9 दिनों तक चलने वाले नवरात्रि के इस पावन पर्व में अनेकों प्रकार की एक रीति रिवाज और धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। इन्हीं तमाम अनुष्ठानों में से एक होता है दुर्गा पूजा का अनुष्ठान। बहुत सी जगहों पर इस उत्सव को दुर्गा उत्सव के भी नाम से जाना जाता है। यूँ तो शारदीय नवरात्रों की तरह दुर्गा पूजा भी 10 दिनों तक चलती है लेकिन सही मायनों में दुर्गा पूजा का आरंभ नवरात्रि की षष्ठी तिथि से होता है।
दुर्गा पूजा उत्सव में षष्ठी तिथि, महा सप्तमी, महा अष्टमी, महा नवमी, और विजयदशमी का विशेष महत्व बताया गया है। यह पावन पर्व मां दुर्गा की महिषासुर पर विजय के प्रतीक के रूप में बेहद ही धूमधाम से हर साल मनाया जाता है। मुख्य रूप से देखा जाए तो भारत में पश्चिम बंगाल, असम, ओडिशा, मणिपुर, त्रिपुरा, बिहार, झारखंड, इत्यादि जगहों में दुर्गा पूजा के त्यौहार को बेहद ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाने की परंपरा है।
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नवरात्रि अष्टमी तिथि और महत्व
नवरात्रि अष्टमी तिथि और आगे आने वाली अन्य तिथियों की जानकारी हम आपको नीचे सूची में दे रहे हैं।
दिन | नवरात्रि दिन | तिथि | माँ की पूजा |
13 अक्टूबर 2021(बुधवार) | नवरात्रि दिन 7 | अष्टमी | माँ महागौरीदुर्गा महा अष्टमी पूजा |
14 अक्टूबर 2021(गुरुवार) | नवरात्रि दिन 8 | नवमी | माँ सिद्धिदात्रीदुर्गा महा नवमी पूजा |
15 अक्टूबर 2021 (शुक्रवार) | नवरात्रि दिन 9 | दशमी | नवरात्रि पारणादुर्गा विसर्जनविजय दशमी |
महत्व की बात करें तो दुर्गा पूजा में अष्टमी तिथि या महा अष्टमी का सबसे ज्यादा महत्व बताया जाता है। इस दिन को बहुत सी जगहों पर महा दुर्गाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। महा अष्टमी के दिन की पूजा का विधान महा सप्तमी पूजन की तरह किया जाता है। इस दिन भी स्नान आदि करने के बाद मां दुर्गा की षोडशोपचार विधि से पूजा की जाती है।
दुर्गा महाअष्टमी तिथि व पूजा मुहूर्त
दुर्गा महाअष्टमी पूजा वर्ष 13 अक्टूबर,बुधवार के दिन की जाएगी।
दुर्गा महाअष्टमी शुभ पूजा मुहूर्त
अष्टमी आरम्भ: 21:49:PM (12 अक्टूबर, 2021)
अष्टमी समाप्त: 20:09 PM (13 अक्टूबर, 2021)
मां महागौरी पूजा लाभ
- विवाह से संबंधित बाधाएं दूर होती हैं।
- व्यक्ति के पाप आदि कर्म नष्ट हो जाते हैं।
- जीवन में सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।
- मनचाहा जीवनसाथी मिलता है।
- जीवन के कष्ट, दुख, और परेशानियां दूर होते हैं और शत्रु पर विजय प्राप्त होती है।
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माँ महागौरी को प्रसन्न करने के राशिनुसार उपाय
अब जान लेते हैं माँ महागौरी को प्रसन्न करने और उनकी कृपा प्राप्त करने के कुछ ज्योतिषीय उपाय। यहाँ हम आपको सभी बारह राशियों के अनुसार किये जाने वाले उपायों की जानकारी प्रदान कर रहे हैं:
- मेष राशि : जीवन में हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करें।
- वृषभ राशि : मंदिर जाकर महालक्ष्मी के समक्ष अगरबत्ती जलाएं और उन्हें प्रसाद चढ़ाएं, ऐसा करने से आपको शुभ परिणाम हासिल होंगे।
