जानें वो पौराणिक कथा जिसके अनुसार भगवान गणेश को तुलसी चढ़ाना होता है अशुभ

हिन्दू धर्म में कई पेड़-पौधों को देवताओं जैसा दर्जा दिया गया है। जिनमें से तुलसी को बेहद पवित्र माना गया है जिसका पूजा पाठ के दौरान उपयोग करना विशेष रूप से शुभ माना गया है। लेकिन क्या आपको ये पता है कि भगवान गणेश जी एकमात्र ऐसे देवता है जिन्हें तुलसी नहीं चढ़ाई जाती है। चूँकि कार्तिक माह में तुलसी विवाह का पर्व 8 नवंबर, शुक्रवार को मनाया जाना है इसलिए आपको खासतौर से इस बारे में ज़रूर जानना चाहिए कि आखिर गणेश जी को तुलसी चढ़ानाआखिर क्यों होता है अशुभ। आज हम आपको मुख्य रूप से इस नियम से जुड़े पौराणिक कथा के बारे में बताने जा रहे हैं कि आखिर गणेश जी को तुलसी का पत्ता चढ़ाना क्यों वर्जित माना जाता है।

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ये बात वास्तव में काफी हैरान करने वाली है की जिस तुलसी की पूजा की जाती है और जिसे अमूमन हर देवता के पूजा में इस्तेमाल किया जाता है, उसे गणेश जी को चढ़ाना वर्जित माना जाता है।आपने  देखा होगा की विशेष रूप से जब भी घर पर लोग कोई पूजा पाठ रखते हैं तो उस दौरान भी तुलसी के पत्ते का प्रयोग जरूर करते हैं। लेकिन उसी पवित्र तुलसी को गणेश जी की पूजा के दौरान नहीं अर्पित किया जाता है। 

इसलिए नहीं चढ़ाया जाता गणेश जी को तुलसी 

एक पौराणिक मान्यता के अनुसार एक बार गणेश जी गंगा के तट पर तप में लीन थे।उसी दौरान तुलसी गणेश जी के पास उनसे विवाह की कामना मन में लेकर जाती हैं। गणेश जी के तप में लीन रहने के वाबजूद भी तुलसी उनका ध्यान भंग करके उनके सामने विवाह का प्रस्ताव रखती है। तुलसी जी के इस तरह से गणेश जी का तप भंग करना उन्हें बिल्कुल पसंद नहीं आया और वो काफी गुस्से में आगये। गणेश जी ने तुलसी माता से कहा की तुम्हारा इस तरह से मेरे तप को भंग करना उचित नहीं था और मैं ब्रह्मचारी हूँ इसलिए तुम्हारे इस प्रस्ताव को नहीं मान सकता। अतः गणेश जी ने उनके विवाह प्रस्ताव को ठुकरा दिया।गणेश जी द्वारा विवाह प्रस्ताव ठुकराए जाने के बाद तुलसी माता काफी व्यथित हुई और उन्होनें क्रोधित होकर गणेश जी को श्राप दे दिया की उनकी एक नहीं बल्कि दो शादियां होंगी।

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इसके बाद गणेश जी ने भी उन्हीं श्राप दिया की उनका विवाह एक असुर से होगा। गणेश जी के इस श्राप को सुनकर तुलसी माता की आँखों से आँसू आगये और उन्होनें गणेश जी से अपना श्राप वपिस लेने को कहा। इसपर गणेश जी ने उनसे कहा की एक बार दिया श्राप वपिस नहीं लिया जाता, हाँ लेकिन तुम्हें हर देवता की पूजा में ख़ास माना जाएगा और कलयुग में सामान्य मनुष्य के मोक्ष प्राप्ति में तुम सहायक होगी। इसके साथ ही गणेश जी ने उनसे कहा की मेरी पूजा में तुम्हारा प्रयोग वर्जित माना जाएगा।