दिवाली 2023: किस दिन मनाया जाएगा दीपावली का त्योहार? जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और दीपदान का महत्व

दिवाली शब्द सुनते ही हर कोई बहुत उत्साहित हो जाता है क्योंकि दिवाली एक ऐसा त्योहार है जो अंधेरे पर प्रकाश की, बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है और यह त्योहार अपने साथ ढेर सारी खुशियां लेकर आता है। धनतेरस से भाई दूज तक करीब 5 दिनों तक चलने वाला दिवाली का त्योहार भारत समेत दुनिया के कई देशों में मनाया जाता है। दिवाली के त्योहार में माता लक्ष्मी का पूजन और दीये जलाने का विशेष महत्व है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हम दिवाली में इतने सारे दीये क्यों जलाते हैं? दिवाली को प्रकाश का त्योहार क्यों माना जाता है? दरअसल हर साल इस पर्व को कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि के दिन धूमधाम से मनाया जाता है।

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इस दौरान सूर्य और चंद्रमा की स्थिति को शुभ नहीं माना जाता है क्योंकि सूर्य नीच राशि तुला में होंगे। अमावस्या तिथि के कारण चंद्रमा भी कमजोर स्थिति में होते हैं और कम रोशनी देते हैं इसलिए दीपावली की रात सबसे ज्यादा अंधेरी होती है। ऐसा कहते हैं कि दिवाली की रात महालक्ष्मी पृथ्वी का भ्रमण करती हैं। इस दिन जीवन से नकारात्मकता और अंधकार को दूर करने के लिए लोग असंख्य दीये जलाते हैं। तो आइए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं दिवाली का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, दीप दान का महत्व व इस दिन किए जाने वाले राशि अनुसार उपाय आदि।

दिवाली 2023: तिथि और शुभ मुहूर्त

दिवाली यानी धन और समृद्धि का त्योहार है। इस त्योहार में भगवान गणेश और माता लक्ष्मी के साथ-साथ भगवान कुबेर, सरस्वती और काली माता की भी पूजा की जाती है। माना जाता है कि दिवाली की रात भगवान गणेश की पूजा करने से बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है, जो व्यक्ति को धन कमाने के लिए प्रेरित करती है और साथ ही, धन का सही उपयोग कैसे किया जाए इसकी भी समझ बढ़ती है। भगवान गणेश की पूजा से प्रसन्न होकर देवी लक्ष्मी धन का वरदान देती हैं और वहीं भगवान कुबेर धन संचय करने में मदद करते हैं इसलिए दिवाली की रात भगवान गणेश और माता लक्ष्मी के साथ देवता कुबेर की भी पूजा की जाती है।

अगर हम मुहूर्त की बात करें तो लक्ष्मी पूजा के लिए प्रदोष काल (संध्या काल) को सबसे अच्छा माना जाता है। इसका आरंभ सूर्यास्त के साथ होता है और इसके बाद लगभग 02 घंटे 24 मिनट तक रहता है। घर-परिवार में सुख-समृद्धि और खुशियां बनाए रखने के लिए वृषभ लग्न सर्वोत्तम होता है।

कई लोग सिंह लग्न में भी पूजा करना पसंद करते हैं, लेकिन हमारे विशेषज्ञ ज्योतिषी आचार्या पारुल वर्मा के अनुसार, सत्ता में मौजूद लोगों और तांत्रिक पूजा करने वाले लोगों के लिए उपयुक्त होता है।

लक्ष्मी पूजा की तिथि: 12 नवंबर 2023 (रविवार)

लक्ष्मी पूजा मुहूर्त: शाम 05 बजकर 40 मिनट से शाम 07 बजकर 36 मिनट तक। 

अवधि: 01 घंटा 54 मिनट 

दिवाली शुभ चौघड़िया मुहूर्त

दोपहर का मुहूर्त (शुभ): 02 बजकर 46 मिनट से 02 बजकर 47 मिनट तक

सायंकालीन मुहूर्त (शुभ, अमृत, चल): शाम 05 बजकर 29 मिनट से रात 10 बजकर 26 मिनट तक।

रात्रि मुहूर्त (लाभ): 25:44:31 से 27:23:35 तक

प्रातः काल का मुहूर्त (शुभ): 29:02:39 से 30:41:44 तक

नोट: यह मुहूर्त नई दिल्ली के लिए मान्य है। अपने शहर के अनुसार, मुहूर्त को जानने के लिए  यहाँ क्लिक करें। 

