ध्यान और योग-साधना के लिए खास है चातुर्मास
साल 2020 ने लोगों की उम्मीदों पर पूरी तरीके से पानी फेर दिया है। पहले ही कोरोनावायरस की वजह से पिछले कुछ महीनों से लोगों ने अपने सभी कार्यों पर रोक लगा दी थी और अब कल यानि 1 जुलाई से चातुर्मास आरंभ होने जा रहा है, जिसके बाद से आने वाले 5 महीनों के लिए कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित होगा।
अपने पिछले लेख में हमने आपको चातुर्मास क्या होता है? इसका महत्व क्या है आदि की जानकारी विस्तार से दी थी। चातुर्मास के बारे में हमारा पिछला लेख पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।
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चातुर्मास की कुल अवधि इस साल 148 दिनों की होने वाली है, इसलिए ऐसा कह सकते हैं कि अगले 5 महीनों तक आप कोई भी शुभ काम या नया काम, जैसे- शादी, मुंडन गृह प्रवेश आदि शुरू नहीं कर पाएंगे। ऐसे में लोगों के मन में कई सवाल हैं, जो उन्हें बहुत ज्यादा परेशान कर रहे हैं। आज इस लेख के माध्यम से हम आपको चातुर्मास से जुड़ी वह तमाम जानकारियाँ देने जा रहे हैं, जो आपके आने वाले 5 महीनों को बेहद खास बना देंगे। साथ ही वो कौन सी सावधानियां है, जो आपको बरतनी चाहिए, वह भी हम आपको इस लेख में बताएंगे।
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भगवान विष्णु चातुर्मास में राजा बलि के यहाँ करते हैं निवास
नींद किसे प्यारी नहीं होती, केवल मनुष्य ही नहीं बल्कि देवता भी निद्रा में लीन होते हैं। धार्मिक दृष्टि में भगवान की निद्रा में जाने का विशेष महत्व होता है। कल से यानी 1 जुलाई से भगवान विष्णु आने वाली 5 महीनों के लिए क्षीरसागर में योग निद्रा में लीन होने जा रहे हैं और उनके योग निद्रा में जाते ही चातुर्मास शुरू हो जाएगा।
ऐसी मान्यता है कि देवशयनी एकादशी पर भगवान विष्णु पाताल के राजा बलि के यहाँ चार महीनों के लिए निवास करते हैं और वहीँ पर योग निद्रा में रहते हैं। 1 जुलाई यानि कल से भगवान विष्णु योगनिद्रा में लीन हो जाएंगे। यह ऐसा समय होगा जब सभी शुभ और मांगलिक कार्य वर्जित होंगे।
देवोत्थान एकादशी के साथ चातुर्मास का समापन होगा। देवोत्थान एकादशी समाप्त होते ही फिर से सभी शुभ और मांगलिक कार्यों की शुरुआत कर सकते हैं। कहा जाता है कि देवशयनी एकादशी के बाद भगवान विष्णु प्रबोधिनी एकादशी के दिन जागते हैं। इस साल प्रबोधिनी एकादशी 25 नवंबर को है यानि इस दिन के बाद से आप वापस शुभ कार्य शुरू कर पाएंगे।
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चातुर्मास में क्यों वर्जित होते हैं शुभ कार्य?
देवशयनी एकादशी से चातुर्मास की शुरुआत हो जाती है। इस समय का हमारी संस्कृति और शास्त्रों में खास महत्व बताया गया है। कहा जाता है कि जब देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु योगनिद्रा में लीन हो जाते हैं तो आसुरी शक्तियां सक्रिय होने लगती हैं। इसी वजह से शादी, सगाई, गृह प्रवेश, मुंडन आदि जैसे सभी शुभ कार्यों पर रोक लगा दी जाती है, क्योंकि ऐसे समय में इन मांगलिक कार्यों को करना शुभ नहीं मानते हैं।
साथ ही ऐसी भी मान्यता है कि जब भगवान विष्णु चार महीनों के लिए योग निद्रा में रहते हैं, तो आसुरी शक्तियों से भगवान शिव धरती को बचाते हैं। इसीलिए इन चार महीनों के दौरान भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं, ताकि उनके आशीर्वाद से जीवन की परेशानियों को दूर कर उसे सुखमय बनाया जा सके।
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चातुर्मास में ज़रूर करें ये काम
चातुर्मास को हमारे शास्त्रों में आत्म संयम का काल भी कहा जाता है, जिसमें व्यक्ति कुछ कार्यों को नियमित रूप से करना चाहिए। जैसे- चातुर्मास में सुबह जल्दी उठकर नहा धो लें और साफ वस्त्र धारण करने के बाद भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना ज़रूर करें। पूजा के दौरान विष्णु जी के मंत्रों का जाप करना चाहिए और साथ ही शुद्धता का पूरा ध्यान रखना चाहिए। भगवान विष्णु को पीली मिठाई का भोग लगाएं और पूजा-पाठ की सामग्री के साथ पीले फल और फूल का अवश्य प्रयोग करें। चातुर्मास के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करें और साथ ही मंदिर में दीप-दान करना भी पुण्यफलदायी होता है।
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चातुर्मास में भूलकर भी ना करें ये काम
इन महीनों में खान-पान का विशेष ध्यान रखने की सलाह दी जाती है। माँस-मदिरा, लहसुन, प्याज आदि का सेवन इस दौरान ना करें। चातुर्मास के दौरान किसी की निंदा या चुगली आदि ना करें, ना ही किसी को धोखा देना चाहिए। इन 5 महीनों में कांसे के बर्तन में भोजन ना करें। इसके अलावा चातुर्मास के दौरान शरीर पर तेल लगाना वर्जित होता है। चातुर्मास में मुख्य 4 महीने होते हैं, जिनमें सावन के महीने में साग और हरी सब्जियां, भादो के महीने में दही, आश्विन माह में दूध और कार्तिक माह में दाल खाना वर्जित होता है। साथ ही इस समय यात्रा करने से भी बचना चाहिए।
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ध्यान व योग-साधना करने वालों के लिए चातुर्मास है खास
साल की शुरुआत से ही लोग इस कोरोना संकट से जूझ रहे हैं और अपने सभी कार्यों को आने वाले समय के लिए टालते आ रहे हैं। बेशक आपको आने वाले 5 महीनों के लिए फिर से अपने सभी शुभ कामों को टालना पड़ेगा, लेकिन एक चीज़ है जिसे कर के आप चातुर्मास के इन 5 महीनों का फायदा उठा सकते हैं। कोरोना काल में लोगों की पहली प्राथमिकता उनकी सेहत है और क्या आप जानते हैं कि चातुर्मास का समय योग, ध्यान-साधना आदि के लिए सर्वोत्तम है। इस दौरान शारीरिक और मानसिक स्थिति तो सही होती ही है, साथ ही वातावरण भी अच्छा रहता है।
हम सभी जानते हैं कि कोरोनावायरस से लड़ने के लिए और अपने इम्यूनिटी को बढ़ाने के लिए योग सबसे अच्छा साधन है, इसीलिए इन 5 महीनों में आप योग और ध्यान-साधना को अपने जीवन में शामिल करके अपनी सेहत को अच्छा बना सकते हैं। साथ हीं इन पांच महीनों में व्रत, भक्ति और शुभ कर्म करने पर भी कई गुना अधिक फल मिलेगा।
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आशा करते हैं इस लेख में दी गयी जानकारी आपको पसंद आयी होगी।
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