- मिथुन राशि : आर्थिक संपन्नता बढ़ाने के लिए एक बर्तन में एक किलो मूंग दाल और एक किलो काला नमक डालकर इसे लाल कपड़े से बांधकर घर के साफ़ कोने में रख दें।
- कर्क राशि : माँ लक्ष्मी को कमल का फूल चढ़ाएं और अष्टमी की पूजा के बाद इस फूल को पैसे रखने वाली जगह या तिजोरी में रख लें।
- सिंह राशि : एक लाल साफ़ कपड़े में जटा वाला नारियल बांधकर माँ दुर्गा का ध्यान करें और अपनी इच्छा सात बार दोहराएं। इसके बाद कपड़े बंधे नारियल को बहते पानी में प्रवाहित कर दें।
- कन्या राशि : अपने घर के मंदिर में या मंदिर जाकर माता रानी को हरे रंग की वस्तु या मिठाई चढ़ाएं।
- तुला राशि : घी या तेल का दीपक जलाएं। उत्तर पूर्व या पूर्व दिशा की तरफ मुंह करके गुलाब की पंखुड़ियाँ और प्रसाद चढ़ाएं और महागौरी मंत्र का जाप करें।
- वृश्चिक राशि : हनुमान चालीसा का पाठ करें और भगवान को गुड़ अर्पित करें।
- धनु राशि : चींटियों को चीनी खिलाएं, या किसी पेड़ या चींटियों ने घर बनाया हो वहां इस मिश्रण को रख दें।
- मकर राशि : झाड़ू की दो सींक को नीले धागे से बांधकर घर के दक्षिण पश्चिम कोने में रख दें।
- कुम्भ राशि : इस दिन गरीब लड़कियों को छोटे-छोटे उपहार बांटे।
- मीन राशि : अनुकूल परिणाम के लिए दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
रत्न को क्रियाशील करके पाएं माँ महागौरी की विशेष कृपा
नवरात्रि का आठवां दिन माँ महागौरी को समर्पित माना गया है। इसके अलावा जैसा कि हमनें आपको अपने पिछले आर्टिकल में भी बताया था कि नवरात्रों में माँ दुर्गा के नौ अवतारों की पूजा और उन्हें प्रसन्न करके ग्रहों के शुभ परिणाम भी प्राप्त किये जा सकते हैं, ऐसे में माँ महागौरी का संबंध ग्रहों में राहु ग्रह से बताया गया है। ऐसे में इस दिन की विधिवत पूजा अर्चना से राहु ग्रह के शुभ परिणाम भी प्राप्त हो सकते हैं और साथ ही इस ग्रह के दुष्प्रभाव को कम भी किया जा सकता है।
इसके अलावा यदि नवरात्रि की अष्टमी तिथि के दिन गोमेद रत्न को क्रियाशील या किसी जानकार ज्योतिषी से परामर्श लेने के बाद धारण किया जाये तो इससे भी व्यक्ति के जीवन में कई शुभ परिणाम हासिल होते हैं, जैसे व्यक्ति चतुर, चालाक और स्मार्ट बनता है।
आठवें दिन का विशेष भोग
किस दिन किस देवी को किस चीज़ का भोग लगाना चाहिए इस बात का ज्ञान भी बेहद आवश्यक होता है। मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि, यदि नवरात्रि की अष्टमी तिथि को माँ महागौरी को नारियल का भोग लगाया जाये तो इससे माँ शीघ्र और अवश्य प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों की हर मनोकामना अवश्य पूरी करती हैं।
माँ महागौरी मंत्र
त्रैलोक्यमंगल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्।
वददं चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥
अष्टमी तिथि पर संधि पूजा का महत्व
अष्टमी तिथि समाप्त होने के अंतिम 24 मिनट और नवमी तिथि के शुरुआती 24 मिनट को संधि क्षण कहते हैं और अष्टमी और नवमी तिथि की पूजा करने के लिए संधि क्षण का यह समय बेहद शुभ माना जाता है। कहते हैं संधि काल में ही देवदुर्गा ने दैत्य चंड और मुंड का वध किया था। इसलिए इस दौरान माता की विशेष पूजा और उन्हें भोग आदि अर्पित करने का विधान बताया गया है।
