आस्था और भक्ति का प्रतीक छठ पर्व चल रहा है। छठ का यह पर्व 4 दिनों तक मनाया जाता है। इस कड़ी में दूसरा दिन खरना को समर्पित होता है। ऐसे में स्वाभाविक है कि बहुत से लोगों के मन में इस बात को लेकर सवाल उठ रहे होंगे कि आखिर यह खरना क्या होता है? अपने इस छठ पूजा विशेष ब्लॉग के माध्यम से हम आपको छठ पूजा के दूसरे दिन यानी खरना के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे और साथ ही जानेंगे कि इस दौरान क्या कुछ काम करने से हमारे जीवन में सुख समृद्धि और सौभाग्य बना रहता है।
इसके अलावा जानेंगे कि यदि किसी कारणवश भी आप छठ पूजा नहीं कर पा रहे हैं तो इस दौरान कौन से उपाय करने से आपको छठी मैया का आशीर्वाद अपने जीवन में प्राप्त हो सकता है।
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खरना का अर्थ और महत्व
सबसे पहले जानते हैं खरना का मतलब क्या होता है? छठ पर्व का दूसरा दिन खरना कहलाता है और खरना शब्द का अर्थ होता है शुद्धिकरण करना। जैसा कि हमने आपको पहले बताया कि छठ पर्व के पहले दिन को नहाय खाय कहते हैं। इस दिन व्रती लोग एक समय भोजन करते हैं और इसके बाद अपने शरीर और मन को शुद्ध करना आरंभ कर देते हैं। खरना से 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है। ऐसे में इस दौरान ना ही जल ग्रहण करते हैं और ना ही अन्न का एक दाना खाते हैं और यही वजह है कि खरना के दिन को छठ पूजा का सबसे कठिन दिन माना गया है।
खरना पूजन विधि
खरना के दिन व्रती लोग कुल देवता और सूर्य देवता और साथ में छठ मैया की पूजा करते हैं और गुड़ से बनी खीर बनाते हैं और इसे ही भोग के रूप में अर्पित करते हैं।
खरना के प्रसाद में चावल, घी लगी रोटी, गन्ने का रस, गुड़ से बनी रसिया, इत्यादि चीजें बनाई जाती है। इसके बाद इन सभी चीजों का भगवान सूर्य को भोग लगाया जाता है और उसके बाद सब लोग इस भोग को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं।
- खरना के दिन यानी छठ पूजा के दूसरे दिन गोधूलि बेला में भगवान सूर्य के प्रतिरूप को लकड़ी के एक पटरी पर स्थापित किया जाता है और उसके बाद इनकी पारंपरिक रूप से पूजा का विधान बताया गया है। खरना के बाद व्रत करने वाले लोग दो दिनों तक साधना में होते हैं। इस दौरान उन्हें पूरी तरह से ब्रम्हचर्य का पालन करना होता है। इस दौरान इस बात का विशेष ध्यान रखें कि आप जमीन पर ही सोयें। इस दौरान बेड पर सोना वर्जित होता है।
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खरना व्रत नियम
- खरना के दिन प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रत शुरू हो जाता है। यह व्रत 36 घंटे बाद उगते सूरज को अर्घ्य देने के बाद पूरा होता है और इसी दौरान छठ पूजा का भी समापन होता है।
- खरना व्रत के दिन व्रती को शाम को स्नान करना होता है।
- इस दौरान विधि विधान से प्रसाद तैयार किया जाता है।
- खरना के प्रसाद में मूली और केला इत्यादि शामिल किया जाता है।
- इस बात का विशेष ध्यान रखें कि इस दौरान बनने वाले प्रसाद मिट्टी के चूल्हे पर बनाए जाते हैं।
- इसके बाद सूर्य भगवान की पूजा करने के बाद व्रती महिलाएं प्रसाद ग्रहण करती हैं।
छठ पूजा के दौरान ये काम दिलाएंगे सुख-समृद्धि और आरोग्य जीवन
- मुमकिन हो तो घाट बनाने में अपना सहयोग दें। कहा जाता है ऐसा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- जरूरतमंदों का ज्यादा से ज्यादा दान करें। इसके अलावा यदि आप किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हों जो निर्धन हो और छठ पूजा की तैयारी करने में सक्षम न हो तो आप उनकी मदद कर सकते हैं। छठ पूजा करने में किसी व्यक्ति की मदद करना भी बेहद शुभ और पुण्यदाई बताया गया है।
- छठ पूजा का प्रसाद ज्यादा से ज्यादा मात्रा में बनाया जाता है और फिर से लोगों के बीच वितरित किया जाता है। शास्त्रों में कहा जाता है कि छठ का प्रसाद जितने ज्यादा लोगों को वितरित किया जाए उतना ही यह फलित होता है।
- छठ पूजा में साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें। सिर्फ घर की ही नहीं बल्कि जहां आप पूजा करने जा रहे हैं वहां की साफ-सफाई का भी ध्यान रखें और नदी, तट, तालाब या जहां पर भी आप पूजा कर रहे हैं उन्हें गंदा ना छोड़कर आए।
- इसके अलावा बहुत सी जगहों पर छठ पूजा में सूर्य को दूध से भी अर्घ्य दिए जाने की परंपरा है। ऐसा करने से भी व्यक्ति को पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
- मुमकिन हो तो छठ पूजा के दौरान किसी तालाब, नदी, तट के पास अलाव की व्यवस्था करें। क्योंकि इस समय सर्दी धीरे-धीरे शुरू होने लगती है और ऐसे में ठंडे पानी का काट अलाव ही होता है। ऐसे में अलाव की व्यवस्था करने से भी आपको पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
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नहीं कर पा रहे हैं छठ पूजा तो ये उपाय दिलाएंगे छठी मैया का आशीर्वाद
छठ का व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में धन, दौलत, नौकरी, व्यापार, घर, गाड़ी, अच्छी संतान, उत्तम स्वास्थ्य, आदि का वरदान प्राप्त होता है। हालांकि यदि किन्हीं कारणवश आप यह व्रत या छठ की पूजा नहीं कर पा रहे हैं तो दिल छोटा करने की आवश्यकता नहीं है। जान लीजिए कुछ ऐसे बेहद ही सरल उपाय जिन्हें करने से भी आपको छठी मैया का आशीर्वाद प्राप्त हो सकता है।
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- छठ का व्रत और पूजा नहीं कर पा रहे हैं तो सूर्य को रोजाना अर्घ्य दें और आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करें।
- हमेशा तांबे के लोटे से ही सूर्य को जल अर्पित करें और अर्घ्य देते समय जल में लाल फूल और अक्षत शामिल करें।
- छठ पर्व के दौरान साफ सफाई और सात्विक जीवन का पालन करें।
- व्रत करने वाले लोगों की सेवा करें और उन्हें अनजाने में भी नाराज ना करें।
- छठ पूजा का प्रसाद अवश्य बनाएं और इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को अवश्य खिलाएं।
- छठ व्रत कर रहे लोगों का पैर छूकर आशीर्वाद लें।
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