महादेव की कृपा पाने के लिए महाशिवरात्रि पर अवश्य करें ये काम

भगवान शिव

भोले नाथ के भक्त साल भर उस ख़ास दिन का इंतज़ार करते हैं जब वो अपनी श्रद्धा-भक्ति से भगवान शिव को प्रसन्न कर सकें और बदले में सालभर शिवजी की कृपा प्राप्त कर सकें। तो आइये जानते हैं कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की भक्ति से कैसे आपको भी मिल सकता है उनका अनुपम वरदान। इस दिन भगवान शिव के रुद्राभिषेक की भी प्रथा है।

महाशिवरात्रि पर विशेष ऑफर- बृहत् कुंडली पर 1350 रुपए की भारी छूट

हिन्दू धर्म में महाशिवरात्रि के त्यौहार को लेकर अनेकों तरह की पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। कहा जाता है कि इसी दिन भगवान शिवलिंग रूप में प्रकट हुए थे। यही वजह है जिसके चलते भगवान शिव के निराकार से साकार रूप में अवतरण की इस रात को महा-शिव *रात्रि* कहा जाता है। हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन महाशिवरात्रि का त्यौहार मनाया जाता है। हालाँकि वहीं अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह तारीख फरवरी और मार्च के महीने में आती है। 

इस वर्ष महाशिवरात्रि 21 फ़रवरी 2020, शुक्रवार को मनाई जाएगी। इस दिन रुद्राभिषेक का भी बहुत महत्व माना गया है। कहते हैं कि इस दिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने से रोग, किसी भी तरह का कोई दुःख और तमाम कष्टों का नाश हो जाता है और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव से सच्चे मन से जो भी माँगा जाता है वो उसे अवश्य ही पूरा करते हैं। 

महाशिवरात्रि पूजन मुहूर्त

निशीथ काल पूजा मुहूर्त

24:09:17 से 24:59:51 तक

अवधि

0 घंटे 50 मिनट

महाशिवरात्रि पारणा मुहूर्त

06:54:45 से 15:26:25 तक 22, फरवरी को

नोट: यह मुहूर्त नई दिल्ली के लिए है। जानें अपने शहर में पूजन का मुहूर्त – महाशिवरात्रि 2020 के लिए आपके शहर में पूजन का मुहूर्त 

महाशिवरात्रि पर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए ऐसे करें उनकी पूजा

भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने का एक बेहद सरल और सटीक उपाय बताया गया है और वो है भगवान शिव का रुद्राभिषेक। रुद्राभिषेक से भगवान शिव ना सिर्फ प्रसन्न होते हैं बल्कि इससे वो अपने भक्तों पर साल भर अपनी कृपा भी बनाये रखते हैं।

महाशिवरात्रि के दिन इस पूजन विधि से भगवान शिव की करें आराधना :

  1. महाशिवरात्रि के दिन हो सके तो व्रत रखें और दिन में केवल फल और दूध ग्रहण करें।
  2. इस दिन भगवान शिव की पूजा के दौरान शिव पुराण का पाठ करें, महा-मृत्युंजय मन्त्र का जाप करें, और ‘ॐ नमः शिवाय’ मन्त्र का शांत मन से जाप करें। इसके अलावा इस रात में जागरण करना भी अत्यधिक फलदायी बताया गया है। तो अगर मुमकिन हो तो महाशिवरात्रि की रात जागरण अवश्य करें।
  3. इसके अलावा रात के चारों पहरों में भगवान शिव का अभिषेक और आराधना करें। हालांकि निशीथ काल में शिव पूजन का विशेष महत्व बताया जाता है।

महाशिवरात्रि का महत्व

जब माता पार्वती ने भगवान शंकर से पूछा कि, ऐसा कौन सा व्रत है जो भक्तों को सर्वोत्तम भक्ति और पुण्य प्रदान करने वाला होता है? तब भगवान शिव ने जवाब में महाशिवरात्रि के ही व्रत-उपवास का वर्णन किया था। माता पार्वती के सवाल के जवाब में भोलेनाथ ने बताया था कि, ‘जो कोई भी भक्त महाशिवरात्रि का व्रत करता है और इस दिन विधि-विधान से मेरी पूजा करता है, वो मेरी प्रसन्नता अवश्य प्राप्त कर लेता है। इस व्रत-पूजा के प्रभाव से इंसान के सभी दुःख-दर्द भी गायब हो जाते हैं। 

