12 अगस्त को बकरीद, अभी से शुरू हुई बकरों की ऑनलाइन खरीदारी

इस्लाम अनुसार इस्लामिक कैलेंडर के जुल हिज्जाह महीने के 10वें दिन यानी भारत में संभावित 12 अगस्त को ईद उल अजहा यानी बकरीद का त्योहार मनाया जाएगा। जिस प्रकार हिन्दू समुदाय में दीवाली, होली, आदि त्योहारों का सबसे विशेष महत्व होता है। ठीक उसी प्रकार मुस्लिम समुदाय के लिए भी बकरीद सबसे पवित्र त्योहारों में से एक माना जाता है। इस दिन मुस्लिम लोग अल्लाह या ख़ुदा की इबादत करते हुए अपनी मान्यता अनुसार भेड़ या बकरों की कुर्बानी देते है। इस दिन सुबह की नमाज़ पढ़ने के बाद ही इस कुर्बानी की रस्म को सम्पन्न किया जाता है। इस पर्व की सबसे ख़ास बात ये भी होती है कि इस दिन दी जाने वाली सभी कुर्बानियों के गोश्त का अधिकतर हिस्सा सिर्फ गरीब या ज़रूरतमंद लोगों में तकसीम किया यानी बाटा जाता है। 

इस बकरीद पर मची ऑनलाइन धूम  

यूँ तो अभी बकरीद के लिए कुछ दिन बाकी हैं लेकिन अभी से बकरों की खरीद-फरोत का सिलसिला शुरू हो चला है। इस बार जहाँ देश डिजिटल की ओर तेजी से अपने कदम बढ़ा रहा है। वहीं ईद-उल-अजहा (बकरीद) पर मुस्लिम समुदाय के लोगों की सुविधा को देखते हुए भारी मात्रा में ऑनलाइन बकरे बेचे जा रहे हैं ताकि लोगों को बकरा खरीदने के लिए जगह-जगह भटकना न पड़े और मुस्लिम लोग इस बकरीद पर डिजिटल और कैशलेस इंडिया का सबसे ज्यादा फायदा उठा पाएँ। 

इसलिए जो भी लोग बकरीद के लिए ऑनलाइन बकरा खरीदना चाहते हैं उन्हें कई ऑनलाइन साइट पर हज़ारों से लेकर लाखों तक के छोटे-बड़े बकरों के कई विकल्प मिल रहे हैं। साथ ही विक्रेता ऑनलाइन बकरे की कई नस्ल भी ग्राहकों को मुहैया करा रहे हैं। 

ऑनलाइन शॉपिंग से मुस्लिमों को मिल रहे हैं कई फायदे

इस बकरीद मुस्लिम समुदाय की ज़रूरत को ध्यान में रखते हुए बकरों की ऑनलाइन शॉपिंग में न केवल अलग-अलग नस्लों के ऑपशन दिए जा रहे हैं बल्कि लोगों को लुभाने के लिए और भी कई फायदे दिखाते हुए उन्हें ख़रीददारी करने के लिए आकर्षित किया जा रहा है। इस वर्ष ये बदलाव इसलिए भी ख़ासा अहम माना जा रहा है क्योंकि ये देखने को मिलता था कि दलालों की वजह से मंडी में बकरों की कीमत काफी ज्यादा बढ़ जाती है। ऐसे में इस तरह ऑनलाइन बकरों की बिक्री ने ये समस्या भी दूर कर दी है। क्योंकि अब खरीददार बेचने वालों से सीधा संपर्क कर 12 अगस्त बकरीद के लिए बकरे खरीदते दिखाई दे रहे हैं। जिससे उन्हें पहले की तरह अब ज्यादा कीमतें भी नहीं देनी पड़ रही है। 

इस्लाम अनुसार बकरा ईद का महत्व

पौराणिक मान्यता अनुसार इस्लाम धर्म अनुसार कई खास पैगंबरों में से पैगंबर हजरत इब्राहीम को एक बेहद पाक पैगंबर बताया गया है। उनके लिए कहा जाता है कि एक बार अल्लाह ने हजरत इब्राहीम से उनकी सबसे प्यारी चीज की कुर्बानी मांगी थी। चूंकि हजरत इब्राहीम के इस्माइल नाम का इकलौता बेटा था, इसलिए वे उसे अपने आप से भी ज्यादा प्यार करते थे। हजरत इब्राहीम को अपने बेटे की प्राप्ति बुढ़ापे में हुई थी, इसलिए भी वे उनके लिए बेहद ख़ास था। लेकिन बावजूद इसके अल्लाह के प्रति अपनी भावना दिखते हुए और अल्लाह के हुक्म का पालन करते हुए वे उन्हें अपने बेटे की कुर्बानी देने को तैयार हो गए। माना जाता है कि जिस वक़्त हजरत इब्राहीम अपने बेटे की कुर्बानी देने लगे उस वक़्त अल्लाह ने उनके बेटे की जगह पर वहां एक बकरा खड़ा कर दिया था। इसके बाद से ही हर साल इस दिन पर बकरीद मनाने का चलन हो गया। उसी परंपरा को मानते हुए और इस दिन अल्लाह के आदेश का पालन करते हुए मुस्लिम समुदाय के लोग बकरे या मेमने की कुर्बानी देते हैं।