भगवान सूर्य और षष्ठी मैया (छठी मैया) को समर्पित छठ के त्यौहार का तीसरा दिन संध्या अर्घ्य और चौथा दिन उषा अर्घ्य के रूप में मनाया जाता है। जहाँ तीसरे दिन शाम के समय ढलते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है वहीं चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने का विधान है। छठ पूजा विशेष अपने इस आर्टिकल में आज हम जानेंगे छठ के तीसरे और चौथे दिन से जुड़ी कुछ अहम बातें, इन दोनों दिनों का शुभ मुहूर्त, और साथ ही जानेंगे छठ पूजा के प्रसाद से मिलने वाला स्वास्थ्य लाभ क्या होता है।
कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन छठ पर्व या छठ पूजा की जाती है। यह पर्व दिवाली के त्योहार के 6 दिन बाद मनाया जाता है। छठ का यह त्यौहार लोक पर्व के रूप में बेहद महत्वपूर्ण और प्रचलित माना गया है। ऐसे में भारत के बिहार, झारखंड, और पूर्वी उत्तर प्रदेश की कुछ जगहों पर इसे बेहद ही उत्साह पूर्वक और ज़ोरोशोरो से मनाया जाता है। यह पूजा भगवान सूर्य और उनकी पत्नी उषा को समर्पित होती है।
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छठ पूजा का तीसरा-चौथा दिन : संध्या और उषा अर्घ्य देने का मुहूर्त
तीसरे दिन छठ मैया का प्रसाद बनाया जाता है और सूर्य देवता को संध्या अर्घ्य दी जाती है। इसके बाद छठ पूजा के चौथे दिन यानी सप्तमी के दिन सूर्य देवता को दोबारा जल चढ़ाकर उनकी पूजा की जाती है और इस दिन छठ पूजा संपन्न होती है।
छठ पूजा: संध्या अर्घ्य का समय
छठ पूजा का तीसरा दिन: 10 नवंबर, 2021 (बुधवार)
10 नवंबर (संध्या अर्घ्य) सूर्यास्त का समय: 17:30:16
जानकारी: ऊपर दिया गया मुहूर्त दिल्ली के लिए मान्य है। अपने शहर के अनुसार शुभ मुहूर्त जानने के लिए यहाँ क्लिक करें।
छठ पूजा का चौथा दिन: उषा अर्घ्य
छठ पूजा का अंतिम और आखिरी दिन होता है उषा अर्घ्य का दिन। इस दिन को पारन के नाम से भी जानते हैं क्योंकि इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद छठ व्रत का पारण कर लिया जाता है। इस दिन व्रती और उनके परिवार के लोग नदी के किनारे बैठकर गाना-बजाना करते हैं और उगते सूरज का इंतज़ार करते हैं। सूर्य जब उगता है तब उसे अर्घ्य अर्पित की जाती है इसके बाद व्रती एक दूसरे को प्रसाद देकर बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लेते हैं।
आशीर्वाद लेने के बाद व्रती अपने घर आकर अदरक और पानी से अपना 36 घंटे का कठोर व्रत को खोलते हैं। व्रत खोलने के बाद स्वादिष्ट पकवान आदि खाए जाते हैं और इस तरह से छठ के इस पावन व्रत का समापन हो जाता है।
उषा अर्घ्य का समय
छठ पूजा का चौथा दिन: 11 नवंबर 2021
11 नवंबर (उषा अर्घ्य) सूर्योदय का समय: 06:40:10
छठ पूजा का महत्व
धार्मिक महत्व: वैदिक ज्योतिष में सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है। सूर्य जहाँ मान-सम्मान आदि का कारक माना गया है वहीं सूर्य में तमाम तरह के रोगों को नष्ट करने की क्षमता भी पाई जाती है। इसके अलावा सूर्य को आत्मा, पिता, पूर्वज, मान-सम्मान और उच्च सरकारी सेवा का कारक कहा गया है। ऐसे में सूर्य को समर्पित छठ की पूजा करने से व्यक्ति को संतान सुख, मनोवांछित फल, और अलौकिक ऊर्जा प्राप्त होती है।
सांस्कृतिक महत्व: सांस्कृतिक महत्व की बात करें तो, छठ पर्व या छठ की पूजा की सबसे महत्वपूर्ण और अनोखी विशेषता इस पूजा की सादगी, प्रकृति के प्रति प्रेम, और पवित्रता होती है।
