DHANU SANKRANTI: इस दिन सूर्य करेंगे राशि परिवर्तन, जानें इसका महत्व और शुभ मुहूर्त

धनु संक्रांति का अर्थ होता है सूर्य ग्रह का धनु राशि में चले जाना है या गोचर करना। दरअसल सूर्य जिस भी राशि में गोचर करता है उसे उस राशि के संक्रांति के नाम से जाना जाता है। ऐसे में जब यह धनु राशि में प्रवेश कर रहा है तो इसे धनु संक्रांति कहा जाएगा। धनु संक्रांति सौर कैलेंडर के अनुसार नौवें महीने की शुरुआत का प्रतीक होता है। यह गोचर वैष्णव संप्रदाय के लिए धनौर के शुभ महीने की शुरुआत का भी प्रतीक होता है।

इस दिन भगवान जगन्नाथ की पूजा की जाती है और देश के विभिन्न हिस्सों में धनु संक्रांति पर उनके नाम से विशेष पूजा-अर्चना का विधान होता है। क्योंकि यह दिन सूर्य गोचर का प्रतीक होता है इसलिए लोग इस दिन समर्पण और पूरी श्रद्धा के साथ सूर्य देव की पूजा करते हैं और उनका आशीर्वाद अपने जीवन पर बनाए रखने की कामना करते हैं।

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इस वर्ष धनु संक्रांति 16 दिसंबर 2021 के दिन पड़ रही है।

धनु संक्रांति का महत्व

धनु संक्रांति का दिन सूर्य देव से संबंधित होता है। ऐसे में इस दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है। इसके अलावा इस दिन गंगा और यमुना जैसी देश की पवित्र नदियों में डुबकी लगाना भी बेहद ही शुभ होता है। देशभर में यह पर्व बेहद ही उत्साह और खुशी के साथ मनाया जाता है लेकिन, मुख्य रूप से उड़ीसा में इस त्यौहार का अलग ही रंग देखने को मिलता है। उड़ीसा में इस दिन भगवान जगन्नाथ की पूजा की जाती है जिसके बाद विशाल उत्सव का आयोजन किया जाता है। इस पूजा में भगवान जगन्नाथ को धनु मुआन नाम का एक विशेष भोग चढ़ाया जाता है जो कि मीठे चावल से बनी एक मिठाई होती है।

उड़ीसा के बरगढ़ कस्बे में इस दिन नुक्कड़ नाटकों का भी आयोजन किया जाता है। जिसमें भगवान कृष्ण के जीवन के विभिन्न प्रसंगों को दर्शाया जाता है। इस दिन दर्शाए गए सबसे प्रमुख प्रसंगों में से एक वह होता है जब भगवान श्री कृष्ण धनुष समारोह देखने के लिए मथुरा आए थे। कंस की तरफ से आयोजित इस समारोह में धनु यात्रा के विशिष्ट अवसर पर भगवान कृष्ण और उनके भाई बलराम को आमंत्रित किया गया था। दरअसल इस निमंत्रण देने के पीछे रावण का मकसद था इन दोनों भाइयों की हत्या कराना।

उड़ीसा में यह पर्व देखने लायक होता है क्योंकि बरगढ़ शहर के लगभग सभी लोग इस दिन नुक्कड़ नाटक में भाग लेते हैं। यह किसी भव्य उत्साह या आयोजन से कम नहीं होता है। उड़ीसा के बरगढ़ में पौष शुक्ल से लेकर पौष पूर्णिमा तक यानी 10 से 11 दिनों में इस उत्सव को भव्य रूप से मनाया जाता है। इसके अलावा बरगढ़ जिले में इस दौरान देश और दुनिया की महत्वपूर्ण और सबसे लोकप्रिय घटना धनु यात्रा का भी आयोजन किया जाता है।

