हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने में दो एकादशी तिथियां होती हैं। इस प्रकार एक साल में कुल 24 एकादशी मनाई जाती हैं और इन सभी का अपना अलग-अलग महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो भी व्यक्ति एकादशी का व्रत नियम के अनुसार करता है, उसे हर प्रकार के सुख की प्राप्ति होती है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार मार्गशीर्ष यानी अगहन माह के बाद पौष माह आता है और इस माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को सफला एकादशी का व्रत रखा जाता है। सफला एकादशी को सभी व्रतों में से श्रेष्ठ माना जाता है। यह एकादशी साल 2022 की आखिरी एकादशी होगी।
अपने जीवन कैसे बनाएँ खास? विद्वान ज्योतिषियों से फोन पर बात करके जानें जवाब
शास्त्रों के अनुसार, एकादशी के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और व्यक्ति को सभी दुखों से छुटकारा मिलता है। इस दिन विधि विधान से पूजा-पाठ करने से व्यक्ति सभी कष्टों से मुक्ति पा लेता है। तो आइए जानते हैं एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में सफला एकादशी 2022 की तिथि, शुभ मुहूर्त और इससे जुड़ी कई महत्वपूर्ण चीज़ों के बारे में।
सफला एकादशी 2022: तिथि और शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार सफला एकादशी का व्रत पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। इस साल यह तिथि 19 दिसंबर 2022, सोमवार के दिन पड़ रही है।
शुभ मुहूर्त
एकादशी प्रारंभ तिथि: 19 दिसंबर 2022, सोमवार 03:35 से
एकादशी समापन तिथि: 20 दिसंबर 2022, मंगलवार को 02:35 तक
सफला एकादशी व्रत के पारण का समय
पारण मुहूर्त: 20 दिसंबर 2022, मंगलवार को 07:08 से 09:12 तक
अवधि: 2 घंटे 3 मिनट
सफला एकादशी का महत्व
शास्त्रों में सफला एकादशी का विशेष महत्व बताया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति को सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही, जो व्यक्ति पूरी श्रद्धा से श्री हरि भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करता है, उसे मृत्यु के बाद विष्णु लोक की प्राप्ति होती है और व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। हिंदू पुराणों के अनुसार युधिष्ठिर के पूछने पर भगवान श्री कृष्ण ने बताया कि उन्हें बड़े से बड़ा पूजा अनुष्ठान और यज्ञ करने से इतनी संतुष्टि नहीं मिलती, जितनी एकादशी का व्रत करने से मिलती है।
बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा
सफला एकादशी 2022 की व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक नगर था चंपावती जहां के राजा महिष्मान थे। राजा के पांच बेटे थे, जिनमें उनका बड़ा ल्यूक बेटा अधर्मी और चरित्रहीन था। वह हमेशा ही देवी-देवताओं का अपमान किया करता था। मांस और मदिरा का सेवन करना उसकी आदत थी। उससे परेशान होकर राजा ने उसका नाम लुंभक रख दिया और उसे अपने राज्य से बाहर निकाल दिया।
पिता के इस व्यवहार से नाराज होकर वह जंगल में जाकर रहने लगा। कुछ समय बीत जाने के बाद पौष माह के कृष्ण पक्ष की दशमी की रात आई। उस रात काफी ठंड थी। ठंड की वजह से लुंभक सो नहीं पाया। ठंड से उसकी हालत खराब होने लगी। अगली सुबह एकादशी के दिन वह बेहोश हो गया था। दोपहर में सूर्य की किरणें पड़ने के बाद वह होश में आया।
पानी पीने के बाद उसे थोड़ी ताकत मिली। वह फल तोड़ने निकल पड़ा। शाम को फल लेकर आया और उसे एक पीपल के पेड़ की जड़ के पास रख दिया। वहां बैठकर वह खुद की किस्मत को कोसने लगा। बाद में उसने उन फलों को भगवान विष्णु को समर्पित करते हुए कहा कि हे लक्ष्मीपति भगवान श्री हरि विष्णु! आप प्रसन्न हों। उस दिन सफला एकादशी थी।