खगोलीय और ज्योतिषीय महत्व: अब आगे बढें और बात करें छठ पर्व के खगोलीय महत्व की तो, कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि एक अनोखा खगोलीय पल होता है जब सूर्य धरती के दक्षिणी गोलार्ध में स्थित रहता है। ऐसे में इस समय के दौरान सूर्य की पराबैंगनी किरणें पृथ्वी पर सामान्य से अधिक मात्रा में एकत्रित हो जाती है। यह किरणें हानिकारक होती हैं और इसका सीधा असर मनुष्य के पेट, आँख और त्वचा पर देखने को मिलता है। हालांकि सूर्य की यह पराबैंगनी किरणें मनुष्य को हानि न पहुंचाए इसलिए छठ पर्व पर सूर्य देव की पूजा और उन्हें अर्घ्य देने का महत्व स्वाभाविक रूप से बढ़ जाता है।
स्वास्थ्य और मेडिकल महत्व: छठ पूजा में इस्तेमाल होने वाले सभी खाद्य पदार्थों में कैल्शियम की मात्रा बहुत अधिक होती है इसके अलावा मानता है कि जो सूर्य की किरणें पानी के माध्यम से अपवर्तित होती है तो वह सात रंगों में बिखर जाती है और इन किरणों से निकलने वाली ऊर्जा शरीर में रोग और किसी भी तरह के दोष को संतुलित करने में कारगर होती है, जिसके चलते सूर्य की किरणें जल चिकित्सा पद्धति प्राप्त कर लेती हैं। कुल मिलाकर देखा जाए तो यह आंखों की दृष्टि और मन की शक्ति में सुधार करने के लिए जानी जाती हैं। इसके अलावा छठ पूजा शरीर से हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस को खत्म करने में भी कारगर होती है जिससे सर्दी के मौसम के लिए तैयार होने में भी मदद मिलती है।
छठ पूजा से जुड़ी कथा
छठ पर्व से जुड़ी कथा के अनुसार बताया जाता है कि, राजा प्रियव्रत की कोई संतान नहीं थी जिसके चलते वह बेहद ही परेशान और दुखी रहा करते थे। एक बार महर्षि कश्यप ने राजा से संतान प्राप्ति के लिए यज्ञ करने को कहा। महाराज जी की आज्ञा मानकर राजा ने यज्ञ कराया जिसके बाद राजा को एक पुत्र हुआ भी लेकिन दुर्भाग्य से वो बच्चा मृत पैदा हुआ।
इस बात को लेकर राजा और रानी और उनके और परिजन और भी ज्यादा दुखी हो गए। तभी आकाश से माता षष्ठी आई। राजा ने उनसे प्रार्थना की और तब देवी षष्ठी ने उनसे अपना परिचय देते हुए कहा कि, ‘मैं ब्रह्मा के मानस पुत्री षष्ठी देवी हूं। मैं इस विश्व के सभी बालकों की रक्षा करती हूं और जो लोग निसंतान हैं उन्हें संतान सुख प्रदान करती हूँ।’
इसके बाद देवी ने राजा के मृत शिशु को आशीष देते हुए उस पर अपना हाथ फेरा जिससे वह तुरंत ही जीवित हो गया। यह देखकर राजा बेहद ही प्रसन्न हुए और उन्होंने देवी षष्ठी की आराधना प्रारंभ कर दी। कहा जाता है कि इसके बाद ही छठी माता की पूजा का विधान शुरू हुआ।
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इस दिन रखें इन बातों का विशेष रूप से ध्यान
- छठ पूजा के चार दिनों तक प्याज और लहसुन खाना और छूना वर्जित माना गया है।
- इस दौरान साफ़ सफाई पर बहुत जोर दिया जाता है। इन दिनों में भूल से भी गंदगी न मचाएं और न ही गंदे हाथों से पूजा का कोई भी सामान छुएं।
- प्रसाद बनाते समय खुद कुछ भी न खाएं।
- व्रत करने वाले लोगों को पहले सूर्य को अर्घ्य देने के बाद ही कुछ खाना पीना होता है। बिना जल चढ़ाएं पानी भी पीना गलत माना जाता है।
- छठ पूजा के दौरान मांसाहारी भोजन, शराब, आदि से दूरी बनाकर रखें तो ज्यादा अच्छा रहता है।
छठ पूजा के प्रसाद का स्वास्थ्य लाभ
छठ पूजा में भगवान सूर्य को ठेकुआ और कई तरह के फल और प्रसाद अर्पित किए जाते हैं। लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि छठ पूजा में बनने वाले यह भोग, प्रसाद और पकवान सेहत के लिए कितने ज्यादा फायदेमंद होते हैं? अगर नहीं तो आइए जानते हैं कैसे।
- ठेकुआ का स्वास्थ्य लाभ: ठेकुआ छठ पूजा में बनने वाला सबसे महत्वपूर्ण प्रसाद होता है। इसे गुड़ और आटे से बनाया जाता है। छठ पर्व के दौरान सर्दियां शुरू हो जाती है और ऐसे में ठंड से बचने के लिए गुड़ से बेहतर विकल्प और कुछ नहीं होता है।