महा-शिवरात्रि पर अपने घर लाएं शिव का रूप कही जाने वाली पारद शिवलिंग

इस दिन को आदि शक्ति के मिलन की रात्रि भी कहा जाता है, ऐसा इसलिए क्योंकि मान्यता के अनुसार इसी दिन भगवान शिव और आदि शक्ति का विवाह हुआ था। 

जानें इस वर्ष की सभी मासिक शिवरात्रि की तिथि: मासिक शिवरात्रि 2020 

ज्योतिष शास्त्र में महाशिवरात्रि का महत्व

हिंदू धर्म के अनुसार चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान शिव हैं, यही वजह है कि हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। इसके अलावा यहाँ ये भी जानना बेहद ज़रूरी है कि वैदिक ज्योतिष में चतुर्दशी तिथि को बेहद शुभ बताया गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन चंद्रमा सूर्य के सबसे समीप होता है। यह वह समय होता है जब जीव रूपी चंद्रमा का शिवरूपी सूर्य के साथ मिलन होता है। इसलिए इस दिन शिव पूजन से शुभ फल की प्राप्ति होती है। भगवान शिव काम, क्रोध, लोभ, मोह आदि विकारों से मुक्त करके परम सुख, शांति और ऐश्वर्य प्रदान करते हैं। 

महाशिवरात्रि से जुड़ी पौराणिक कथा

महाशिवरात्रि से जुड़ी यूँ तो कई कथाएं प्रचलित हैं लेकिन इनमें से एक कथा जिसका ज़िक्र गरूड़ पुराण में भी किया गया है जिसके अनुसार, ‘एक बार की बात है जब एक निषादराज अपने कुत्ते के साथ शिकार खेलने गए थे। काफी देर भ्रमण करने के बाद भी उन्हें कोई शिकार नहीं मिला। काफी देर हो चुकी थी ऐसे में थकान महसूस होने के बाद भूखा-प्यासा निषादराज एक तालाब के किनारे गया जहाँ एक बिल्व वृक्ष था जिसके नीचे एक शिवलिंग मौजूद था। यहाँ पहुंचकर उसने कुछ बिल्व-पत्र तोड़े, जो शिवलिंग पर भी गिर गए। इसके बाद जब उसने अपने पैरों को साफ़ करने के लिए उनपर तालाब का जल छिड़का, तो पानी की कुछ बून्दें शिवलिंग पर भी जा गिरीं। ऐसा करते समय उसका एक तीर नीचे गिर गया जिसे उठाने के लिए वह शिवलिंग के सामने नीचे को झुका। इस तरह शिवरात्रि के दिन शिव-पूजन की पूरी प्रक्रिया उसने अनजाने में ही पूरी कर ली। इसके बाद जब निषादराज की मृत्यु के बाद यमदूत उसे लेने आए, तब तो शिव के गणों ने उनकी रक्षा करते हुए यमराज को हटा दिया।

महाशिवरात्रि पर विशेष ऑफर- बृहत् कुंडली पर 1350 रुपए की भारी छूट

ऐसे में आप खुद ही सोचिये कि जब अनजाने में महाशिवरात्रि की पूजा का भगवान शंकर इतना अद्भुत फल देते हैं, तो समझ-बूझकर और पूरी विधि-विधान से की गयी महादेव का पूजन कितना अधिक फलदायी होगा।

कॉग्निएस्ट्रो आपके भविष्य की सर्वश्रेष्ठ मार्गदर्शक

आज के समय में, हर कोई अपने सफल करियर की इच्छा रखता है और प्रसिद्धि के मार्ग पर आगे बढ़ना चाहता है, लेकिन कई बार “सफलता” और “संतुष्टि” को समान रूप से संतुलित करना कठिन हो जाता है। ऐसी परिस्थिति में पेशेवर लोगों के लिये कॉग्निएस्ट्रो रिपोर्ट मददगार के रुप में सामने आती है। कॉग्निएस्ट्रो रिपोर्ट आपको अपने व्यक्तित्व के प्रकार के बारे में बताती है और इसके आधार पर आपको सर्वश्रेष्ठ करियर विकल्पों का विश्लेषण करती है।

 

इसी तरह, 10 वीं कक्षा के छात्रों के लिए कॉग्निएस्ट्रो रिपोर्ट उच्च अध्ययन के लिए अधिक उपयुक्त स्ट्रीम के बारे में एक त्वरित जानकारी देती है।

 

 

जबकि 12 वीं कक्षा के छात्रों के लिए कॉग्निएस्ट्रो रिपोर्ट पर्याप्त पाठ्यक्रमों, सर्वश्रेष्ठ कॉलेजों और करियर विकल्पों के बारे में जानकारी उपलब्ध कराती है।