लुंभक ने जैसे-तैसे पूरा दिन व्यतीत किया और फिर रात में सर्दी के कारण सो नहीं पाया। पूरी रात उसने भगवान विष्णु के नाम का जागरण करते हुए बिताया। बिना जाने ही उसने सफला एकादशी का व्रत पूरा कर लिया। सफला एकादशी व्रत के प्रभाव से वह धर्म के मार्ग पर चलने लगा। कुछ समय बाद जब राजा महिष्मान को इस बात का पता चला तो उन्होंने अपने बेटे लुंभक को राज्य में वापस बुला लिया।
इसके बाद राजा महिष्मान ने अपने पुत्र लुंभक को चंपावती नगरी का राजा बना दिया और सारा राजपाट सौंप दिया। राजा महिष्मान स्वयं तप करने जंगल में चले गए। कुछ समय बाद लुंभक को एक पुत्र हुआ, जिसका नाम मनोज्ञ रखा गया। जब वह बड़ा हुआ तो लुंभक ने अपने पुत्र को सत्ता दे दी और खुद भगवान विष्णु की भक्ति में लीन हो गया। इस तरह सफला एकादशी हर कार्य को सफल बनाती है।
सफला एकादशी के दिन करें ये उपाय
सफला एकादशी के दिन कुछ उपाय करने से हर मनोकामना पूरी होती है। आइए जानते हैं एकादशी के चमत्कारी उपायों के बारे में:
- सफला एकादशी के दिन अगर आप तुलसी जी के सामने घी का दीपक जलाकर “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः:” मंत्र का जाप करते हुए यदि 11 परिक्रमा करते हैं तो आपके जीवन में आ रही सभी प्रकार की धन संबंधी परेशानियां समाप्त हो जाएंगी।
- इस दिन यदि आप भगवान विष्णु के सामने घी का दीपक जलाकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके गीता के 11वें अध्याय का पाठ करते हैं तो फंसा हुआ पैसा आपको जल्द प्राप्त हो सकता है।
- सफला एकादशी के दिन भगवान विष्णु के आगे नौ बत्तियों वाला दीपक जलाएं और इसके साथ ही अखंड दीपक भी जलाएं। ऐसा करने से आपकी नौकरी में चली आ रही परेशानियां समाप्त हो सकती हैं।
कुंडली में राजयोग कबसे? राजयोग रिपोर्ट से जानें जवाब
सफला एकादशी 2022 व्रत में इन नियमों का रखें ध्यान
- एकादशी तिथि के दिन व्रत रखकर रात में श्री हरि विष्णु का जागरण करना चाहिए।
- एकादशी व्रत को कभी भी हरि वासर खत्म होने से पहले व्रत नहीं तोड़ना चाहिए।
- वहीं द्वादशी समाप्त होने से पहले ही एकादशी व्रत का पारण कर लेना चाहिए।
- अगर द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले ही समाप्त हो रही हो तो इस स्थिति में सूर्योदय के बाद व्रत का पारण किया जा सकता है।
- द्वादशी तिथि के दिन सुबह विधि-विधान से पूजा और ब्राह्मणों को भोजन करवाने के बाद ही व्रत खोलना चाहिए।
- इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को उपयोगी चीजों का दान करें।
- इस दिन गौ सेवा का बहुत अधिक महत्व है।
सफला एकादशी 2022: ऐसे करें भगवान विष्णु की पूजा
- इस व्रत को करने वाले व्यक्ति को सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद भगवान विष्णु की आरती करनी चाहिए और गंगाजल, दूध, दही से उनका अभिषेक करना चाहिए।
- पूजा के दौरान अगरबत्ती, नारियल, सुपारी, आंवला, अनार, लौंग और तुलसी का पत्ता जरूर चढ़ाएं क्योंकि भगवान विष्णु को तुलसी बेहद प्रिय है।
- इस दिन दीपदान और रात में जागरण करने का विशेष महत्व होता है।
- मिठाई और पीले फल का भोग श्री हरि विष्णु को जरूर लगाएं।
- भगवान विष्णु के साथ-साथ माता लक्ष्मी की पूजा भी करें।
सभी ज्योतिषीय समाधानों के लिए क्लिक करें: एस्ट्रोसेज ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर
इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।