देव दिवाली: सनातन धर्म में देव दिवाली का विशेष महत्व है। दिवाली के ठीक 15 दिन बाद देव दीपावली मनाई जाती है। पौराणिक मान्यता है कि देव दीपावली यानी देवताओं की दिवाली के दिन देवता काशी की पवित्र भूमि पर उतरते हैं और दिवाली मनाते हैं। मुख्य रूप से देव दिवाली काशी में गंगा नदी के तट पर मनाई जाती है। शास्त्रों के अनुसार, भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरासुर का वध किया और इसके बाद देवताओं ने दीप जलाकर उत्सव मनाया जो देव दीपावली के रूप में प्रचलित है। इस पावन दिन में पवित्र नदी में स्नान का बहुत अधिक महत्व होता है। वहीं काशी में देव दीपावली का अलग ही उल्लास देखने को मिलता है। पूरा काशी दीपों से सजाया जाता है और गंगा घाट पर हर ओर मिट्टी के दिए प्रज्वलित किए जाते हैं। इस दिन दीपक के प्रकाश, जप, दान व स्नान का विशेष महत्व रहता है। ऐसा करने से व्यक्ति को माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
तो आइए इसी क्रम में आगे बढ़ते हैं और जानते हैं देव दिवाली 2023 की तिथि, पूजा मुहूर्त, महत्व, पौराणिक कथा और ज्योतिषीय उपाय के बारे में।
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देव दिवाली 2023: तिथि व समय
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को देव दीपावली का त्योहार मनाया जाता है। इस साल कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि 26 नवंबर को दिन रविवार को पड़ रही है। स्नान-दान आदि विधान 27 नवंबर की प्रात: किए जाएंगे।
पूर्णिमा तिथि आरंभ : 26 नवंबर 2023 की शाम 03 बजकर 55 मिनट से
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 27 नवंबर 2023 की दोपहर 02 बजकर 47 मिनट तक।
देव दिवाली पर 3 शुभ योगों का अति शुभ संयोग
इस वर्ष की देव दिवाली पर तीन अति शुभ योग रवि योग, परिघ योग और शिव योग का संयोग बन रहा है। बात करें इन तीनों योगों के समय और महत्व की तो,
देव दीपावली पर रवि योग को प्रात: 06 बजकर 52 मिनट से प्रारंभ हो जाएगा जो दोपहर 02 बजकर 05 मिनट तक रहने वाला है
इसके आलवा परिघ योग इस दिन प्रात: काल से लेकर देर रात 12 बजकर 37 मिनट तक रहेगा
और इसके बाद से ही शिव योग शुरू हो जाएगा जो कार्तिक पूर्णिमा को रात तक रहने वाला है।
रवि योग में सूर्यदेव का प्रभाव देखने को मिलता है। ऐसे में अगर कोई भी व्यक्ति इस योग में कोई भी काम शुरू करता है तो उसमें सफलता प्राप्त करने की संभावना व्यक्ति के जीवन में बढ़ जाती है।
परिघ योग को शत्रुओं पर सफलता प्राप्त करने के लिहाज से बेहद ही शुभ माना गया है।
शिव योग को अति शुभ योगों की श्रेणी में रखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि अगर शिव योग में कोई भी काम किया जाए तो इससे व्यक्ति को सफलता और समृद्धि अवश्य ही प्राप्त होती है।
देव दिवाली का महत्व
हिंदू धर्म में देव दीपावली बहुत अधिक महत्व दिया गया है। ऐसी मान्यता है कि देव दिवाली के दिन देवी-देवता पृथ्वी लोक में आकर दिवाली मनाते हैं। इस मौके पर काशी के गंगा घाट पर आरती का विशेष आयोजन किया जाता है। गंगा घाटों को दीप और फूलों से सजाया जाता है। धार्मिक ग्रंथों की मानें तो देव दिवाली के दिन गंगा नदी में स्नान ध्यान करने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन गुरु नानक जयंती भी मनाई जाती है। हिन्दू और सिख धर्म के अनुयायियों देव दिवाली को बड़े ही धूमधाम के साथ मनाते हैं।
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देव दिवाली: पूजा विधि
- देव दिवाली के दिन सूर्योदय से पहले उठकर गंगा नदी में स्नान करें और यदि नदी पर जाना संभव न हो तो घर पर ही गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
- स्नान के बाद मंदिर की साफ-सफाई करें और फिर भगवान शिव सहित सभी देवी देवताओं की मूर्ति स्थापित करें।
- इसके बाद किसी नदी के तट पर और मंदिर में दीप जलाएं।
- रात के समय भगवान शिव व भगवान विष्णु की आराधना करें और महादेव को फल, फूल और दूध अर्पित करें।
- इसके बाद महादेव को भोग लगाएं और उनकी आरती उतारें।
- इस दिन गंगा नदी में दीप दान जरूर करें। ऐसा करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
देव दिवाली के दिन इन नियमों का करें पालन
- कार्तिक शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन लोगों को तामसिक भोजन से दूर रहना चाहिए। साथ ही, इस दिन किसी भी हाल में मदिरा और मांस का सेवन करने से बचना चाहिए।
