हिंदू धर्म में मंदिरों को सबसे पवित्र जगह मानते हैं। कहा जाता है कि जितनी श्रद्धा से आप भगवान की भक्ति करते हैं, भगवान भी उतनी ही जल्दी आपकी प्रार्थना को सुनते है, और आपके दुखों को दूर करते हैं। मंदिर और पूजा को लेकर ढेरों मान्यताएं और परम्पराएं मानी जाती है। पूजा करते समय लोग छोटी से छोटी चीज़ का ध्यान रखते हैं, और बहुत सावधानी बरतते हैं। मंदिर भगवान का घर माना जाता है, इसीलिए मंदिरों में प्रवेश के समय भी हमें कुछ बातों का अवश्य ध्यान रखना चाहिए। कई बार हम भूल से या अज्ञानता में ऐसी गलती कर बैठते हैं, जिसकी वजह से हमारे द्वारा की गयी पूजा व्यर्थ चली जाती है।
अधिकांश समय हमारा ध्यान इस बात पर होता है, कि भगवान को खुश करने के लिए हम पूजा में क्या-क्या इस्तेमाल करें, लेकिन पूजा में या मंदिर में प्रवेश से पहले क्या नहीं करना चाहिए इसकी जानकारी बहुत कम लोगों को ही होती है। आज इस लेख में हम आपको यही बताने जा रहे हैं, कि आखिर वो कौन सी गलती है जो हम सभी से अक्सर हो जाती है। क्या आप जानते हैं कि मंदिर में चमड़े से बने चीजें पहनकर नहीं जाना चाहिए, और ऐसा क्यों है चलिए आपको विस्तार से बताते हैं –
चमड़े की वस्तुएँ हैं वर्जित
अक्सर हम लेदर यानि चमड़े की चीज़े जैसे कि पर्स, बेल्ट आदि पहन कर मंदिर में प्रवेश कर जाते हैं, जबकि ऐसा किसी भी व्यक्ति को भूलकर भी नहीं करना चाहिए। माना जाता है कि इससे मंदिर की पवित्रता भंग हो जाती है। चमड़ा मरे हुए पशुओं की खाल से बनाया जाता है। इसे गंधरहित करने के लिए इस पर बहुत से रसायन लगाए जाते हैं। लेदर(चमड़े) की वस्तुएँ बाज़ार में बहुत महंगी बेचीं जाती हैं। मंदिर में प्रवेश करते समय हम अपने जूते तो बाहर ही निकाल देते हैं, लेकिन बेल्ट, जैकेट, पर्स आदि जैसी कई अन्य चीज़ें लेकर हम मंदिर में प्रवेश कर जाते हैं। ऐसा करने पर मंदिर की शुद्धता तो भंग होती ही है, साथ ही साथ हमारे द्वारा कि गयी पूजा-प्रार्थना आदि भी व्यर्थ चली जाती है।
वैज्ञानिक दृष्टि से भी चमड़ा है हानिकारक
वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो चमड़ा पहनना शरीर के लिए बहुत ही नुकसानदायक होता है। किसी भी वस्तु को शुद्ध और साफ करने के लिए पहले उसे पानी से धोया जाता है, लेकिन हम सभी जानते हैं कि चमड़ा पानी में आते ही खराब हो जाता है। यदि आपने चमड़े की कोई भी चीज पहननी है, वो यदि पानी और पसीने से भीग जाए, तो व्यक्ति को त्वचा संबंधित रोग हो सकते हैं। जो कि भविष्य में घातक भी हो सकता है। जिन लोगों की स्किन ज्यादा संवेदनशील होती है, उन्हें चमड़े की वस्तुओं से नुकसान पहुंच सकता है।
शास्त्रों के अनुसार बताए गए नियमों का पालन करना भक्त का पहला कर्तव्य होता है, इसीलिए आपको भी मंदिर जाने से पहले इन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
यह भी पढ़ें –
वास्तु-शास्त्र: घर के मेन गेट की दिशा के अनुसार ये होना चाहिए उसका सही रंग
द्रौपदी स्वयंवर में कर्ण ने उठा लिया था धनुष फिर भी होना पड़ा अपमानित, जानें क्यों?