ज्योतिष शास्त्र के अनुसार देखा जाए तो हर व्यक्ति का जन्म होते ही वह अपने प्रारब्ध के चक्र से बंध जाता है और ज्योतिषशास्त्र द्वारा निर्मित जन्म कुंडली हमारे इसी प्रारब्ध को प्रकट करती है। हमारे जीवन में सभी घटनाएं बारह राशि व नवग्रह द्वारा ही संचालित होती हैं। इन ग्रहों का आपके जीवन पर आने वाले समय में कैसा प्रभाव पड़ेगा इसके बारे में विस्तृत जवाब जानने के लिए अभी देश के जाने-माने ज्योतिषियों से प्रश्न पूछें।
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वैदिक ज्योतिष के अनुसार कब बनती है कुंडली में कर्ज़ की स्थिति
आज के समय में जहाँ आर्थिक असंतुलन हमारी चिंता का एक मुख्य कारण है, वहीं एक दूसरी स्थिति जिसके कारण अधिकांश लोग चिंतित और परेशान रहते हैं वह है ‘कर्ज़’। धन का कर्ज़ चाहे किसी से व्यक्तिगत रूप से लिया गया हो या सरकारी लोन के रूप में, ये दोनों ही स्थितियाँ व्यक्ति के ऊपर एक बोझ के समान बनी रहती हैं।
कई बार ना चाहते हुए भी परिस्थितिवश व्यक्ति को इस कर्ज़ रुपी बोझ का सामना करना पड़ता है। वैसे तो आज के समय में अपने कार्यो की पूर्ति के लिए अधिकांश लोग कर्ज लेते हैं, परन्तु जब कर्ज़ की यह स्थिति जीवन पर्यन्त बनी रहे या बार-बार सामने आये तो वास्तव में यह भी हमारी कुंडली में बने कुछ विशेष ग्रहयोगों के कारण ही होता है।
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जन्म कुंडली में ‘छठा भाव’ कर्ज का भाव माना गया है। अर्थात कुंडली का छठा भाव ही व्यक्ति के जीवन में कर्ज की स्थिति को नियंत्रित करता है। जब कुंडली के छठे भाव में कोई पाप योग बना हो या षष्ठेश ग्रह बहुत पीड़ित हो तो व्यक्ति को कर्ज की समस्या का सामना करना पड़ता है। जैसे –
यदि छठे भाव में कोई पाप ग्रह नीच राशि में बैठा हो, छठे भाव में राहु–चन्द्रमा या राहु–सूर्य के साथ होने से ग्रहण योग बन रहा हो, छठे भाव में राहु-मंगल का योग हो, छठे भाव में गुरु–चाण्डाल योग बना हो, शनि–मंगल या केतु–मंगल की युति छठे भाव में हो। तो ऐसे पाप या क्रूर योग जब कुंडली के छठे भाव में बनते हैं तो व्यक्ति को कर्ज की समस्या बहुत परेशान करती है और कर्ज को देने में बहुत समस्यायें आती हैं।
छठे भाव का स्वामी ग्रह भी जब नीच राशि में हो, अष्टम भाव में हो या बहुत पीड़ित हो तो कर्ज की समस्या होती है। इसके आलावा “मंगल” को कर्ज का नैसर्गिक नियंत्रक ग्रह माना गया है। अतः यहाँ मंगल की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। यदि कुंडली में मंगल अपनी नीच राशि (कर्क) में हो, आठवें भाव में बैठा हो, या अन्य प्रकार से अति पीड़ित हो तो भी कर्ज की समस्या बड़ा रूप ले लेती है।
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कुंडली का छठा भाव और कर्ज़ की समस्या
यदि छठे भाव में बने पाप योग पर बलि बृहस्पति की दृष्टि पड़ रही हो तो कर्ज का रीपेमेंट संघर्ष के बाद हो जाता है, या व्यक्ति को कर्ज की समस्या का समाधान मिल जाता है। परन्तु बृहस्पति की शुभ दृष्टि के अभाव में समस्या बनी रहती है। छठे भाव में पाप योग जितने अधिक होंगे उतनी समस्या अधिक होगी अतः कुंडली का छठा भाव पीड़ित होने पर लोन आदि लेने में भी बहुत सतर्कता बरतनी चाहिये।
बहुत बार व्यक्ति की कुंडली अच्छी होने पर भी व्यक्ति को कर्ज की समस्या का सामना करना पड़ता है। जिसका कारण उस समय कुंडली में चल रही अकारक ग्रहों की दशाएं या गोचर ग्रहों का प्रभाव होता है, जिससे अस्थाई रूप से व्यक्ति उस विशेष समय काल के लिए कर्ज के बोझ से घिर जाता है। उदाहरणार्थ, अकारक षष्ठेश और द्वादश की दशा व्यक्ति कर्ज समस्या देती है।
प्रत्येक व्यक्ति की कुंडली में अलग-अलग ग्रह-स्थिति और अलग-अलग दशाओं के कारण व्यक्तिगत रूप से तो गहन विश्लेषण के बाद ही किसी व्यक्ति के लिए चल रही कर्ज समस्या के सरल व सटीक ज्योतिषीय उपाय निश्चित किये जा सकते हैं। अगर आप भी कर्ज़ की समस्या से परेशान हैं, और उससे जुड़ा कोई व्यक्तिगत उपाय, निवारण जानना चाहते हों या इससे जुड़े किसी सवाल का जवाब चाहिए हो तो अभी जाने-माने ज्योतिषियों से प्रश्न पूछ सकते हैं।
कर्ज़ की समस्या से निदान दिलाएंगे ये ज्योतिषीय समाधान
1- मंगल यंत्र को घर के मंदिर में लाल वस्त्र पर स्थापित करें और प्रतिदिन इस मंत्र का एक माला जाप करें – ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम:।
2- यदि आप कर्ज से परेशान हैं या बार-बार कर्ज मांगना पड़ता है, तो बुधवार के दिन सवा किलो साबुत हरी मूंग उबालकर, उसमें गुड़ और घी मिलाएं। इसके बाद किसी गाय को खिलाएं। यह प्रक्रिया प्रत्येक बुधवार को करें। इस उपाय से कर्ज से शीघ्र ही मुक्ति मिलती है।
3- प्रतिदिन ऋणमोचन मंगल स्तोत्र का पाठ करें।
4- हनुमान चालीसा का पाठ करें।
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