नहाय-खाय के साथ गुरुवार से छठ पूजा की शुरुआत हो चुकी है। आज छठ पूजा का दूसरा दिन “खरना” है। कुछ जगहों पर इसे “लोहंडा” के नाम से भी जाना जाता है। छठ पूजा को मन्नतों का पर्व कहा जाता है, ऐसे में लोगों में इस त्यौहार को लेकर खासा उत्साह देखने को मिलता है। यह पर्व कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से आरंभ होकर सप्तमी तक चलेगा। कार्तिक माह के पंचमी को “खरना” मनाया जाता है। इस दिन व्रती पुरे दिन का उपवास रखते है। अन्न तो दूर, सूर्यास्त से पहले पानी की एक बूंद तक व्रती ग्रहण नहीं करते है। खरना पर गुड़ की खीर सबसे खास होती है। तो चलिए आज इस लेख में आपको इस दिन से जुड़ी कुछ और रोचक बाते बताते हैं –
“गुड़ की खीर” है खरना का खास प्रसाद
छठ पर्व एक कठिन तपस्या से कम नहीं होता है। खरना के दिन व्रत रखने वाली महिलाएं सुबह से लेकर शाम तक उपवास रखती हैं। शाम को मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी की मदद से चावल और गुड़ की खीर का खास प्रसाद बनाती हैं। इस खीर का स्वाद चीनी वाली खीर से काफी अलग होता है, और खरना के दिन यही प्रसाद खाने का नियम है। खरना के प्रसाद बनाने में नमक और चीनी का प्रयोग बिलकुल नहीं किया जाता। खरना के दिन शाम के समय व्रती स्नान करती हैं, फिर गुड़ की खीर, घी चुपड़ी रोटी, मूली, फल आदि को मिलाकर पूजा की जाती है। पूजा के बाद व्रती एकान्त में प्रसाद ग्रहण करते हैं। उसके बाद परिवार के लोगों, दोस्तों आदि को प्रसाद खिलाते हैं। रात को प्रसाद ग्रहण करने के बाद दोबारा से व्रती का 36 घंटे का व्रत आरंभ हो जाता है। माना जाता है कि खरना पूजन से छठ माता खुश होती हैं, और घर में वास करतीं हैं।
ज़रूर ध्यान रखें इन बातों का
- खरना के दिन खीर बनाने में हमेशा अरवा चावल का ही इस्तेमाल करें।
- गुड़ की खीर का प्रसाद हमेशा नए चूल्हे पर ही बनाये।
- खरना के प्रसाद बनाने में नमक और चीनी का प्रयोग बिलकुल भी न करें।
- व्रती खरना के दिन रात को प्रसाद ग्रहण करते समय इस बात का ध्यान रखें कि उनके आस पास कोई शोर न हो।
- प्रसाद बनाते वक़्त स्वच्छता पर विशेष ध्यान दें।
कल से छठ व्रत करने वाले महिलाओं और पुरुषों का 36 घंटे निर्जला व्रत शुरू हो जायेगा। ऐसे में हम सूर्य देवता और छठ माता से यह प्रार्थना करते हैं, कि आपको इस व्रत को पूरा करने की शक्ति मिले।
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