बजे से शाम के 6 बजे तक के समय को दिन का आठवां और आखिरी पहर कहा जाता है। इस पहर में आराम करने कि कोई मनाही नहीं होती है लेकिन मुमकिन हो तो इस दौरान भोजन नहीं करना चाहिए। इसे पहर को कोई भी नया काम को शुरू करने के लिए भी बेहद अशुभ माना गया है।
आठवें पहर में जन्म लेने वाले लोगों का व्यक्तित्व: इस पहर में जन्मे लोग अक्सर फिल्म, मीडिया और ग्लैमर के क्षेत्र में नाम और प्रसिद्धि कमाते हैं।
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