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धनु संक्रांति के नियम

इस दिन जातकों को जल्दी उठकर पवित्र जल से स्नान करना चाहिए। इसके बाद सूर्योदय के समय सूर्य देव को जल और फूल अर्पित करें। इसके अलावा संक्रांति के दिन विशेष रूप से दान और पुण्य का विशेष महत्व बताया गया है। ऐसे में अपनी यथा शक्ति के अनुसार इस दिन दान पुण्य अवश्य करें।

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धनु संक्रांति पूजन विधि

धनु संक्रांति के दिन बहुत से लोग पितृ तर्पण और पितरों की पूजा करते हैं। इस दिन भक्त भगवान को प्रसाद का भोग अर्पित करते हैं जो मीठे चावल से बनाए जाते हैं। पूजा समाप्त होने के बाद यह प्रसाद सभी लोगों को वितरित किया जाता है।

हालाँकि इस विशेष दिन का मुख्य आकर्षण जगन्नाथ मंदिर में होने वाली पूजा होती है। इस खूबसूरत नजारे का लुफ्त उठाने के लिए केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरे दुनिया भर के लोग इस दिन यहां इकट्ठा होते हैं। इस दिन जगन्नाथ मंदिर को सुंदर तरह से सजाया जाता है, बड़े पैमाने पर पूजा की जाती है, पूजा में शामिल सभी भक्तों को प्रसाद दिया जाता है। इस दिन भजन और भक्तों की आस्था और भक्ति इस विशेष पर्व की खूबसूरती को चार चांद लगा देती है।

  • इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें। 
  • तांबे के बर्तन में लाल चंदन मिलाकर जल लें और इसे सूर्य देव को चढ़ाएं। इस पानी में हल्दी, रोली, और सिंदूर अवश्य मिलाएं। 
  • इसके बाद सूर्य देव को फूल चढ़ाएं। 
  • इसके बाद गुड़ से बने हलवे इत्यादि मिठाइयां सूर्य देव को अर्पित करें। 
  • लाल चंदन की माला लेकर  “ॐ भास्कराय नमः” मंत्र का जाप करें। 
  • पूजा संपन्न होने के बाद नैवेद्य जलाएं और सभी लोगों में प्रसाद वितरित करें।

धनु संक्रांति पौराणिक मान्यताएं

धनु संक्राति के इस शुभ दिन भारी पैमाने पर श्रद्धालु एकत्रित होकर आसपास के मंदिरों में पूजा अर्चना करते हैं और भगवान को प्रसन्न करने के जतन करते हैं। मान्यता है कि, इस दिन पूजा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं भगवान अवश्य सुनते हैं और उसे पूरा करके व्यक्ति को आनंदित और शांतिपूर्ण जीवन का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। धनु संक्रांति के दिन सुख और सौभाग्य के लिए विशेष तौर पर महिला महिलाएं व्रत करती हैं।

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धनु संक्रांति अनुष्ठान और समारोह

  • इस दिन भगवान जगन्नाथ और सूर्य देव की पूजा की जाती है। 
  • लोग पवित्र स्नान करने के बाद सुबह सूर्य को जल और फूल अर्पित करते हैं। 
  • इस दिन श्रद्धालु सुखी और सौभाग्यशाली जीवन के लिए व्रत करते हैं। 
  • पौष मास के शुक्ल पक्ष में छठे दिन धनु यात्रा का पर्व शुरू हो रहा है और पौष माह की पूर्णिमा तक यह उत्सव जारी रहेगा। 
  • भगवान जगन्नाथ और अन्य देवी-देवताओं को चढाने के लिए इस दिन विशेष प्रसाद तैयार किया जाता है। 
  • भगवत पुराण में वर्णित धनुष समारोह में नुक्कड़ नाटकों के रूपों का चित्रण किया गया है। 
  • इस दिन भगवान जगन्नाथ और सूर्य देव के मंदिरों में मंदिरों में श्रद्धालु भारी मात्रा में उमड़ते हैं और पूजा करते हैं। 
  • इस दिन दान और पुण्य किया जाता है क्योंकि इसे बेहद ही शुभ और फलदायी माना जाता है।

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