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कन्या पूजन: महत्व और इस दौरान बरती जाने वाली सावधानियां
नवरात्रि में कन्या पूजन का विशेष महत्व बताया गया है। बहुत से लोग नवमी के दिन कन्या पूजन कराते हैं तो बहुत से लोग अष्टमी के दिन भी कन्या पूजन कराते हैं। बता दें कि अष्टमी और नवमी इन दोनों ही दिनों कन्या पूजन करना शुभ फलदाई होता है। कन्या पूजन में 2 से 09 वर्ष की आयु की कन्याओं की पूजा की जाती है। इन कन्याओं को साक्षात् माँ का स्वरूप माना गया है। ऐसे में उन्हें घर बुलाकर सबसे पहले उनके पाँव धोये जाते हैं। इसके बाद उन्हें तिलक लगाया जाता है, उनकी आरती उतारी जाती है, फिर उन्हें खाने में हलवा, पूरी, प्रसाद का भोग लगाया जाता है। अंत में उनके हाथ-पांव पुनः धुलवाए जाते हैं फिर उन्हें भेंट देकर उनसे आशीर्वाद लिया जाता है।
कन्या पूजन के बारे में प्रचलित मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि, माँ पूजन, उपवास, और तप जप से इतनी प्रसन्न नहीं होती जितनी कन्या पूजन से होती हैं। ऐसे में यदि आप श्रद्धा भाव से एक भी कन्या की पूजा करके उन्हें भोजन कराते हैं तो मां दुर्गा आप से अवश्य प्रसन्न होंगी और आपके जीवन पर अपनी कृपा बनाए रखेंगी।
एक कन्या को भोजन कराने से ऐश्वर्य मिलता है। दो कन्याओं की पूजा और पूजन कराने से भोग प्राप्त होता है। तीन कन्याओं को भोजन कराने से चारों पुरुषार्थ और राज्य सम्मान प्राप्त होता है। चार या पांच कन्याओं की पूजा और उन्हें भोजन कराने से बुद्धि और विद्या प्राप्त होती है। छह कन्याओं की पूजा करने से कार्य सिद्धि प्राप्त होती है। सात कन्याओं की पूजा करने से परम पद की प्राप्ति होती है। आठ कन्याओं की पूजा करने से अष्टलक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और नौ कन्याओं की पूजा और उन्हें भोजन कराने से सभी प्रकार के ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
कन्या पूजन: नियम और सावधानियां
कन्या पूजन को नवरात्रि की अष्टमी तिथि का एक बेहद महत्वपूर्ण अनुष्ठान माना जाता है। ऐसे में बेहद आवश्यक है कि इस दौरान सही नियम और सावधानियां बरती जाएं। तो आइए जान लेते हैं कन्या पूजन से जुड़ी नियम और सावधानियां क्या कुछ होते हैं:
- कन्या पूजन में 9 कन्याओं के साथ एक बालक भी अवश्य शामिल करें। यह बालक भैरव का प्रतीक माना जाता है।
- कन्याओं की ही तरह बालक के भी हाथ और पांव धुलवाकर कन्या पूजन प्रारंभ करें।
- भोजन कराने के बाद कन्याओं को अपनी यथाशक्ति के अनुसार भेंट अवश्य दें और उनका आशीर्वाद लें।
- हालांकि अभी कोरोना का साया पूरी तरह से हटा नहीं है। ऐसे में यदि आपको सही लगे तो घर पर कन्याओं को बुलाने की जगह आप 9 कन्याओं और एक बालक के लिए भोजन निकाल लें और फिर इसे किसी जरूरतमंद को दान दे दें।
- इस दिन भूल से भी किसी बच्चे का अनादर ना करें।
- इस दिन कन्याओं को गलती से भी बासी भोजन न कराएं और ना ही उन पर क्रोध करें।
- भोजन करने के बाद सभी बच्चों के साथ-पांव धुलाएं और उनका आशीर्वाद लेकर उन्हें विदा करें।
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