लोकसभा चुनावों के नतीजों ने कई राजनीतिक विश्लेषकों के उन दावों को गलत साबित कर दिया जिनमें कहा गया था कि इस बार बीजेपी पूर्ण बहुमत से नहीं जीत पाएगी। इस बार विपक्षी पार्टियों को भी भाजपा की इस जीत से तगड़ा झटका लगा है। 17 वीं लोकसभा के चुनाव में मोदी सरकार को 2014 से भी बड़ी जीत हासिल हुई। बीजेपी की इस जीत ने एक बार फिर इस बहस को हवा दे दी है कि क्या इस बार भी मुस्लिम मतदाताओं ने जाति, धर्म से ऊपर उठकर मोदी सरकार को अपना समर्थन दिया? इसी बात की चर्चा आज हम इस लेख में करेंगे।
जाति और धर्म से ऊपर उठकर मुस्लिमों ने किया मतदान
इस मुद्दे पर कुछ राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने हमेशा ही जाति और धर्म की राजनीति से ऊपर उठकर चुनावों में मतदान किया है। विशेषज्ञों की मानें तो इन चुनावों में भी मुस्लिम समुदाय के लोगों ने बिना किसी राजनीतिक दबाव के अपने विवेक के अनुसार ही मतदान किया है, और उन धारणाओं पर चोट की है जिसके तहत कुछ राजनीतिक पार्टियाँ यह सोचकर चलती हैं कि अल्पसंख्यक समुदाय के पास दूसरा कोई विकल्प नहीं है।
क्यों मोदी सरकार से प्रभावित हुआ मुस्लिम समाज
जब जमायते उलेमा ए हिंद के वरिष्ठ पदाधिकारी अब्दुल हामिद से सवाल किया गया कि क्या मुस्लिम मतदाताओं ने ट्रिपल तलाक, आवास योजना, कन्या शिक्षा जैसी अन्य कल्याणकारी योजनाओं से प्रभावित होने से बीजेपी को वोट दिया? तो इस सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि, “मुस्लिम समुदाय ने मोदी को वोट दिया या नहीं यह सवाल नहीं है। असली सवाल यह है कि कांग्रेस और महागठबंधन मोदी को जनमत हासिल करने से नहीं रोक पाए।” उन्होंने आगे कहा कि, “प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्रवाद, आतंकवाद जैसे मुद्दों की वजह से चुने गए हैं।”
बीजेपी नेताओं की अच्छी छवि का असर
वहीं कुछ समय पहले राजनीतिक विश्लेषक रशीद किदवई ने कहा था कि, “भाजपा के कुछ नेताओं की अच्छी छवि के कारण मुस्लिमों में उनकी अच्छी पैठ है।” आकड़ों को देखें तो मध्य प्रदेश में पार्षद स्तर के सौ से अधिक मुस्लिम नेता हैं। वहीं गुजरात के बोहरा मुस्लिमों का समुदाय भाजपा का पारंपरिक वोटर रहा। ऐसे ही कई तथ्य है जिनकी वजह से इस बार भाजपा को बंपर जीत मिली है।
निष्कर्ष: यह कहा जा सकता है कि भाजपा और मुस्लिम समुदाय के बीच विश्वास की कुछ कमी है जिसको कम करने का काम मोदी सरकार कर रही है। यह कहना भी गलत नहीं होगा कि भारत के मुस्लिम अपने हितों से ज्यादा अब देश की सुरक्षा और समाज में सकारात्मक बदलावों पर ध्यान दे रहे हैं।