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दिवाली 2023 कैलेंडर

दिनांकपर्व व तिथि
10 नवंबर (शुक्रवार)धनतेरस (द्वादशीi)
12 नवंबर (रविवार)नरक चतुर्दशी (चतुर्दशी)
12 नवंबर (रविवार)दिवाली (चतुर्दशी)
14 नवंबर (मंगलवार)गोवर्धन पूजा (प्रतिपदा)
15 नवंबर (बुधवार)भाई दूज (द्वितीया)

दिवाली 2023: पूजन विधि

दिवाली पूजन कैसे करें इसकी विस्तृत जानकारी नीचे दी जा रही है। इस विधि को अपनाकर आप दिवाली पूजन संपन्न कर सकते हैं। 

  • सबसे पहले घर को गंगाजल छिड़ककर शुद्ध कर लें।
  • घर के मुख्य द्वार पर रंगोली बनाएं।
  • घर के दरवाजे के दोनों ओर फूलों और आम के पत्तों से सजाएं।
  • तिजोरी और गहनों के बक्सों पर ‘ॐ’ लिखें और स्वास्तिक चिन्ह बनाएं।
  • घर में नए लक्ष्मी गणेश की मिट्टी की मूर्ति स्थापित करें।
  • पूजा की थाली सजाएं और उसमें गुंजा, रोली, मौली, अक्षत, माला, धूप, दीपक, इत्र या गुलाब जल, गंगाजल, कपूर, सुपारी, लौंग-इलायची, मिश्री, चंदन, छोटा नारियल, कौड़ी, गोमती चक्र रखें।
  • लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति के सामने रोली से ‘ॐ’ लिखें और स्वास्तिक चिन्ह बनाएं।
  • मिठाई बनाएं और पंचमेवा, खीर और बेसन के लड्डू का माता लक्ष्मी और भगवान गणेश को भोग लगाएं।
  • फिर कलश स्थापना करें।
  • चावल की ढेरी पर घी का दीपक और गेहूं की ढेरी पर तेल का दीपक जलाएं।
  • इच्छानुसार एक अलग थाली में माता लक्ष्मी व भगवान गणेश के समक्ष चांदी का सिक्का रखें।
  • अब अंत में गणेश और लक्ष्मी की मूर्ति के सामने बैठें। फिर अपने आप को गंगाजल से शुद्ध करें और इस मंत्र का जाप करें – ‘ऊं अपवित्रः पवित्रोवा सर्ववस्थम् गतोपिव यः स्मरेथ पुण्डरीकाक्षम् स बाह्यभ्यन्तरः शुचिः’। 

गणपति पूजन

सनातन धर्म में किसी भी शुभ या मांगलिक कार्य से पहले भगवान गणेश का पूजन किया जाता है क्योंकि उन्हें प्रथम पूजनीय देवता का स्थान दिया गया है। भगवान गणेश की पूजा के लिए हाथ में फूल लेकर भगवान गणेश का ध्यान करें और ‘ऊं गं गणपतये नम:’ का 108 बार जाप करें। साथ ही, भगवान गणेश को रोली और अक्षत चढ़ाएं।

पूजा के बाद भगवान गणेश को प्रसाद के रूप में चीनी और घी युक्त प्रसाद चढ़ाएं। इसके बाद बप्पा को पान, सुपारी चढ़ाएं और फल चढ़ाएं। अब एक फूल लें और इसे भगवान गणेश को अर्पित करते समय कहे ‘भगवान गणेश कृपया ये प्रसाद स्वीकार करें।’

कलश पूजन

कलश पर मौली बांधें और आम का पत्ता रखें। कलश के अंदर सुपारी, दूर्वा और अक्षत डालें। अब नारियल के ऊपर लाल कपड़ा लपेटकर कलश के ऊपर रख दें। हाथ में अक्षत और फूल लेकर देवी और देवताओं का आह्वान करें और उनका आशीर्वाद लें।