- केला का स्वास्थ्य लाभ: इसके अलावा छठ पूजा में केला भी मुख्य रूप से शामिल किया जाता है। इससे होने वाले स्वास्थ्य लाभ की बात करें तो, सर्दी के मौसम में बच्चों को गैस की समस्या होने लगती है जिसमें केला वरदान साबित हो सकता है।
- गन्ना का स्वास्थ्य लाभ: इसके अलावा छठ पूजा में प्रसाद के रूप में गन्ना भी अवश्य रूप से शामिल किया जाता है। कहा जाता है कि, गन्ना छठी मैया को बेहद ही प्रिय होता है। इसके अलावा माना जाता है कि, सूर्य की कृपा से ही फसल उत्पन्न होती है और छठ पूजा में सूर्य देवता को नई फसल का प्रसाद चढ़ाया जाता है। गन्ना एक ऐसी ही नई फसल के रूप में भोग में शामिल किया जाता है।
- नारियल का स्वास्थ्य लाभ: छठ पूजा की टोकरी में नारियल भी मुख्य रूप से शामिल किया जाता है। सर्दियों में आम समस्याएं जैसे सर्दी, जुकाम, से नारियल हमें बचाता है। इसके अलावा नारियल में अन्य पौष्टिक तत्व मौजूद होते हैं जो हमारे इम्यूनिटी सिस्टम को और बेहतर रखते हैं।
- नींबू का स्वास्थ्य लाभ: इसके अलावा छठ पूजा में नींबू भी शामिल किया जाता है। इससे होने वाले स्वास्थ्य लाभ की बात करें तो नींबू हमें तमाम रोगों से दूर रखने में मददगार साबित होता है।
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संतान की खुशहाली के लिए छठ पूजा के राशिनुसार उपाय
मेष राशि: मेष राशि के जातक छठ पूजा में भगवान सूर्य देव को गन्ना अवश्य अर्पित करें। इससे आपकी संतान खुशहाल रहेगी और शिक्षा के क्षेत्र में शानदार प्रदर्शन करेगी।
वृषभ राशि: वृषभ राशि के जातक छठ पूजा में सूर्य देवता को नारियल अर्पित करें। इससे आपकी संतान अच्छे स्वास्थ्य के साथ खुशहाल जीवन व्यतीत करेंगे।
मिथुन राशि: मिथुन राशि के जातक छठ पूजा में सूर्य देव को शरीफा अवश्य चढ़ाएं। ऐसा करने से आपके संतान को कार्य क्षेत्र में सफलता और तरक्की प्राप्त होगी।
कर्क राशि: कर्क राशि के जातक छठ पूजा में भगवान सूर्य को सिंघाड़ा अवश्य अर्पित करें। ऐसा करने से आपकी संतान को धन लाभ होगा और उनका पारिवारिक जीवन शानदार बना रहेगा।
सिंह राशि: सिंह राशि के जातकों को सूर्य को छठ पूजा के दौरान गुड़ और चना अवश्य अर्पित करें। ऐसा करने से आपकी संतान के मान सम्मान में वृद्धि होगी और उनके जीवन से दुःख, समस्त रोग और परेशानियां दूर होंगे।
कन्या राशि: कन्या राशि के जातक छठ पूजा में सूर्य देव को संतरा या मौसमी अर्पित करें। ऐसा करने से आपकी संतान का वैवाहिक जीवन शानदार रहेगा।
तुला राशि: तुला राशि के जातक छठ पूजा में सूर्य देव को नारियल अवश्य चढ़ाएं। ऐसा करने से आपकी संतान के जीवन में सुख समृद्धि बनी रहेगी और उन्हें आर्थिक समस्याओं से छुटकारा मिलेगा।
वृश्चिक राशि: वृश्चिक राशि के जातक छठ पूजा में सूर्य देव को सेब अवश्य अर्पित करें। ऐसा करने से आपके संतान के जीवन में कार्य क्षेत्र से संबंधित परेशानियां दूर होगी।
धनु राशि: धनु राशि के जातक छठ पूजा में सूर्य देव को गन्ना अवश्य अर्पित करें। ऐसा करने से आपके संतान के शत्रु परास्त होंगे और आपके संतान को सफलता मिलेगी।
मकर राशि: मकर राशि के जातक छठ पूजा में भगवान सूर्य को संतरा या मौसम में अर्पित करें। ऐसा करने से आपकी संतान के जीवन से हर परेशानी और बाधा दूर होगी और उन्हें जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलेगी।
कुंभ राशि: कुंभ राशि के जातक छठ पूजा में सूर्य देव को शरीफ़ा अर्पित करें। ऐसा करने से आपकी संतान का जीवन और वैवाहिक जीवन शानदार बना रहेगा।
मीन राशि: मीन राशि के जातक छठ पूजा में भगवान सूर्य को सिंघाड़ा अर्पित करें। ऐसा करने से आपकी संतान की जीवन में नौकरी से संबंधित परेशानियां दूर होगी।
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