- देव दीपावली के दिन न ही किसी को उधार देना चाहिए और न ही किसी से उधार पैसे लेना चाहिए। इस दिन लेन-देन करना अच्छा नहीं माना जाता है।
- देव दीपावली के दिन नाखून और बाल भूलकर भी न काटे। साथ ही, इस दिन देर तक भी सोना भी नहीं चाहिए। ऐसा करने से माता लक्ष्मी नाराज हो सकती है।
- देव दीपावली पर इस बात का विशेष ध्यान रखें कि घर में किसी प्रकार की गंदगी न रखें। यहां तक किसी भी कोने में मकड़ी का जाला तक ना हो। ऐसा करने से माता लक्ष्मी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- इस विशेष अवसर पर इस बात का भी विशेष ध्यान रखें कि घर के सदस्यों से किसी भी प्रकार का झगड़ा या वाद-विवाद न करें और न ही क्रोध करें। पूरे दिन अच्छा व्यवहार रखें और जरूरतमंद लोगों को दान में अन्न-धन प्रदान करें।
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देव दिवाली से जुड़ी ये कथा जरूर पढ़ें
पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में त्रिपुरासुर नाम के एक राक्षस ने अपने आतंक से पृथ्वी लोक पर इंसानों का और स्वर्गलोक पर सभी देवताओं को परेशान कर दिया था। सभी देवतागण त्रिपुरासुर के आतंक से परेशान हो गए थे और मदद के लिए भगवान शिव के शरण में गए। वहां देवताओं ने त्रिपुरासुर के आतंक को खत्म करने की प्रार्थना की। उनका दुख सुनकर भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था।
त्रिपुरासुर के अंत के बाद उसके आतंक से मुक्ति मिलने पर सभी देवता गण बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने स्वर्ग में दीप जलाएं। इसके बाद सभी भोलेनाथ की नगरी काशी में पधारे और काशी में भी दीप प्रज्वलित कर देवताओं ने मिलकर खुशी मनाई। इसके बाद ही कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन हर साल देवता दिवाली के दिन काशी में आ कर दिवाली मनाते हैं और इस दिन को देव दिवाली के नाम से जाना जाता है। इस दिन त्रिपुरासुर राक्षस का अंत हुआ था इसलिए कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा और त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।
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देव दिवाली के दिन इन उपायों को करने से दूर होगी हर समस्या
देव दिवाली के दिन पूजा-पाठ के साथ-साथ अगर कुछ उपाय भी कर लिया जाए, तो देवताओं की कृपा प्राप्त होती है और सभी प्रकार के दुख दूर होते हैं। आइए जानते हैं इन आसान उपायों के बारे में।
आटे का दीया जलाएं
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, देव दीपावली के दिन आटे का दीया जलाना बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन आटे का दीपक बनाकर उसमें घी और 7 लौंग डालकर दीया जलाएं। माना जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति दुख और दरिद्रता से छुटकारा पाता है और सुख समृद्धि का अनुभव करता है।
तुलसी का पौधा लगाएं
माना जाता है कि कार्तिक माह या देव दिवाली के दिन घर में तुलसी का पौधा जरूर लगाना चाहिए। साथ ही, भगवान विष्णु की पूजा करते समय तुलसी जरूर अर्पित करना चाहिए या भगवान विष्णु की मूर्ति पर तुलसी के 11 या 21 पत्ते बांधना चाहिए। ऐसा करने से कभी भी व्यक्ति को आर्थिक संकट से नहीं जूझना पड़ता है।
सकारात्मक बदलाव के लिए उपाय
ऐसा भी माना जाता है कि देव दिवाली के दिन तुलसी के 11 या 21 पत्ते लेकर आटे के बर्तन में डाल कर छोड़ देना चाहिए और उसी आटे से रोटियां बनानी चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से घर में सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिलते हैं।
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नौकरी व बिज़नेस में तरक्की के लिए
नौकरी या बिज़नेस में तरक्की के लिए देव दिवाली के दिन तुलसी के पौधे पर पीला रंग का कपड़ा बांध दें। ऐसा करने से आपको अपने कार्यक्षेत्र में खूब उन्नति मिलती है और नौकरी में प्रमोशन व वेतन वृद्धि की संभावना बढ़ जाती है।
सत्यनारायण की कथा सुनें
देव दिवाली के दिन भगवान सत्यनारायण की कथा अवश्य सुननी चाहिए। ऐसा करने से सभी कष्टों का नाश होता है और जीवन में खुशहाली आती है।
दीप दान करें
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, देव दीपावली के दिन दीप दान करने का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इस पवित्र दिन दीपदान करने से भगवान शिव व श्री हरि विष्णु प्रसन्न होते हैं और जीवन की सभी परेशानियां समाप्त होती हैं।
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