लक्ष्मी पूजन

  • सबसे पहले माता लक्ष्मी का ध्यान करें।
  • फिर पूजा की थाली में बची हुई सामग्री को देवी लक्ष्मी को “ऊं लक्ष्मी गणेशाय नमः” मंत्र का जाप करते हुए अर्पित करें।
  • अब कमलगट्टे या स्फटिक की माला से लक्ष्मी के निम्नलिखित मंत्र का 108 बार जाप करें। इसके बाद दूध, शहद और गंगाजल, गुलाब जल से लक्ष्मी व भगवान गणेश का अभिषेक करें। और मंत्र का जाप करते रहें – ‘लक्ष्मी गणेशाभ्यां नमः’।
  • पूजा के बाद मां लक्ष्मी को खीर का प्रसाद चढ़ाएं और साथ ही, एक कड़ाही, सुपारी, फल और पंचमेवा चढ़ाएं। अब एक कमल का फूल लें और इसे देवी को अर्पित करें और कहें: ‘देवी लक्ष्मी कृपया ये प्रसाद स्वीकार करें।’
  • अंत में कपूर जलाएं और माता लक्ष्मी व भगवान गणेश की आरती करें।
  • इसके बाद तिजोरी, अनाज रखने के स्थान पर और पर्स में कौड़ी, गोमती चक्र, गुंजा और चांदी के लक्ष्मी गणेश के सिक्के रखें।

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दिवाली पर दीप दान : महत्व और विधि

दिवाली को साल का सबसे बड़ा हिंदू त्योहार माना जाता है और इस दिन को पूरे देश में बड़े हर्ष और उल्लास के साथ यह त्यौहार मनाया जाता है। दिवाली को रोशनी, खुशियों का त्योहार कहा जाता है। इस दिन लोग वृद्धि और समृद्धि के लिए धन की देवी अर्थात मां लक्ष्मी और कुबेर देवता (धन के देवता) की पूजा करते हैं। लेकिन दिवाली का एक और पहलू यह भी है कि यह अमावस्या तिथि पर पड़ता है और यह पितरों के लिए बहुत महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है।  माना जाता है कि इस दिन पितृ पृथ्वी पर आते हैं और लोगों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन दीपदान करने से पितरों के स्वर्ग जाने का मार्ग प्रकाशमय हो जाता है इसलिए इस दिन दीप दान करने का बहुत अधिक महत्व है।

  • अपने पूर्वजों की तस्वीर को साफ करें। इसके बाद पीला या सफेद चंदन का टीका लगाएं और फिर सफेद फूल या सफेद फूल की माला चढ़ाएं। अब उनके सामने दीया और धूप जलाएं।
  • प्रार्थना करें और अपने बड़ों का सम्मान करें और जो जीवन उन्होंने आपको दिया है उसके लिए उनके प्रति आभार व्यक्त करें।
  • इस दिन पुजारी को कपड़े, भोजन, मिठाइयां, फल और अन्य आवश्यक वस्तुएं अर्पित करें।
  • रात के समय अपने पितरों के लिए दक्षिण पश्चिम दिशा में घी के 14 दीये जलाएं।

दीप दान का महत्व 

बहुत कम लोग इस बारे में जानते हैं कि आकाश दीप दान हमारी संस्कृत में हमारे पूर्वजों को रास्ता दिखाने में कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हालांकि यह परंपरा हम भले ही भूल गए हो लेकिन यह एक ऐसी महत्वपूर्ण विधि है जो हमें निश्चित रूप से करनी चाहिए। ऐसा करने के लिए अलग-अलग तरीके बताए गए हैं। उदाहरण के लिए आप एक घी का दिया ले सकते हैं उसमें एक बाती रख सकते हैं जो ऊपर की ओर हो फिर उस दिये को ढकने से पहले खुले आसमान के नीचे थोड़ा सा रहने दें। मोमबत्ती जलाएं और अपने पूर्वजों से इस प्रकार आशीर्वाद मांगे,  ‘प्रिय पितृ देवता, मैं भगवान से प्रार्थना करता हूं/करती हूं और कामना करता हूं/करती हूं कि यह मोमबत्ती/दिया आपके रास्ते को रोशनी से भर दे और आपको अपने गंतव्य स्थान तक पहुंचने में आपकी मदद करें। मैं आपसे भी प्रार्थना करता हूं कि आप हमारे जीवन पर अपना आशीर्वाद हमेशा बनाए रखें।’ इसके अलावा आप मोमबत्ती के गर्म हवा वाले गुब्बारे का उपयोग करके भी इस दिन आकाश में दीपदान कर सकते हैं।

आशीर्वाद और समृद्धि के लिए दिवाली पर करें राशिनुसार उपाय

मेष राशि

मेष राशि के जातक दिवाली की रात लाल कपड़े पर गेहूं से स्वास्तिक बनाएं और उस पर एक थाली रखें। थाली पर कुमकुम से ‘गं’ लिखें और श्वेतार्क गणपति, श्रीफल और 7 कौड़ियां रखें, चंदन की माला से निम्नलिखित मंत्र का 5 बार जाप करें। “ॐ सर्व सिद्धि प्रदोयसि त्वं सिद्धि बुद्धि प्रदो भवः श्रीम्।” अगले दिन 5 कन्याओं को पीला भोजन खिलाएं। सफेद चूर्ण पूजा घर में रखें और बची हुई सामग्री जल में प्रवाहित कर दें। इससे आपको आर्थिक लाभ होने लगेगा।

