नहाय खाय के साथ आज से शुरू हुआ छठ पूजा का त्यौहार !

नहाय खाय के साथ ही आज से छठ पूजा का महापर्व शुरू हो चुका है। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को नहाय-खाय मनाते हैं। इस दिन व्रती अपने मन और तन दोनों ही शुद्ध और सात्विक करती हैं, और इसीलिए वे सात्विक भोजन ग्रहण करती हैं। आज से शुरू हुई छठ माता और सूर्य देवता की पूजा अर्चना 20 नवंबर तक चलेगी। तो चलिए आपको आज के दिन से जुड़ी कुछ विशेष बातें बताते हैं, साथ ही क्या-क्या सावधानियां आज के दिन से बरतनी चाहिए, वो भी हम आपको इस लेख में बताएँगे। 

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आज से हुई छठ पूजा की शुरुआत 

  • 18 नवंबर, बुधवार यानी आज नहाय खाय है।
    सूर्योदय 06 बजकर 46 मिनट 28 सेकंड 

सूर्यास्त 17 बजकर 26 मिनट 04 सेकंड 

  • 19 नवंबर, गुरुवार  को खरना मनाया जायेगा।
    सूर्योदय 06 बजकर 47 मिनट 15 सेकंड 

सूर्यास्त 17 बजकर 25 मिनट 45 सेकंड 

  • 20 नवंबर, शुक्रवार को शाम के समय डूबते सूरज की पूजा यानी संध्या अर्घ्य दी जाएगी।
    20 नवंबर (संध्या अर्घ्य) सूर्यास्त का समय :17 बजकर 25 मिनट 26 सेकंड
    21 नवंबर (उषा अर्घ्य) सूर्योदय का समय : 06 बजकर 48 मिनट 52 सेकंड 
  • 21 नवंबर, शनिवार को सुबह उगते सूर्य की पूजा करके उषा अर्घ्य देंगे।  

नहाय खाय विधि

छठ पर्व शुद्धता का प्रतीक है, इसलिए ऐसा माना जाता है कि, हर काम गंगा के शुद्ध पानी से शुरू होना चाहिए। यही कारण है कि छठ पूजा के पहले दिन यानी आज व्रत करने वाली बहुत सारी महिलाएं नदी के किनारे स्नान करने जाती हैं। ऐसा संभव न हो पाने पर घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। 

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उसके बाद शुद्ध पानी में गेहूं और चावल धो कर सुखाये। इस अनाज का इस्तेमाल छठ पूजा में प्रसाद बनाने के लिए किया जाता है। अनाज सुखाते समय इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है, कि कोई पक्षी उसे जूठा न कर दे। इसलिए घर का कोई सदस्य अनाज सूख जाने तक उसकी निगरानी करता है। 

नहाय खाय के दिन प्रसाद के रूप में छठ व्रती चावल, चने की दाल, हल्दी और सेंधा नमक से बनी कद्दू की सब्जी और मूली खाते हैं। आज व्रती के खाने के बाद घर के बाकी सदस्य भी यही भोजन करते हैं। 

इन बातों का रखें विशेष ख्याल

  • आज के दिन व्रती को साफ सुथरे और धुले कपड़े ही पहनने चाहिए। 
  • नहाय खाय से छठ समाप्त होने तक किसी भी व्रती महिला और पुरुष को बिस्तर पर नहीं सोना चाहिए। 
  • घर में भूलकर भी मांस मदिरा का सेवन नहीं होना चाहिए। 
  • पूजा की किसी भी वस्तु को जूठे या गंदे हाथों से ना छुएं। आज से साफ सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।

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आशा है कि यह लेख आपको पसंद आया होगा। एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद!

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