बता दें कि पिछले कुछ दिनों में पश्चिम बंगाल में भड़की हिंसा की आग अब धीरे-धीरे देश के अन्य हिस्सों में भी भड़क सकती है। बंगाल में एक जूनियर डॉक्टर के साथ हुई मार पीट की घटना के बाद वहां के डॉक्टर हड़ताल पर हैं और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी इस बात से अलग विरोध कर रहे डॉक्टरों के पक्ष में नज़र नहीं आ रहीं हैं। बंगाल में डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने के बाद अब इसका असर देश के अन्य हिस्सों पर भी देखने को मिल सकता है। क्योंकि बताया जा रहा है कि राजधानी दिल्ली समेत मुंबई, बिहार, मध्यप्रदेश, और उत्तरप्रदेश के डॉक्टरों ने भी हड़ताल पर जाने का एलान कर दिया है।
राजधानी दिल्ली में DMA ने दी हड़ताल की धमकी
बंगाल में जूनियर डॉक्टर के साथ हुई हिंसा की विरोध करते हुए अब दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन ने भी हड़ताल की घोषणा कर दी है। जिसका व्यापक असर दिल्ली के एम्स और सफ़दरजंग जैसे बड़े अस्पतालों पर देखने को मिल सकता है। दिल्ली में ही इन दोनों अस्पतालों में देश भर से प्रत्येक दिन हजारों की संख्या में मरीज़ इलाज के लिए आते हैं। ऐसे में यहाँ के डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने से मरीज़ों को ख़ासा परेशानी उठानी पड़ सकती है। इसके अलावा मुंबई के डॉक्टरों ने भी मूक विरोध का एलान किया है। वहीं उत्तर प्रदेश के वाराणसी में भी डॉक्टरों ने काम करने से इंकार कर दिया है। इसके साथ ही इस हड़ताल का असर बिहार, केरल, पंजाब और राजस्थान जैसे देश के अन्य राज्यों में भी देखने को मिल सकता है। एम्स के डॉक्टर आज 14 जून से हड़ताल पर जा सकते हैं।
ममता ने बीजेपी को ठहराया हड़ताल का ज़िम्मेवार
बंगाल में डॉक्टरों की हड़ताल और मरीज़ों की परेशानी के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भारतीय जनता पार्टी को ज़िम्मेवार ठहराया है। उन्होनें बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि “बंगाल में जूनियर डॉक्टर के साथ जो कुछ भी हुआ वो अनुचित है लेकिन अब बीजेपी डॉक्टरों को अपने जाल में फंसा रहा है और मरीज़ों की मुसीबत बढ़ा रही है।” ममता ने ये भी कहा कि राज्य में डॉक्टरों की हड़ताल को ख़त्म करने के लिए उन्होनें अपने मंत्रियों को भी भेजा था लेकिन उनकी बात नहीं मानी गयी।
डॉक्टर के हड़ताल पर जाने की असली वजह
आपको बता दें कि बंगाल के नील रत्न सरकार मेडिकल कॉलेज में बीते 10 जून को इलाज के दौरान एक 75 वर्षीय वृद्ध की मौत हो गयी। इसके बाद रिश्तेदारों ने वहां मौजूद डॉक्टरों के साथ बदतमीजी की जिसके बाद डॉक्टरों ने मृत प्रमाण पत्र देने से इंकार कर दिया और परिवार के सदस्यों से माफ़ी की अपील की। इस मामले ने जैसे ही तूल पकड़ी तो इस घटना ने हिंसा का रूप उस वक़्त ले लिया जब कुछ हथियार ग्रस्त लोगों ने मेडिकल हॉस्टल पर हमला कर डॉक्टरों के साथ मारपीट की। इस हमले में कुछ जूनियर डॉक्टर गंभीर रूप से घायल हो गये।