वृषभ राशि

दिवाली की रात से प्रारंभ करके लगातार सात दिनों तक महालक्ष्मी यंत्र के सामने कमलगट्टे की माला से 11 बार “ॐ महालक्ष्म्यै नमः” मंत्र का जाप करना चाहिए और अंतिम दिन ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए। ऐसा करने से आर्थिक जीवन में आ रही सभी समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है।

मिथुन राशि

मिथुन राशि के जातक दिवाली के दिन श्वेतार्क (भगवान गणेश का प्रतीक) की जड़ लें, इसे पूजा स्थान (पूजा घर) में रखें और इस मंत्र का जाप करते हुए इसकी पूजा करें- “ॐ ह्रीं अष्टलक्ष्म्यै दारिद्रय विनाशिनी, सर्व सुख समृद्धिं देहि देहि ह्रीं ॐ नमः”।

कर्क राशि

इस राशि के जातकों को दिवाली के बाद से अगली पूर्णिमा तक हर रात चांद को देखें और फिर रोज रात को केले के पत्ते पर दही और चावल रखकर चंद्रमा को दिखाएं। फिर उस चावल और दही को मंदिर में किसी पंडित जी को दान दे दें। ऐसा करने से आपको अचानक धन लाभ होगा।

सिंह राशि

दिवाली से शुरू करके प्रतिदिन माता लक्ष्मी के चित्र के सामने “ॐ ह्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः’‘ मंत्र का 5 माला जाप करें। इससे आपके जीवन में समृद्धि आएगी।

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कन्या राशि

दिवाली के दिन से शुरू करके प्रतिदिन देवी दुर्गा के सामने निम्नलिखित मंत्र का जाप करें- “देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखमरूपं देहि यशो | देहि जय देहि द्विषो जहि”। इससे आपको धन अर्जित करने में मदद मिलेगी।

तुला राशि

दिवाली के दिन श्री यंत्र की प्राण प्रतिष्ठा करें और प्रतिदिन पूजा करें। इससे सभी प्रकार के कष्ट, रोग और दरिद्रता से छुटकारा मिलता है और भौतिक सुख, शांति व आनंद की प्राप्ति होती है। इस यंत्र की पूजा के लिए इस मंत्र का जाप करें- “श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद”।

वृश्चिक राशि

यदि आप दिवाली से शुरू करके प्रतिदिन मंगल यंत्र के सामने “ऋणहर्ता मंगल स्तोत्र” मंत्र का जाप करते हैं, तो जल्द ही आपको कर्ज व लोन से मुक्ति मिल जाएगी और आपके धन में तेजी से वृद्धि होगी।

धनु राशि

यदि दिवाली के दिन निम्न मंत्र की 21 माला का जाप किया जाए और अगले दिन ब्राह्मण को भोजन कराया जाए तो आपको खूब धन की प्राप्ति होगी। मंत्र है- ‘ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौं ॐ ह्रीं सकल ह्रीं सौं ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ’।

मकर राशि

दिवाली की शाम एक सुपारी और एक तांबे का सिक्का लेकर किसी पीपल के पेड़ के नीचे रख दें। रविवार के दिन उसी पीपल के पेड़ का एक पत्ता लाकर कार्यस्थल पर गद्दी के नीचे रखने से व्यापार खूब तेजी से आगे बढ़ता है और धन का आगमन होने लगता है।

कुंभ राशि

कुंभ राशि के जातकों को व्यापार में हानि से बचने के लिए दिवाली के दिन काली गुंजा के बीज अपने गले में पहनना चाहिए और इस दौरान इस मंत्र का पांच बार जाप करना चाहिए। मंत्र- “ॐ ऐं ह्रीं विजय वरदाय देवी ममः”।  साथ ही, प्रतिदिन देवी महालक्ष्मी के सामने दीपक जलाना चाहिए।

मीन राशि

इस राशि के जातकों को दिवाली के दिन हल्दी की 11 गांठें पीले कपड़े में रखकर निम्नलिखित मंत्र  ”ॐ वक्रतुण्डाय” हूँ” का 11 बार जाप करके तिजोरी में रख देना चाहिए और उस स्थान पर प्रतिदिन दीपक जलाना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से व्यापार में उन्नति होने लगती है।

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